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भगवान विश्वकर्मा की आरती, पूजा विधि, मंत्र, कथा, महत्व, गाने यहां जानें पूरी जानकारी

हर साल विश्वकर्मा पूजा का त्योहार 17 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन निर्माण और वास्तु के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त, विधि, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ।

भगवान विश्वकर्मा की आरती, पूजा विधि, मंत्र, कथा, महत्व, गाने यहां जानें पूरी जानकारी
भारत में भगवान विश्वकर्मा को वास्तुकार के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं इनकी पूजा से व्यक्ति के अंदर शिल्पकला का विकास होता है। हर साल कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन भगवान विश्वकर्मा की विधि विधान पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने औजारों, मशीनों और अस्त्रों की अच्छे से साफ-सफाई करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। ये दिन मुख्य रूप से शिल्पकारों के लिए बहुत खास होता है। कई जगह इस दिन दुकानें और कारखाने बंद रहते हैं। इस मौके पर कई राज्यों जैसे उत्तरप्रदेश, बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में भगवान विश्वकर्मा की मूर्तियों की झाकियां निकाली जाती हैं।

विश्वकर्मा पूजा विधि और मंत्र

विश्वकर्मा पूजा 2024 मुहूर्त (Vishwakarma Puja 2024 Muhurat)
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 17 सितंबर की सुबह 06 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इस बीच आप विश्वकर्मा भगवान की पूजा कर सकते हैं।

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विश्वकर्मा पूजन विधि (Vishwakarma Puja Vidhi)

  • इस दिन अपनी मशीनों और औजारों की साफ सफाई जरूर करें। हो सके तो इस दिन मशीनों को आराम दें।
  • इसके बाद स्नान कर पूजा स्थान पर बैठ जाएं।
  • अगर आप विवाहित हैं तो ये पूजा अपनी पत्नी संग करें।
  • इसके बाद हाथ में फूल लेकर भगवान विष्‍णु जी का ध्‍यान करें और फिर ये फूल विष्णु भगवान की प्रतिमा पर चढ़ा दें।
  • ये पूज फैक्टरी, वर्कशॉप या ऑफिस में की जानी चाहिए।
  • विश्वकर्मा जी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह में ही होता है, इसलिए कोशिश करें कि सुबह में ही स्नान-ध्यान करके ये पूजा संपन्न कर लें।
  • पूजा के लिए सभी जरूरी सामग्री एकत्रित कर लें। इस सामग्री में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर, जल से भरा कलश, थोड़े अक्षत, फूल, माला, चंदन, धूप, पीली सरसों, सुपारी, फल और प्रसाद आदि जरूर होना चाहिए।
  • फिर हाथ में फूल और थोड़े अक्षत लेकर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए इस मन्त्र का उच्चारण करें, “ऊं आधार शक्तपे नमः ऊं कूमयि नमः ऊं अनंतम नमः ऊं पृथिव्यै नमः ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः।”
  • मंत्र पढ़ने के बाद अपने हाथ में लिए गए अक्षत को भगवान को समर्पित कर दें।
  • इसके बाद पीली सरसों को चार पोटलियों में बांधकर चारों दिशाओं के द्वार पर उन्हें बांध दें।
  • इसके बाद अपने और पूजा में उपस्थित हुए लोगों के हाथ में मोली बांधें।
  • संभव हो तो ये पूजा किसी योग्य ब्राह्मण से कराएं ताकि किसी प्रकार की गलती न हो।
  • फिर जमीन पर आठ पंखुड़‍ियों वाला कमल बनाएं और उस पर पुष्प चढ़ा दें।
  • अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और सभी में प्रसाद बांटे।
  • अगले दिन विश्वकर्मा जी की प्रतिमा का विसर्जन कर दें।

