विश्वकर्मा पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ यहां जानें
विश्वकर्मा पूजा का त्योहार हर साल 17 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इस साल विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में विश्वकर्मा भगवान की पूजा अत्यंत फलदायी साबित होगी।
विश्वकर्मा पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ यहां जानें
विश्वकर्मा पूजा का त्योहार हर साल 17 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन लोग वास्तुशास्त्र के देवता, संसार के प्रथम इंजीनियर और मशीन के देवता माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। विष्णु पुराण में विश्वकर्मा जी को ‘देव बढ़ई’ कहा गया है। मान्यता है इनकी पूजा करने से व्यापार में दिन-दूनी रात चौगुनी वृद्धि होती है। इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग अपने घर के साथ-साथ दुकानों, फैक्ट्री, दफ्तरों और कार्यालयों में विधि-विधान विश्वकर्मा जी की पूजा करते हैं। भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन को विश्वकर्मा पूजा, विश्वकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है।
Vishwakarma Puja Samagri List Check Here
विश्वकर्मा पूजा मुहूर्त 2023 (Vishwakarma Puja Muhurat 2023)
विश्वकर्मा पूजा- 17 सितंबर 2023, रविवार
विश्वकर्मा पूजा मुहूर्त- 7:50 AM से 12:26 PM
विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रान्ति का क्षण - 01:43 PM
द्विपुष्कर योग - 10:02 AM से 11:08 AM
सर्वार्थ सिद्धि योग - 06:07 AM से 10:02 AM
अमृत सिद्धि योग - 06:07 AM से 10:02 AM
विश्वकर्मा पूजा विधि 2023 (Vishwakarma Puja Vidhi 2023)
-इस दिन सूर्य निकलने से पहले स्नान आदि करके पवित्र हो जाएं।
-इसके बाद कार्यस्थल में काम आने वाली मशीनों को साफ करें।
-फिर पूजा के लिए बैठे।
-इस दिन पूजा में भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर शामिल करें।
-इसके बाद दोनों देवताओं को कुमकुम, हल्दी, अक्षत, अबीर, गुलाल व फूल, फल, मेवे, मिठाई इत्यादि अर्पित करें।
-फिर आटे की रंगोली बनाएं और उनके ऊपर सात तरह के अनाज रखें।
-पूजा में जल का एक भरा कलश भी जरूर रखें।
-इसके बाद दोनों देवताओं को धूप दीप दिखाएं।
-अंत में दोनों भगवानों की आरती करें।
-इस दिन भगवान विष्णु, भगवान विश्वकर्मा, के साथ ही उनके वाहन हाथी की भी पूजा किए जाने का विधान है।
-विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर सभी संस्थानों को बंद रखा जाता है और सभी जरूरी चीजों की पूजा की जाती है। जैसे की हथियार, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक समान आदि।
Vishwakarma Puja Aarti: विश्वकर्मा भगवान की आरती
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर,दूर दुख कीना॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
विश्वकर्मा पूजा की विधि, मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती, महत्व संपूर्ण जानकारी जानने के लिए बने रहिए हमारे इस लाइव ब्लॉग पर...
आज का पंचांग (Today Panchang In Hindi)
ब्रह्म मुहूर्त- 04:33 ए एम से 05:20 ए एमप्रातः सन्ध्या- 04:57 ए एम से 06:07 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:51 ए एम से 12:40 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:18 पी एम से 03:08 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:24 पी एम से 06:48 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06:24 पी एम से 07:35 पी एम
अमृत काल- 05:10 ए एम, सितम्बर 18 से 06:55 ए एम, सितम्बर 18
निशिता मुहूर्त- 11:52 पी एम से 12:39 ए एम, सितम्बर 18
द्विपुष्कर योग- 10:02 ए एम से 11:08 ए एम
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:07 ए एम से 10:02 ए एम
अमृत सिद्धि योग- 06:07 ए एम से 10:02 ए एम
विश्वकर्मा पूजा कब होती है
विश्वकर्मा पूजा हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। मान्यता है इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था।विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma Puja Vidhi)
विश्वकर्मा पूजा वाले दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाली सभी आवश्यक सामग्रियों को जुटा लें। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की विधि विधान पूजा करें। उन्हें चावल और सफेद फूल अर्पित करें। इसके बाद हवन करें। कार्यस्थल में प्रयोग किए जाने वाली मशीनों की पूजा करें। फिर भगवान विश्वकर्मा को प्रसाद चढ़ाएं और अंत में सभी लोगों में प्रसाद वितरित कर दें।Vishwakarma Puja Havan Mantra: विश्वकर्मा पूजा हवन मंत्र
