Vinayak Chaturthi Katha: विनायक चतुर्थी व्रत कथा सुनने से गणपति बप्पा की बरसेगी कृपा, यहां पढ़ें संपूर्ण कथा
Vinayak Chaturthi Vrat Katha In Hindi: विनायक चतुर्थी का पावन पर्व भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन गणेश जी की विधि विधान पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यहां जानिए विनायक चतुर्थी की पावन कथा।
Vinayak Chaturthi Katha: विनायक चतुर्थी की कथा
विनायक चतुर्थी व्रत कथा (Vinayak Chaturthi Vrat Katha)
किसी समय नर्मदा नदी के तट पर माता पार्वती और भगवान शिव ने चौपड़ खेलने की योजना बनाई। उन्होंने खेल में निर्णायक की भूमिका के लिए मिट्टी का एक पुतला बनाया और उसे जीवित कर दिया। भगवान शिव ने उस बालक से कहा कि तुम विजेता का फैसला करोगे। इतना कहकर माता पार्वती और शिव जी खेल में व्यस्त हो गए। माता पार्वती और भगवान शिव ने तीन बार चौपड़ का खेल खेला और तीनों ही खेल में जीत माता पार्वती की हुई, लेकिन बालक ने माता पार्वती की जगह भगवान शिव को विजेता घोषित कर दिया।
बालक के गलत फैसले से माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने बालक को लंगड़ा होने का श्राप दे दिया। जिसके बाद बालक ने माता पार्वती से क्षमा मांगी और कहा कि माता मुझसे भूववश ऐसा हुआ है। उस बालक द्वारा क्षमा याचना करने पर माता पार्वती का दिल पिघल गया। माता ने कहा कि अब दिया हुआ श्राप वापस नहीं हो सकता है। लेकिन इस श्राप से मुक्ति का एक उपाय है। माता ने कहा कि भगावन गणेश की पूजा के लिए यहां नागकन्याएं आएंगी। तब उनके कहे अनुसार तुम विधि विधान गणेश व्रत करना जिसके बाद तुम्हें श्राप से मुक्ति मिल जाएगी।
बालक कई वर्षों तक श्राप से जूझता रहा। एक दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए नागकन्याएं आईं। बालक ने उनसें गणेश व्रत करने का तरीका पूछा। बालक ने गणेश व्रत की विधि जानने के बाद 21 दिनों तक विधि विधान ये व्रत किया। कहते हैं कि बालक की भक्ति को देखकर भगवान गणेश ने उस बालक को वरदान मांगने के लिए कहा। उस बालक ने कहा कि है विनायक मुझे इतनी शक्ति दें जिससे कि मैं अपने पैरों पर चलकर कैलाश पर्वत पहुंच सकूं। भगवान गणेश की कृपा से बालक श्राप मुक्त हो गया।
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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