Om Jai Jagdish Hare Ki Aarti: एकादशी पर लक्ष्मी कृपा के लिए करें विष्णु जी की आरती - देखें ओम जय जगदीश हरे के लिरिक्स हिंदी में

Vishnu Bhagwan Ki Aarti , Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics In Hindi: निर्जला एकादशी को सभी एकादशी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार इस दिन बिना भगवान विष्णु के अराधना,आरती और कथा के एकादशी व्रत को संपूर्ण नहीं माना जाता है। यहां हम आपके लिए भगवान विष्णु की आरती लेकर आए हैं।

Vishnu Bhagwan Ki Aarti: भगवान विष्णु की आरती

Vishnu Bhagwan Ki Aarti, Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics In Hindi: आज यानी 31 मई को निर्जला एकादशी का व्रत है। मान्यता है कि, इसे सभी एकादशी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना (Vishnu Bhagwan Ki Aarti) जाता है। मान्यता है कि, इस दिन विधि विधान से श्रीहरि भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा जीवन में आने वाले सभी कष्टों का निवारण (Om Jai Jagdish Hare Aarti) होता है। पौराणिक ग्रंथों में भी एकादशी व्रत के महत्व का जिक्र किया गया है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार इस दिन बिना भगवान विष्णु के अराधना,आरती और कथा के एकादशी व्रत को संपूर्ण नहीं माना जाता है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम आपके लिए भगवान विष्णु की आरती लेकर आए हैं।

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Vishnu Bhagwan Ki Aarti: श्रीहरि भगवान विष्णु की आरतीओम जय जगदीश हरे

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स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट

दास जनों के संकट

क्षण में दूर करे

ओम जय जगदीश हरे || 1 ||

जो ध्यावे फल पावे

दुख बिनसे मन का

स्वामी दुख बिनसे मन का

सुख संपत्ती घर आवे

सुख संपत्ती घर आवे

कष्ट मिटे तन का

ओम जय जगदीश हरे || 2 ||

मात पिता तुम मेरे

शरण गहूँ मैं किसकी

स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी

तुम बिन और न दूजा

तुम बिन और न दूजा

आस करूँ मैं किसकी

ओम जय जगदीश हरे || 3 ||

तुम पूरण परमात्मा

तुम अंतर्यामी

स्वामी तुम अंतर्यामी

पारब्रह्म परमेश्वर

पारब्रह्म परमेश्वर

तुम सब के स्वामी

ओम जय जगदीश हरे || 4 ||

तुम करुणा के सागर

तुम पालनकर्ता

स्वामी तुम पालनकर्ता

मैं मूरख खल कामी

मैं सेवक तुम स्वामी

कृपा करो भर्ता

ओम जय जगदीश हरे || 5 ||

तुम हो एक अगोचर

सबके प्राणपति

स्वामी सबके प्राणपति

किस विधि मिलूँ दयामय

किस विधि मिलूँ दयामय

तुमको मैं कुमति

ओम जय जगदीश हरे || 6 ||

दीनबंधु दुखहर्ता

तुम रक्षक मेरे

स्वामी तुम रक्षक मेरे

अपने हाथ उठाओ

अपने शरण लगाओ

द्वार पड़ा मै तेरे

ओम जय जगदीश हरे || 7 ||

विषय विकार मिटाओ

पाप हरो देवा

स्वमी पाप हरो देवा

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ

संतन की सेवा

ओम जय जगदीश हरे || 8 ||

तन मन धन

सब कुछ है तेरा

स्वामी सब कुछ है तेरा

तेरा तुझ को अर्पण

तेरा तुझ को अर्पण

क्या लागे मेरा

ओम जय जगदीश हरे || 9 ||

ओम जय जगदीश हरे

स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट

दास जनों के संकट

क्षण में दूर करे

ओम जय जगदीश हरे || 10 ||

भगवान विष्णु की इस आरती का पाठ कर निर्जला एकादशी व्रत पूजन को संपूर्ण करें। ध्यान रहे बिना विष्णु जी की आरती के पूजा को संपूर्ण नहीं माना जाएगा।

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