ॐ विश्वकर्माय नमः ।Vishwakarma Puja Mantra: विश्वकर्मा पूजा मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यैविश्वकर्मा जी की आरती लिखित में
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर,दूर दुख कीना॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
Vishwakarma Puja Chalisa: विश्वकर्मा पूजा चालीसा
॥ दोहा ॥श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं,
चरणकमल धरिध्यान ।
श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण,
दीजै दया निधान ॥
॥ चौपाई ॥
जय श्री विश्वकर्म भगवाना ।
जय विश्वेश्वर कृपा निधाना ॥
शिल्पाचार्य परम उपकारी ।
भुवना-पुत्र नाम छविकारी ॥
अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर ।
शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर ॥
अद्भुत सकल सृष्टि के कर्ता ।
सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता ॥ ४ ॥
अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं ।
कोई विश्व मंह जानत नाही ॥
विश्व सृष्टि-कर्ता विश्वेशा ।
अद्भुत वरण विराज सुवेशा ॥
एकानन पंचानन राजे ।
द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे ॥
चक्र सुदर्शन धारण कीन्हे ।
वारि कमण्डल वर कर लीन्हे ॥ ८ ॥
शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा ।
सोहत सूत्र माप अनुरूपा ॥
धनुष बाण अरु त्रिशूल सोहे ।
नौवें हाथ कमल मन मोहे ॥
दसवां हस्त बरद जग हेतु ।
अति भव सिंधु मांहि वर सेतु ॥
सूरज तेज हरण तुम कियऊ ।
अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ ॥ १२ ॥
चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका ।
दण्ड पालकी शस्त्र अनेका ॥
विष्णुहिं चक्र शूल शंकरहीं ।
अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं ॥
इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा ।
तुम सबकी पूरण की आशा ॥
भांति-भांति के अस्त्र रचाए ।
सतपथ को प्रभु सदा बचाए ॥ १६ ॥
अमृत घट के तुम निर्माता ।
साधु संत भक्तन सुर त्राता ॥
लौह काष्ट ताम्र पाषाणा ।
स्वर्ण शिल्प के परम सजाना ॥
विद्युत अग्नि पवन भू वारी ।
इनसे अद्भुत काज सवारी ॥
खान-पान हित भाजन नाना ।
भवन विभिषत विविध विधाना ॥ २० ॥
विविध व्सत हित यत्रं अपारा ।
विरचेहु तुम समस्त संसारा ॥
द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका ।
विविध महा औषधि सविवेका ॥
शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला ।
वरुण कुबेर अग्नि यमकाला ॥
तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ ।
करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ ॥ २४ ॥
भे आतुर प्रभु लखि सुर-शोका ।
कियउ काज सब भये अशोका ॥
अद्भुत रचे यान मनहारी ।
जल-थल-गगन मांहि-समचारी ॥
शिव अरु विश्वकर्म प्रभु मांही ।
विज्ञान कह अंतर नाही ॥
बरनै कौन स्वरूप तुम्हारा ।
सकल सृष्टि है तव विस्तारा ॥ २८ ॥
रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा ।
तुम बिन हरै कौन भव हारी ॥
मंगल-मूल भगत भय हारी ।
शोक रहित त्रैलोक विहारी ॥
चारो युग परताप तुम्हारा ।
अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा ॥
ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता ।
वर विज्ञान वेद के ज्ञाता ॥ ३२ ॥
मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा ।
सबकी नित करतें हैं रक्षा ॥
पंच पुत्र नित जग हित धर्मा ।
हवै निष्काम करै निज कर्मा ॥
प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई ।
विपदा हरै जगत मंह जोई ॥
जै जै जै भौवन विश्वकर्मा ।
करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा ॥ ३६ ॥
इक सौ आठ जाप कर जोई ।
छीजै विपत्ति महासुख होई ॥
पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा ।
होय सिद्ध साक्षी गौरीशा ॥
विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे ।
हो प्रसन्न हम बालक तेरे ॥
मैं हूं सदा उमापति चेरा ।
सदा करो प्रभु मन मंह डेरा ॥ ४० ॥
॥ दोहा ॥
करहु कृपा शंकर सरिस,
विश्वकर्मा शिवरूप ।
श्री शुभदा रचना सहित,
ह्रदय बसहु सूर भूप ॥
विश्वकर्मा पूजा मुहूर्त 2023 (Vishwakarma Puja Muhurat 2023)
विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2023 दिन रविवार को की जाएगी। वैसे तो पूजा का मुहूर्त दिन भर रहेगा। लेकिन अगर विश्वकर्मा पूजा के सबसे शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो वो सुबह 7 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रान्ति का क्षण दोपहर 01:43 PM का है।Vishwakarma Puja Significance: विश्वकर्मा पूजा का महत्व
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा भगवान को हर चीज़ का निर्माता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि संसार में जितनी भी निर्जीव वस्तु हैं सभी का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। चाहे वो औधोगिक चीज़ें हो, फैक्ट्री हो, दुकान हो या कोई वाहन या फिर औजार हों। इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ ही साथ सभी निर्जीव वस्तुओं की पूजा भी की जाती है।
Vishwakarma jayanti Vrat Katha: विश्वकर्मा जयंती व्रत कथा
प्राचीन काल में काशी नगरी में एक रथकार अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह अपने कार्य अच्छे से करता था, लेकिन फिर भी अधिक धन नही कमा पाता था। इस वजह से उसे अपने जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इतना ही नहीं उसकी संतान ना होने की वजह से बभी वह हुत दुखी रहता था। वह और उसकी पत्नी दोनों अक्सर संतान की प्राप्ति के लिए साधु के पास जाते थे। एक दिन उसके पड़ोसी ब्राह्मण ने उससे कहा कि तुम दोनों भगवान विश्वकर्मा की पूजा करों। तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरी होगी।विश्वकर्मा का जन्म कैसा हुआ था
धार्मिक ग्रंथों में विश्वकर्मा को सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी का वंशज माना जाता है। वे ब्रह्माजी धर्म के पुत्र वास्तुदेव के पुत्र थे, जिन्हें शिल्प शास्त्र का पूर्वज माना जाता है। वास्तुदेव की पत्नी अंगिलाश से विश्वकर्मा का जन्म हुआ। अपने पिता के बाद विश्वकर्मा वास्तुकला के महान गुरु बने। मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और देवज्ञ उनके पुत्र हैं। ये पांचों लड़के स्थापत्य कला की विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञ माने जाते हैं। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा का जन्म भगवान और राक्षसों के बीच समुद्र में उथल-पुथल मचाने के लिए हुआ था। पौराणिक युग के अस्त्र-शस्त्र और कवच भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही बनाये गये थे। उन्होंने वज्र की भी रचना की थी।विश्वकर्मा स्तुति मंत्र
पञ्चवक्त्रं जटाजूटं पञ्चादशविलोचनम् ।सद्योजाताननं श्वेतं वामदेवं तु कृष्णकम् ॥ १
अघोरं रक्तवर्णं तत्पुरुषं पीतवर्णकम् ।
ईशानं श्यामवर्णं च शरीरं हेमवर्णकम् ॥ २
दशबाहुं महाकायं कर्णकुण्डलमण्डितम् ।
पीताम्बरं पुष्पमाला नागयज्ञोपवीतनम् ॥ ३
रुद्राक्षमालाभरणं व्याघ्रचर्मोत्तरीयकम् ।
अक्षमालां च पद्मं च नागशूलपिनाकिनम् ॥ ४
डमरुं वीणां बाणं च शङ्खचक्रकरान्वितम् ।
कोटिसूर्यप्रतीकाशं सर्वजीवदयापरम् ॥ ५
देवदेवं महादेवं विश्वकर्म जगद्गुरुम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तये ॥ ६
अभीप्सितार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो यस्सुरैरपि ।
सर्वविघ्नहरं देवं सर्वावज्ञाविवर्जितम् ॥ ७
आहुं प्रजानां भक्तानामत्यन्तं भक्तिपूर्वकम् ।
सृजन्तं विश्वकर्माणं नमो ब्रह्महिताय च ॥ ८
मन्त्रम् – ओम् विश्वकर्माय नमः ।
Vishwakarma Puja Aarti Lyrics: विश्वकर्मा पूजा आरती लिरिक्स
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर,दूर दुख कीना॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
Who is Lord Vishwakarma?- कौन हैं भगवान विश्वकर्मा
धार्मिक ग्रंथों में विश्वकर्मा को सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी का वंशज माना जाता है। ब्रह्माजी के सातवें पुत्र विश्वकर्मा देव थे। विश्वकर्मा भगवान को संसार का पहला शिल्पकार माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा एक त्योहार है जहां कारीगर, शिल्पकार और श्रमिक भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा के पुत्र विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया था। विश्वकर्मा को देवताओं के महलों का वास्तुकार भी माना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि द्वारका नगरी से लेकर रावण की लंका तक का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था। इसलिए भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। विश्वकर्मा दो शब्दों से मिलकर बना है विश्व (विश्व या ब्रह्मांड) और कर्म (निर्माता)। इसलिए, विश्वकर्मा शब्द का अर्थ है दुनिया का निर्माता, अर्थात वह जो संसार की रचना करता है।Vishwakarma Puja Vidhi: विश्वकर्मा पूजा विधि