भगवान विश्वकर्मा की आरती (Bhagwan Vishwakarma Ki Aarti)
ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ ॐ जय…
आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय…
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ ॐ जय…
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःख कीना॥ ॐ जय…
जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥ ॐ जय…
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ ॐ जय…
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ ॐ जय…
“श्री विश्वकर्मा जी” की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानंद स्वामी, सुख संपति पावे॥ ॐ जय…
Sep 17, 2024 | 04:35 PM IST

विश्वकर्मा जयंती पर भूलकर भी न करें ये काम

विश्वकर्मा पूजा के दिन जिन औजारों और मशीनों की आप पूजा कर रहे हैं उन्हें दूसरों को इस्तेमाल करने के लिए न दें। विश्वकर्मा पूजा के समय भगवान की प्रतिमा के साथ औजार रखना न भूलें। इस दिन रोजमर्रा की मशीनों की साफ-सफाई करना न भूलें। विश्वकर्मा पूजा के दिन किसी भी पुराने औजार या उपकरण को न फेंकें। इस दिन मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
Sep 17, 2024 | 04:23 PM IST

Which Festival is today: आज कौन सा त्योहार है

भाद्रपद महीने में जब सूर्यदेव कन्या राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करते हैं तब विश्वकर्मा पूजा का पर्व मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल सूर्यदेव, 16 सितंबर की शाम को 7 बजकर 29 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए इस बार विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को मनाई जाएगी.
Sep 17, 2024 | 04:02 PM IST

Who is Vishwakarma God: कौन हैं भगवान विश्वकर्मा

सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की सातवीं संतान भगवान विश्वकर्मा को माना जाता है। कुछ धर्म ग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा को महादेव का अवतार बताया गया है। मान्यता के अनुसार, विश्वकर्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण के लिए द्वारका नगरी का निर्माण किया था। वहीं, सोने की लंका भी बनाई थी।
Sep 17, 2024 | 03:41 PM IST

<u>Vishwakarma</u> Bhagwan Ke Gana : विश्वकर्मा पूजा के गाने

दोहा – रचना रा हो राजवी,
करणी रा किरतार,
शिल्प सवायो आपरो,
श्री विश्वकर्मा दातार।
विश्वकर्मा महाराज म्हारा,
सारो सगला काज,
आवो आंगनीया मे आज,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
मात भोवना री गर्भ में आया,
माघ सुदी तेरस ने जी,
मात पिता मन हर्षाया,
सखीया मंगला गाया जी,
सुवास करे गुलाल।
आंगन गूंज रयी किलकार,
छायो हिवडे हरख अपार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
सतयुग में थे स्वर्ग बनायो,
देव आसरो पायो जी,
देवादल आनंद उर छायो,
गुण थारो जद गायो जी,
सुन्दर रचना करी सकार,
वास्तु रचना करी अपार,
थारो गुडा मालानी दरबार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
त्रेतायुग मे लंका बनायी,
वैभव जग में पायो जी,
कार सोवनी ईट लगाई,
कंचन हेम लगायो जी,
दीनो रावण ने अधिकार,
थाको लंका रे दरबार,
आवो सायेला दरबार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
द्वापरयुग मे द्वारिका बनायी,
कृष्ण जी रे मन भायी जी,
दावु द्वारिका घणी सरायी,
यादव वास बसायो जी,
थे हो इनरा रचनाकार,
बनायी सागर री किनार,
दर्शन आवे नर नार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
इन्द्रप्रस्थ ने आप बनाया,
सुदामा पूरी बनायी जी,
दुख दलिन्दर आप मिटाया,
लीला अजब रचायी जी,
ईलाचल दरबार कर रया,
सुर नर मुनी जयकार,
वंदन करता बारम्बार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
जो जन कोई निर्माण करावे,
सबसे पहले मनावा जी,
सुख समृद्धि सो नर पावे,
वास्तु दोष मिटावे जी,
‘श्याम’ करे अरदास,
थाने सिवरे बारम्बार,
करजो भगता रो बेडो पार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
विश्वकर्मां महाराज म्हारा,
सारो सगला काज,
आवो आंगनीया मे आज,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
Sep 17, 2024 | 03:20 PM IST

