Vinayak Chaturthi Vrat: 26 को है विनायक चतुर्थी व्रत, इस विधि और कथा से करें पूजा तो बरसेगी कृपा

Vinayak Chaturthi Vrat 2022 : वर्ष 2022 की आखिरी चतुर्थी 26 दिसंबर को है। विनायक चतुर्थी पर दो विशेष शुभ योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग में इस बार गणेश जी की पूजा होगी। गणेश जी की पूजा में दूर्वा को जरूर शामिल करें। कम से कम 21 लड्डू का भाेग लगाएं। इस दिन चंद्र दर्शन से भी बचें। आइए जानते हैं व्रत से जुड़ी अहम बातें-

Vinayak Chaturthi Vrat2022

26 को विनायक चतुर्थी तिथि।

मुख्य बातें
  • 26 को है वर्ष 2022 की आखिरी चतुर्थी
  • गणेश जी की पूजा में 21 लड्डू समर्पित करें
  • चंद्र दर्शन करने से इस दिन स्वयं को बचाएं

Vinayak Chaturthi Vrat 2022: वर्ष 2022 का आखिरी विनायक चतुर्थी तिथि व्रत 26 दिसंबर को रखा जाएगा। पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि काे व्रत रखा जाता है। चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। गणेश जी सभी संकट और अमंगल को दूर करने वाले संकटहर्ता देवता हैं। इस दिन चंद्रमा के दर्शन से स्वयं को बचाना चाहिए। मान्यता है कि यदि कोई इस दिन गलती से भी चंद्रमा के दर्शन कर लेता है तो उस पर किसी भी तरह का झूठा कलंक लग जाता है।

विशेष योग हैं विनायक चतुर्थी पर

विनायक चतुर्थी इस बार दाे विशेष योग के साथ होगी। सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग इस दिन बन रहे हैं। 26 दिसंबर को सुबह 7ः12 मिनट से शाम पौने पांच तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। वहीं इसी अवधि में सभी अमंगल दोष दूर होते हैं।

विनायक चतुर्थी पूजा तिथि

पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 दिसंबर को सोमवार के दिन है। ये तिथि सुबह 4ः51 बजे पर आरंभ होगी और समापन 27 दिसंबर को रात डेढ़ बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत 26 दिसंबर को ही रखा जाएगा। वहीं पूजा के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त 26 दिसंबर को सुबह 11ः 20 से लेकर दोपहर 1ः 24 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त् में पूजन करने से गणपति जी का आशीर्वाद मिलेगा।

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विनायक चतुर्थी पूजन विधि

विनायक चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि करने के बाद एक चौकी पर पीला या लाल वस्त्र बिछाकर उस पर गणेश जी प्रतिमा विराजित करें। गंगाजल से शुद्धिकरण करें। गणेश जी को रोली, चंदन और अक्षत अर्पित करें और विशेषकर दूर्वा को जरूर अर्पित करें। गणेश जी के भाेग के लिए 21 लड्डू रखें। ‘ऊं गं गणपते नमः’ के मंत्र के जाप के साथ पूजन करते हुए व्रत का संकल्प लें। अर्थवशीर्ष का पाठ करने से भगवान लंबोदर प्रसन्न होते हैं। इसके बाद आरती करें और भाेग अर्पित कर प्रसाद का वितरण करें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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