- इस दिन सुबह-सुबह अपनी गाड़ी, मोटर या दुकान की मशीनों की अच्छे से सफाई कर लें।
- फिर स्नान करने के बाद अपनी पत्नी के साथ पूजा के स्थान पर बैठ जाए।
- फिर भगवान विष्णु जी का ध्यान करें और उन्हें फूल अर्पित करें।
- भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सुबह का समय ज्यादा शुभ माना जाता है इसलिए कोशिश करें कि सुबह में ही स्नान-ध्यान के बाद भगवान की पूजा करें।
- पूजा के लिए भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर, जल से भरा कलश, धूप, सुपारी, पीली सरसों, अक्षत, माला, फूल, चंदन आदि सामग्री को एकत्रित कर लें।
- इसके बाद अपने हाथ में फूल और अक्षत लेकर इस मन्त्र का उच्चारण करें, “ऊं आधार शक्तपे नमः ऊं कूमयि नमः ऊं अनंतम नमः ऊं पृथिव्यै नमः ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः।”
- मंत्र पढ़ने के बाद हाथ में रखे अक्षत और फूल भगवान पर चढ़ा दें।
- फिर पीली सरसों को चार पोटलियों में बांधकर कार्यस्थल या ऑफिल की चारों दिशाओं में लटका दें।
- इसके बाद अपने हाथ में और पूजा स्थल पर उपस्थित लोगों के हाथ में मोली बांध लें।
- फिर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए उनकी आराधना करें।
- अब जमीन पर आठ पंखुड़ियों वाला एक कमल बनाएं और उस पर फूल चढ़ा दें।
- इसके बाद अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और अंत में प्रसाद बांटे।
Vishwakarma Puja Vrat Katha: विश्वकर्मा पूजा व्रत कथा
जब सृष्टि का निर्माण हो रहा था, तो वहां सबसे पहले भगवान नारायण सागर में शेषशय्या पर प्रकट हुए। भगवान विष्णु के प्रकट होने के बाद उनकी नाभि से भगवान ब्रह्मा दृष्टिगोचर हो गए थें। ब्रह्मा के पुत्र 'धर्म' और धर्म के पुत्र 'वासुदेव' थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 'वस्तु' से उत्पन्न 'वास्तु' सातवें पुत्र थे,जो शिल्पशास्त्र के ज्ञाता थे। वासुदेव की पत्नी अंगिरसी' ने विश्वकर्मा जी को जन्म दिया। आगे चलकर भगवान विश्वकर्मा भी वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बनें।Vishwakarma Puja Mantra: विश्वकर्मा पूजा मंत्र
ओम आधार शक्तपे नम: और ओम् कूमयि नम:; ओम् अनन्तम नम:, पृथिव्यै नमविश्वकर्मा जयंती 2023 का महत्व (Vishwakarma Puja 2023 Significance)
विश्वकर्मा जयंती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन विश्व के पहले वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इनकी पूजा से व्यक्ति की शिल्पकला का विकास होता है। इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से विश्वकर्मा जी की पूजा करते हैं। साथ ही अपने कार्यस्थल में प्रयोग किए जाने वाले औजारों और अस्त्रों की साफ सफाई करके उनकी पूजा भी करते हैं। इस पूजा के बाद प्रसाद बांटने का भी विधान है।Vishwakarma Puja Samagri List in Hindi: विश्वकर्मा पूजा सामग्री लिस्ट इन हिंदी
- विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा
- रोली
- लौंग
- इलायची
- सर्वौषधि
- सप्तमृत्तिका
- पीली सरसों
- जनेऊ 5 पीस
- इत्र
- पीला सिंदूर
- पीला अष्टगंध चंदन
- लाल सिंदूर
- हल्दी (पिसी)
- जटादार सूखा नारियल 1 पीस
- अक्षत (चावल) 1 किलो
- धूपबत्ती
- रुई की बत्ती (गोल / लंबी)
- देशी घी
- हल्दी (समूची)
- सुपाड़ी (समूची बड़ी)
- गरी का गोला (सूखा) 2 पीस
- पानी वाला नारियल 1 पीस
- कपूर
- कलावा
- लाल वस्त्र 1 मीटर
- पीला वस्त्र 1 मीटर
- कुश (पवित्री)
- लकड़ी की चौकी
- चुनरी (लाल या पीली)
- बताशा 500 ग्राम
- गंगाजल
- नवग्रह चावल
- दोना (छोटा-बड़ा)
- मिट्टी का कलश (बड़ा)
- मिट्टी का प्याला 8 पीस
- नवग्रह समिधा 1 पैकेट
- हवन सामग्री 500 ग्राम
- तिल 100 ग्राम
- जौ 100 ग्राम
- मिट्टी की दियाली 8 पीस
- हवन कुण्ड
- माचिस
- आम की लकड़ी 2 किलो
- पंचरत्न व पंचधातु
- धोती पीली या लाल 1 पीस
- अगोंछा पीला या लाल 1 पीस
- गुड़ 100 ग्राम
- कमलगट्टा 100 ग्राम
- शहद
- पंचमेवा
- मिष्ठान 500 ग्राम
- पान के पत्ते (समूचे) 21 पीस
- ऋतु फल 5 प्रकार के
- दूब घास 50 ग्राम
- केले के पत्ते 5 पीस
- आम के पत्ते 2 डंठल
- फूल माला
- गुलाब/गेंदा का खुला हुआ फूल 500 ग्राम
- धोती
- कुर्ता
- अंगोछा
- पंच पात्र
- माला इत्यादि