Vishwakarma Puja Mantra: विश्वकर्मा पूजा मंत्र

नमस्ते विश्वकर्माय, त्वमेव कर्तृता सदा।

शिल्पं विधाय सर्वत्र, त्वं विश्वेशो नमो नमः।।
Sep 17, 2024 | 03:00 PM IST

विश्वकर्मा पूजा इतिहास : Vishwakarma Puja History

धार्मिक मान्यता है कि कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja History) का अवतरण हुआ था। इसी वजह से इस दिन को विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, कुबेरपुरी जैसे सभी देवनगरी का रचनाकार कहा जाता है। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका और भगवान श्रीकृष्ण के लिए द्वारका नगरी का निर्माण किया था। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से जातक को कार्यक्षेत्र में आ रही बाधा से मुक्ति मिलती है और बिज़नेस में अपार सफलता प्राप्त होती है।
Sep 17, 2024 | 02:40 PM IST

Vishwakarma Puja timing today 2024: विश्वकर्मा पूजा 2024 शुभ मुहूर्त

भगवान विश्वकर्मा की पूजा 17 सितंबर को होगी। पूजा का मुहूर्त सुबह 6:30 बजे से शाम 6:16 बजे तक रहेगा।
Sep 17, 2024 | 02:20 PM IST

विश्वकर्मा पूजा विधि : Vishwakarma Puja Vidhi In Hindi

इस दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले अपनी गाड़ी, मोटर या दुकान की मशीनों को साफ करें।
इसके बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर अपनी पत्नी के साथ पूजा के स्थान पर बैठ जाए।
सबसे पहले हाथ में फूल लेकर श्री हरि विष्णु भगवान का ध्यान करें और फिर उन्हें पुष्प चढ़ाएं।
इसके बाद विश्वकर्मा भगवान की पूजा करें।
पूजा के स्थान पर जल से भरा कलश, अक्षत, माला, धूप, सुपारी, फूल, चंदन, पीली सरसों आदि चीजें जरूर रखें।
हाथ में फूल और अक्षत लेकर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए इस मन्त्र का उच्चारण करें, “ऊं आधार शक्तपे नमः ऊं कूमयि नमः ऊं अनंतम नमः ऊं पृथिव्यै नमः ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः।”
इसके बाद हाथ में लिए अक्षत और फूल भगवान को समर्पित करें।
फिर पीली सरसों की चार पोटलियां बनाएं और उन्हें चारों दिशाओं में द्वार बांध दें।
इसके बाद अपने हाथ में और पूजा में उपस्थित अन्य लोगों के हाथ में कलावा बांधें।
अब जमीन पर आठ पंखुड़‍ियों वाला कमल बनाकर उसे पुष्प अर्पित करें।
इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती उतारे और सभी में प्रसाद बांटे।
पूजन से अगले दिन विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा का विसर्जन करने का विधान है।
Sep 17, 2024 | 02:00 PM IST

Vishwakarma Puja Don'ts : विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या ना करें

विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों का प्रयोग ना करें।
इस दिन औजारों को इघर उधर ना फेंके।
इस दिन मांस मदिरा और तामसिक चीजों का भोजन ना करें।
शिल्पकार को विश्वकर्मा पूजा के दिन नए यंत्रों को नहीं बनाना चाहिए।
Sep 17, 2024 | 01:45 PM IST

विश्वकर्मा जी की आरती pdf : Aarti Vishwakarma Ji Ki In Hindi Pdf

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि मे विधि को, श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ऋषि अंगीरा तप से, शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःखा कीना ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दंपति, तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत सगरी हरी ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप साजे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा की आरती, जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी, सुख संपति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
Sep 17, 2024 | 01:17 PM IST

