Vinayak Chaturthi Vrat Katha: विनायक चतुर्थी क्यों मनाई जाती है, जानिए इसकी पौराणिक कहानी

Vinayak Chaturthi Vrat Katha In Hindi: शिव पुराण अनुसार भगवान गणेश चतुर्थी तिथि के दिन ही अवतरित हुए थे। इसी वजह से सनातन धर्म में चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। यहां आप जानेंगे विनायक चतुर्थी की कथा।

Vinayak Chaturthi Vrat Katha

Vinayak Chaturthi Vrat Katha In Hindi: शिव पुराण अनुसार माता पार्वती ने भगवान गणेश को पुत्र रूप में पाने के लिए 12 सालों तक तपस्या की थी। जिसके फलस्वरूप उन्हें शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश प्राप्त हुए। इसलिए हिंदू धर्म में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का विशेष महत्व माना जाता है। जिसे विनायक चतुर्थी कहते हैं। मान्यताओं अनुसार विनायक चतुर्थी व्रत सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा दिलाता है। चलिए जानते हैं इसकी पावन व्रत कथा।

Vinayak Chaturthi Vrat Katha In Hindi

कहते हैं एक बार माता पार्वती ने अपने मैल से एक बालक की मूर्ति बनाकर उसमें प्राण डाल दिए। इसके बाद वे कंदरा में स्थित कुंड में स्नान करने के लिए चली गईं। परंतु स्नान पर जाने से पहले माता ने उस बालक को आदेश दिया कि किसी भी परिस्थिति में किसी को भी कंदरा में प्रवेश मत करने देना। बालक अपनी माता के आदेश का पालन करते हुए कंदरा के द्वार पर पहरा देने लगा। कुछ समय बाद वहां भगवान शिव पहुंचें। बालक ने उन्हें भी अंदर जाने से रोक दिया। भगवान शिव ने बालक को समझाने का बहुत प्रयास किया लेकिन उसने भगवान शिव की एक नहीं सुनीं।

जिससे भगवान शिव को क्रोध आ गया। क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से बालक का सिर काट डाला। जब माता पार्वती स्नान कर कंदरा से बाहर आती हैं तो देखती हैं कि उनका पुत्र धरती पर मृत पड़ा है। यह दृश्य देख माता क्रोधित हो जाती हैंं जिसे हर कोई भयभीत हो जाता है। तब भगवान शिव ने अपने गणों को आदेश दिया कि गणेश के लिए ऐसे बालक का शीश ले आओ जिसकी माता अपने बालक की तरफ पीठ करके सोई हो। गणों को एक हथनी के बच्चे का शीश मिला। भगवान शिव ने हाथी के बच्चे के सिर को भगवान गणेश के धड़ से जोड़कर उन्हें जीवित कर दिया। इसके बाद माता पार्वती शिव जी से कहती हैं कि इसका शीश हाथी का है। ऐसे में सब मेरे पुत्र का मजाक बनाएंगे। तब भगवान शिव ने बालक को वरदान दिया कि आज से संसार इन्हें गणपति के नाम से जानेगा। कोई भी मांगलिक कार्य करने से पूर्व सबसे पहले गणेश की ही पूजा होगी।

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