- तुलसी की पत्ती
- दूध 1 लीटर
- दही 1 किलो
- जल (पूजन हेतु)
- गाय का गोबर
- मिट्टी
- बिछाने का आसन
- आटा 100 ग्राम
- चीनी 500 ग्राम
- अखंड दीपक
- तांबे/पीतल का कलश
- थाली
- कटोरी
- चम्मच
- परात
- पंचामृत
Vishwakarma Puja 2023 Muhurat Time: विश्वकर्मा पूजा मुहूर्त
विश्वकर्मा पूजा- 17 सितंबर 2023, रविवारविश्वकर्मा पूजा मुहूर्त- 7:50 AM से 12:26 PMविश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रान्ति का क्षण - 01:43 PMद्विपुष्कर योग - 10:02 AM से 11:08 AMसर्वार्थ सिद्धि योग - 06:07 AM से 10:02 AMअमृत सिद्धि योग - 06:07 AM से 10:02 AMVishwakarma Puja Ki Aarti: विश्वकर्मा पूजा की आरती
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि मे विधि को,
श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में,
ज्ञान विकास किया ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
ऋषि अंगीरा तप से,
शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का,
सकल सिद्धि आई ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने,
जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर,
दूर दुःखा कीना ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दंपति,
तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना,
विपत सगरी हरी ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन,
पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज,
सकल रूप साजे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे तब पद का,
सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे,
अटल शक्ति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा की आरती,
जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी,
सुख संपति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा ॥
Vishwakarma Puja Aarti: om jai shri vishwakarma aarti in hindi
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर,दूर दुख कीना॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
Vishwakarma Puja Gana: विश्वकर्मा पूजा गाना
बाबा विश्वकर्मा जैसी रचनाविश्व में कोई करता नहीं हैबाबा विश्वकर्मा जैसी रचनाविश्व में कोई करता नहीं हैचाहे देवालय हो या शिवालयउनके इच्छा के बिन बनता नहीं हैसतयुग में ये स्वर्ग सजायेद्वापर में ये द्वारिका बनाएसतयुग में ये स्वर्ग सजायेद्वापर में ये द्वारिका बनाएइस युग में भी बिन इनकी कृपाकोई इंसान चलता नहीं हैइस युग में भी बिन इनकी कृपाकोई इंसान चलता नहीं हैकाला कौशल से अपने बनाएविश्वकर्मा जी सोने की लंकाखंडहर को भी महल बना देआदि अभियंता कोई नहीं हैबाबा विश्वकर्मा जैसी रचनाविश्व में कोई करता नहीं हैVishwakarma Puja 2023 Asthkam: श्री विश्वकर्मा अष्टकम
निरञ्जनो निराकारः निर्विकल्पो मनोहरः । निरामयो निजानन्दः निर्विघ्नाय नमो नमः ॥ ॥ अनादिरप्रमेयश्च अरूपश्च जयाजयः । लोकरूपो जगन्नाथः विश्वकर्मन्नमो नमः ॥॥ नमो विश्वविहाराय नमो विश्वविहारिणे । नमो विश्वविधाताय नमस्ते विश्वकर्मणे ॥ ॥ नमस्ते विश्वरूपाय विश्वभूताय ते नमः । नमो विश्वात्मभूथात्मन् विश्वकर्मन्नमोऽस्तु ते ॥ ॥ विश्वायुर्विश्वकर्मा च विश्वमूर्तिः परात्परः । विश्वनाथः पिता चैव विश्वकर्मन्नमोऽस्तु ते ॥ ॥ विश्वमङ्गलमाङ्गल्यः विश्वविद्याविनोदितः । विश्वसञ्चारशाली च विश्वकर्मन्नमोऽस्तु ते ॥ ॥ विश्वैकविधवृक्षश्च विश्वशाखा महाविधः । शाखोपशाखाश्च तथा तद्वृक्षो विश्वकर्मणः ॥ ॥ तद्वृक्षः फलसम्पूर्णः अक्षोभ्यश्च परात्परः । अनुपमानो ब्रह्माण्डः बीजमोङ्कारमेव च ॥ ॥ । इति विश्वकर्माष्टकं सम्पूर्णम् ।Vishwakarma Puja 2023 Stotram: श्री विश्वकर्मा स्तोत्र
विश्वकर्म ध्यानम् ।न भूमिर्न जलञ्चैव न तेजो न च वायवःनाकाशं च न चित्तञ्च न बुद्धीन्द्रियगोचराःन च ब्रह्मा न विष्णुश्च न रुद्रश्च तारकाःसर्वशून्या निरालम्बा स्वयम्भूता विराटसत्सदापरात्मा विश्वात्मा विश्वकर्मा सदाशिवः ॥श्रितमध्यतमध्यस्तं ब्रह्मादिसुरसेवितम् ।लोकाध्यक्षं भजेऽहं त्वां विश्वकर्माणमव्ययम् ॥प्राकादिदिङ्मुखोत्पन्नो सनकश्च सनातनः ।अभुवनस्य प्रत्नस्य सुपर्णस्य नमाम्यहम् ॥अखिलभुवनबीजकारणम् ।प्रणवतत्त्वं प्रणवमयं नमामि ॥पञ्चवक्त्रं जटाधरं पञ्चदशविलोचनम् ।सद्योजाताननं श्वेतं च वामदेवन्तु कृष्णकम् ॥अघोरं रक्तवर्णं च तत्पुरुषं हरितप्रभम् ।ईशानं पीतवर्णं च शरीरं हेमवर्णकम् ॥दशबाहुं महाकायं कर्णकुण्डलशोभितम् ।पीताम्बरं पुष्पमालं नागयज्ञोपवीतिनम् ॥रुद्राक्षमालासंयुक्तं व्याघ्रचर्मोत्तरीयकम् ।पिनाकमक्षमालाञ्च नागशूलवराम्बुजम् ॥वीणां डमरुकं बाणं शङ्खचक्रधरं तथा ।कोटिसूर्यप्रतीकाशं सर्वजीवदयापरम् ॥विश्वेशं विश्वकर्माणं विश्वनिर्माणकारिणम् ।ऋषिभिः सनकाद्यैश्च संयुक्तं प्रणमाम्यहम् ॥इति विश्वकर्मस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥Vishwakarma 108 Name: भगवान श्री विश्वकर्मा जी के 108 नाम