विश्वकर्मा महाराज म्हारा सारो सगला काज लिरिक्स

दोहा – रचना रा हो राजवी,
करणी रा किरतार,
शिल्प सवायो आपरो,
श्री विश्वकर्मा दातार।
विश्वकर्मा महाराज म्हारा,
सारो सगला काज,
आवो आंगनीया मे आज,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
मात भोवना री गर्भ में आया,
माघ सुदी तेरस ने जी,
मात पिता मन हर्षाया,
सखीया मंगला गाया जी,
सुवास करे गुलाल।
आंगन गूंज रयी किलकार,
छायो हिवडे हरख अपार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
सतयुग में थे स्वर्ग बनायो,
देव आसरो पायो जी,
देवादल आनंद उर छायो,
गुण थारो जद गायो जी,
सुन्दर रचना करी सकार,
वास्तु रचना करी अपार,
थारो गुडा मालानी दरबार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
त्रेतायुग मे लंका बनायी,
वैभव जग में पायो जी,
कार सोवनी ईट लगाई,
कंचन हेम लगायो जी,
दीनो रावण ने अधिकार,
थाको लंका रे दरबार,
आवो सायेला दरबार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
द्वापरयुग मे द्वारिका बनायी,
कृष्ण जी रे मन भायी जी,
दावु द्वारिका घणी सरायी,
यादव वास बसायो जी,
थे हो इनरा रचनाकार,
बनायी सागर री किनार,
दर्शन आवे नर नार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
इन्द्रप्रस्थ ने आप बनाया,
सुदामा पूरी बनायी जी,
दुख दलिन्दर आप मिटाया,
लीला अजब रचायी जी,
ईलाचल दरबार कर रया,
सुर नर मुनी जयकार,
वंदन करता बारम्बार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
जो जन कोई निर्माण करावे,
सबसे पहले मनावा जी,
सुख समृद्धि सो नर पावे,
वास्तु दोष मिटावे जी,
‘श्याम’ करे अरदास,
थाने सिवरे बारम्बार,
करजो भगता रो बेडो पार,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
विश्वकर्मां महाराज म्हारा,
सारो सगला काज,
आवो आंगनीया मे आज,
थाने मै ध्यावा जी मै ध्यावा ॥
Sep 17, 2024 | 12:24 PM IST

भगवान विश्वकर्मा की आरती के लिरिक्स

Sep 17, 2024 | 11:49 AM IST

Vishwakarma Puja Katha Lyrics: विश्वकर्मा पूजा कथा

एक कहानी के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म थे। जिनकी पत्नी का नाम वस्तु था। वस्तु के सातवें पुत्र थे वास्तु, जो शिल्प शास्त्र के आदी थे। उन्हीं वासुदेव की अंगीरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ था। वहीं स्कंद पुराण में बताया जाता है कि धर्म ऋषि के आठवें पुत्र प्रभास का विवाह गुरु बृहस्पति की बहन भुवना ब्रह्मवादिनी के साथ हुआ था। ब्रह्म वादिनी ही विश्वकर्मा जी की माँ थी। इसके अलावा वराह पुराण में इस बात का उल्लेख है कि सब लोगों के उपकारार्थ ब्रह्मा परमेश्वर ने बुद्धि से विचारक विश्वकर्मा को पृथ्वी पर उत्पन्न किया था।
Sep 17, 2024 | 10:55 AM IST

Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा जयंती पर भूलकर भी न करें ये काम

विश्वकर्मा पूजा के दिन जिन औजारों और मशीनों की आप पूजा कर रहे हैं उन्हें दूसरों को इस्तेमाल करने के लिए न दें। विश्वकर्मा पूजा के समय भगवान की प्रतिमा के साथ औजार रखना न भूलें। इस दिन रोजमर्रा की मशीनों की साफ-सफाई करना न भूलें। विश्वकर्मा पूजा के दिन किसी भी पुराने औजार या उपकरण को न फेंकें। इस दिन मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
Sep 17, 2024 | 10:38 AM IST