ॐ वास्तोष्पतये नमःॐ विश्वभंराय नमःॐ वर्मिणे नमःॐ वरदाय नमःॐ विश्वेशाधिपतये नमःॐ वितलाय नमःॐ विशभुंजाय नमःॐ विश्वव्यापिने नमःॐ देवाय नमःॐ धार्मिणे नमःॐ गुणवल्लभाय नमःॐ भूकल्पाय नमःॐ भूलेंकाय नमःॐ भुवलेकाय नमःॐ चतुर्भुजय नमःॐ विश्वरुपाय नमःॐ विश्वव्यापक नमःॐ अनन्ताय नमःॐ अन्ताय नमःॐ आह्माने नमः ॐ विश्वकर्मणे नमःॐ विश्वात्मने नमःॐ विश्वस्माय नमःॐ विश्वधाराय नमःॐ विश्वधर्माय नमःॐ विरजे नमःॐ विश्वेक्ष्वराय नमःॐ विष्णवे नमःॐ विश्वधराय नमःॐ विश्वकराय नमःॐ धीराय नमःॐ धराय नमःॐ परात्मने नमःॐ पुरुषाय नमःॐ धर्मात्मने नमःॐ श्वेतांगाय नमःॐ श्वेतवस्त्राय नमःॐ हंसवाहनाय नमःॐ त्रिगुणात्मने नमःॐ सत्यात्मने नमः ॐ अतलाय नमःॐ आघ्रात्मने नमःॐ अनन्तमुखाय नमःॐ अनन्तभूजाय नमःॐ अनन्तयक्षुय नमःॐ अनन्तकल्पाय नमःॐ अनन्तशक्तिभूते नमःॐ अतिसूक्ष्माय नमःॐ त्रिनेत्राय नमःॐ कंबीघराय नमः ॐ ज्ञानमुद्राय नमःॐ सूत्रात्मने नमःॐ सूत्रधराय नमःॐ महलोकाय नमःॐ जनलोकाय नमःॐ तषोलोकाय नमःॐ सत्यकोकाय नमःॐ सुतलाय नमःॐ सलातलाय नमःॐ महातलाय नमः ॐ रसातलाय नमःॐ पातालाय नमःॐ मनुषपिणे नमःॐ त्वष्टे नमःॐ देवज्ञाय नमःॐ पूर्णप्रभाय नमःॐ ह्रदयवासिने नमःॐ दुष्टदमनाथ नमःॐ देवधराय नमःॐ स्थिर कराय नमः ॐ वासपात्रे नमःॐ पूर्णानंदाय नमःॐ सानन्दाय नमःॐ सर्वेश्वरांय नमःॐ परमेश्वराय नमःॐ तेजात्मने नमःॐ परमात्मने नमःॐ कृतिपतये नमःॐ बृहद् स्मणय नमःॐ ब्रह्मांडाय नमः ॐ भुवनपतये नमःॐ त्रिभुवनाथ नमःॐ सतातनाथ नमःॐ सर्वादये नमःॐ कर्षापाय नमःॐ हर्षाय नमःॐ सुखकत्रे नमःॐ दुखहर्त्रे नमःॐ निर्विकल्पाय नमःॐ निर्विधाय नमः ॐ निस्माय नमःॐ निराधाराय नमःॐ निकाकाराय नमःॐ महदुर्लभाय नमःॐ निमोहाय नमःॐ शांतिमुर्तय नमःॐ शांतिदात्रे नमःॐ मोक्षदात्रे नमःॐ स्थवीराय नमःॐ सूक्ष्माय नमःॐ निर्मोहय नमः ।ॐ धराधराय नमःॐ स्थूतिस्माय नमःॐ विश्वरक्षकाय नमःॐ दुर्लभाय नमःॐ स्वर्गलोकाय नमःॐ पंचवकत्राय नमःॐ विश्वलल्लभाय नमः।108Vishwakarma Puja 2023 Aarti : विश्वकर्मा जी की आरती
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,जय श्री विश्वकर्मा ।सकल सृष्टि के करता,रक्षक स्तुति धर्मा ॥जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,जय श्री विश्वकर्मा ।आदि सृष्टि मे विधि को,श्रुति उपदेश दिया ।जीव मात्र का जग में,ज्ञान विकास किया ॥जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,जय श्री विश्वकर्मा ।ऋषि अंगीरा तप से,शांति नहीं पाई ।ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई ॥जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,जय श्री विश्वकर्मा ।रोग ग्रस्त राजा ने,जब आश्रय लीना ।संकट मोचन बनकर,दूर दुःखा कीना ॥जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,जय श्री विश्वकर्मा ।जब रथकार दंपति,तुम्हारी टेर करी ।सुनकर दीन प्रार्थना,विपत सगरी हरी ॥जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,जय श्री विश्वकर्मा ।एकानन चतुरानन,पंचानन राजे।त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज,सकल रूप साजे ॥जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,जय श्री विश्वकर्मा ।ध्यान धरे तब पद का,सकल सिद्धि आवे ।मन द्विविधा मिट जावे,अटल शक्ति पावे ॥जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,जय श्री विश्वकर्मा ।श्री विश्वकर्मा की आरती,जो कोई गावे ।भजत गजानांद स्वामी,सुख संपति पावे ॥जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,जय श्री विश्वकर्मा ।सकल सृष्टि के करता,रक्षक स्तुति धर्मा ॥Vishwakarma Puja 2023: विश्वकर्मा पूजा के दिन क्यों की जाती है मशीन की पूजा
ऐसा मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने सबसे पहले अस्त्र, शस्त्र का निर्माण किया था। माना यह भी जाता है कि त्रेतायुग में विश्वकर्मा जी ने सोने की लंका बनाई थी साथ ही पुष्पक विमान भी बनाया था। इस कारण विश्वकर्मा पूजा के दिन मशीन और औजारों की पूजा की जाती है। उसमें भगवान विश्वकर्मा का वास माना जाता है।Vishwakarma Puja 2023 Chalisa: विश्वकर्मा चालीसा
विश्वकर्मा चालीसाश्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान ॥ चौपाई ॥जय श्री विश्वकर्म भगवाना । जय विश्वेश्वर कृपा निधाना शिल्पाचार्य परम उपकारी । भुवना-पुत्र नाम छविकारी अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर । शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर ॥अद्भुत सकल सृष्टि के कर्ता । सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता ॥अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं । कोई विश्व मंह जानत नाही ॥विश्व सृष्टि-कर्ता विश्वेशा । अद्भुत वरण विराज सुवेशा ॥एकानन पंचानन राजे । द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे ॥चक्र सुदर्शन धारण कीन्हे । वारि कमण्डल वर कर लीन्हे ॥शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा । सोहत सूत्र माप अनुरूपा ॥धनुष बाण अरु त्रिशूल सोहे । नौवें हाथ कमल मन मोहे ॥दसवां हस्त बरद जग हेतु । अति भव सिंधु मांहि वर सेतु ॥सूरज तेज हरण तुम कियऊ । अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ ॥चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका । दण्ड पालकी शस्त्र अनेका ॥विष्णुहिं चक्र शूल शंकरहीं । अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं ॥इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा । तुम सबकी पूरण की आशा ॥भांति-भांति के अस्त्र रचाए । सतपथ को प्रभु सदा बचाए ॥अमृत घट के तुम निर्माता । साधु संत भक्तन सुर त्राता ॥लौह काष्ट ताम्र पाषाणा । स्वर्ण शिल्प के परम सजाना ॥विद्युत अग्नि पवन भू वारी । इनसे अद्भुत काज सवारी ॥खान-पान हित भाजन नाना । भवन विभिषत विविध विधाना ॥विविध व्सत हित यत्रं अपारा । विरचेहु तुम समस्त संसारा ॥द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका । विविध महा औषधि सविवेका शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला । वरुण कुबेर अग्नि यमकाला ॥तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ । करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ ॥भे आतुर प्रभु लखि सुर-शोका । कियउ काज सब भये अशोका ॥अद्भुत रचे यान मनहारी । जल-थल-गगन मांहि-समचारी ॥शिव अरु विश्वकर्म प्रभु मांही । विज्ञान कह अंतर नाही बरनै कौन स्वरूप तुम्हारा । सकल सृष्टि है तव विस्तारा रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा । तुम बिन हरै कौन भव हारी ॥मंगल-मूल भगत भय हारी । शोक रहित त्रैलोक विहारी ॥चारो युग परताप तुम्हारा । अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा ॥ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता । वर विज्ञान वेद के ज्ञाता ॥मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा । सबकी नित करतें हैं रक्षा ॥॥पंच पुत्र नित जग हित धर्मा । हवै निष्काम करै निज कर्मा ॥प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई । विपदा हरै जगत मंह जोई ॥जै जै जै भौवन विश्वकर्मा । करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा ॥इक सौ आठ जाप कर जोई । छीजै विपत्ति महासुख होई ॥पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा । होय सिद्ध साक्षी गौरीशा ॥विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे । हो प्रसन्न हम बालक तेरे ॥मैं हूं सदा उमापति चेरा । सदा करो प्रभु मन मंह डेरा ॥॥ दोहा ॥करहु कृपा शंकर सरिस, विश्वकर्मा शिवरूप ।श्री शुभदा रचना सहित, ह्रदय बसहु सूर भूप ॥Vishwakarma Puja 2023: विश्वकर्मा ने किया इन चीजों का निर्माण
भगवान विश्वकर्मा ने रावण की लंका, कृष्ण नगरी द्वारिका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगरी और हस्तिनापुर का निर्माण किया है। इसके साथी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर की भी मूर्तियां बनाई हैं। ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान विश्वकर्मा असुरों से परेशान देवताओं के गुहार पर महर्षि दधीची की हड्डियों से देवाताओं के राजा इंद्र के लिए एक वज्र बनाया था।Vishwakarma Puja 2023: भगवान विश्वकर्मा ने बनाया जगन्नाथ मंदिर
भगवान विश्वकर्मा ने उड़ीसा में स्थित जगन्नाथ मंदिर के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण अपने हाथों से किया था। इस मंदिर में आज भी हजारों की संख्या में लोग दशर्न करने जाते हैं। भगवान विश्वकर्मा ने अनेक चीजों का निर्माण किया है। देवताओं के लिए शास्त्र में इन्होंने ही बनाये हैं।Vishwakarma Puja 2023 Stuti: विश्वकर्मा देव स्तुति
पञ्चवक्त्रं जटाजूटं पञ्चादशविलोचनम् ।सद्योजाताननं श्वेतं वामदेवं तु कृष्णकम् ॥ अघोरं रक्तवर्णं तत्पुरुषं पीतवर्णकम् ।ईशानं श्यामवर्णं च शरीरं हेमवर्णकम् ॥ दशबाहुं महाकायं कर्णकुण्डलमण्डितम् ।पीताम्बरं पुष्पमाला नागयज्ञोपवीतनम् ॥ रुद्राक्षमालाभरणं व्याघ्रचर्मोत्तरीयकम् ।अक्षमालां च पद्मं च नागशूलपिनाकिनम् ॥ डमरुं वीणां बाणं च शङ्खचक्रकरान्वितम् ।कोटिसूर्यप्रतीकाशं सर्वजीवदयापरम् ॥ देवदेवं महादेवं विश्वकर्म जगद्गुरुम् ।प्रसन्नवदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तये ॥ अभीप्सितार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो यस्सुरैरपि ।सर्वविघ्नहरं देवं सर्वावज्ञाविवर्जितम् ॥ आहुं प्रजानां भक्तानामत्यन्तं भक्तिपूर्वकम् ।सृजन्तं विश्वकर्माणं नमो ब्रह्महिताय च ॥ मन्त्रम् – ओम् विश्वकर्माय नमः ।Vishwakarma Puja 2023: लंका का किया था निर्मण
भगवान विश्वकर्मा ने रावण की लंका का भी निर्माण किया था। विश्वकर्मा भगवान ने शिव जी के कहने पर सोने की भव्य लंका का निर्माण किया था। जिसे बाद में शिव जी ने रावण के मांगने पर उसे ये सोने की लंका दान में दे दी थी। विश्वकर्मा भगवान ने देवताओं के लिए बहुत से शास्त्रों का भी निर्माण किया है।Vishwakarma Puja 2023: विश्वकर्मा जी ने किया था द्वारका का निर्माण
ऐसा माना जाता है कि देवी-देवताओं से जुड़े सभी निर्माण के कार्य भगवान विश्वकर्मा जी ने ही किया था। भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका भी विश्वकर्मा भगवान ने ही बनाई थी। इसके बाद श्रीकृष्ण-बलराम और यदुवंशी द्वारका नगरी में बस गए थे।Vishwakarma Puja 2023 Shubh Yog- विश्वकर्मा पूजा शुभ योग
विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रान्ति का क्षण - 01:43 AMकन्या संक्रान्ति रविवार, सितम्बर 17, 2023 कोद्विपुष्कर योग- 10:02 AM से 11:08 AMअमृत सिद्धि योग- 06:07 AM से 10:02 AMसर्वार्थ सिद्धि योग- 06:07 AM से 10:02 AMVishwakarma Puja 2023: विश्वकर्मा पूजा सामग्री
सुपारी, रोली, पीला अष्टगंध चंदन, हल्दी, लौंग, मौली, लकड़ी की चौकीबत्ती, कपूर, देसी घी, हवन कुण्ड, आम की लकड़ी, दही, फूलपीला कपड़ा, मिट्टी का कलश, नवग्रह समिधा, जनेऊ, इलायचीइत्र, सूखा गोला, जटा वाला नारियल, धूपबत्ती, अक्षत, धूप, फल, मिठाईVishwakarma Puja 2023 Date: कब है विश्वकर्मा पूजा
हर साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन कन्या संक्रांति भी मनाई जाती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन विश्वकर्मा भगवान की पूजा करने से साधक की सारी इच्छा पूर्ति होती है। बिजनेस कर रहे लोगों को इनकी पूजा करने से बहुत लाभ प्राप्त होता है। विश्वकर्मा भगवान की पूजा से बिजनेस में तरक्की मिलती है।Vishwakarma Puja 2023- विश्वकर्मा मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:।ॐ चतुर्भुजय विदमहे, हंसवाहनाय धीमहि । तन्नो विश्वकर्मा प्रचोदयात ।।ॐ प्रजापतये विदमहे, पुरुषाय धीमहि । तन्नो विश्वकर्मा प्रचोदयात ।।ॐ अनन्ताय विदमहे, विश्वरूपाय धीमहि । तन्नो विश्वकर्मा प्रचोदयात ।।ॐ सर्वेश्वरांय विदमहे, विश्वरक्षकाय धीमहि । तन्नो विश्वकर्मा प्रचोदयात ।।Vishwakarma Puja Vidhi- विश्वकर्मा पूजा के दिन इस विधि से करें पूजा
विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और सारे मशीन औजारों को निकाल कर उन्हें भी अच्छे से साफ कर लें। उसके बाद साफ चौकी पर विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और उन्हें माला पहनाएं। हाथों में फूल अक्षत लेकर भगवान का ध्यान करें। मंत्रों का उच्चारण कर आरती करें और उसके बाद भोग लगाकर सब में प्रसाद का वितरण करें।Vishwakarma Puja 2023: विश्वकर्मा पूजा के दिन किस चीज की पूजा की जाती है
विश्वकर्मा पूजा के दिन विश्वकर्मा भगवान की पूजा की जाती है और इसके साथ ही मशीन और औजारो की भी पूजा की जाती है। इस दिन कारखानो में बहुत ही धूमधाम से ये पूजा की जाती है। कारखाने के मालिक पूजा के बाद भंडारा भी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से बिजनेस में तरक्की मिलती है और काम में सफलता मिलती है।24 November 2024 Panchang: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के शुभ मुहूर्त, राहुकाल समेत पूरा पंचांग यहां देखें
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