Vishwakarma Chalisa Lyrics: विश्वकर्मा चालीसा

|| दोहा ||
श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान ।
श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान ॥

|| चौपाई ||
जय श्री विश्वकर्म भगवाना ।
जय विश्वेश्वर कृपा निधाना ॥
शिल्पाचार्य परम उपकारी ।
भुवना-पुत्र नाम छविकारी ॥
अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर ।
शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर ॥
अद्‍भुत सकल सृष्टि के कर्ता ।
सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता ॥
अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं ।
कोई विश्व मंह जानत नाही ॥
विश्व सृष्टि-कर्ता विश्वेशा ।
अद्‍भुत वरण विराज सुवेशा ॥
एकानन पंचानन राजे ।
द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे ॥
चक्र सुदर्शन धारण कीन्हे ।
वारि कमण्डल वर कर लीन्हे ॥
शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा ।
सोहत सूत्र माप अनुरूपा ॥
धनुष बाण अरु त्रिशूल सोहे ।
नौवें हाथ कमल मन मोहे ॥
दसवां हस्त बरद जग हेतु ।
अति भव सिंधु मांहि वर सेतु ॥
सूरज तेज हरण तुम कियऊ ।
अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ ॥
चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका ।
दण्ड पालकी शस्त्र अनेका ॥
विष्णुहिं चक्र शूल शंकरहीं ।
अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं ॥
इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा ।
तुम सबकी पूरण की आशा ॥
भांति-भांति के अस्त्र रचाए ।
सतपथ को प्रभु सदा बचाए ॥
अमृत घट के तुम निर्माता ।
साधु संत भक्तन सुर त्राता ॥
लौह काष्ट ताम्र पाषाणा ।
स्वर्ण शिल्प के परम सजाना ॥
विद्युत अग्नि पवन भू वारी ।
इनसे अद्भुत काज सवारी ॥
खान-पान हित भाजन नाना ।
भवन विभिषत विविध विधाना ॥
विविध व्सत हित यत्रं अपारा ।
विरचेहु तुम समस्त संसारा ॥
द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका ।
विविध महा औषधि सविवेका ॥
शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला ।
वरुण कुबेर अग्नि यमकाला ॥
तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ ।
करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ ॥
भे आतुर प्रभु लखि सुर-शोका ।
कियउ काज सब भये अशोका ॥
अद्भुत रचे यान मनहारी ।
जल-थल-गगन मांहि-समचारी ॥
शिव अरु विश्वकर्म प्रभु मांही ।
विज्ञान कह अंतर नाही ॥
बरनै कौन स्वरूप तुम्हारा ।
सकल सृष्टि है तव विस्तारा ॥
रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा ।
तुम बिन हरै कौन भव हारी ॥
मंगल-मूल भगत भय हारी ।
शोक रहित त्रैलोक विहारी ॥
चारो युग परताप तुम्हारा ।
अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा ॥
ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता ।
वर विज्ञान वेद के ज्ञाता ॥
मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा ।
सबकी नित करतें हैं रक्षा ॥
पंच पुत्र नित जग हित धर्मा ।
हवै निष्काम करै निज कर्मा ॥
प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई ।
विपदा हरै जगत मंह जोई ॥
जै जै जै भौवन विश्वकर्मा ।
करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा ॥
इक सौ आठ जाप कर जोई ।
छीजै विपत्ति महासुख होई ॥
पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा ।
होय सिद्ध साक्षी गौरीशा ॥
विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे ।
हो प्रसन्न हम बालक तेरे ॥
मैं हूं सदा उमापति चेरा ।
सदा करो प्रभु मन मंह डेरा ॥

॥ दोहा ॥
करहु कृपा शंकर सरिस, विश्वकर्मा शिवरूप ।
श्री शुभदा रचना सहित, ह्रदय बसहु सूर भूप ॥
Sep 17, 2024 | 10:13 AM IST

Vishwakarma Puja Timing 2024: विश्वकर्मा पूजा मुहूर्त

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 17 सितंबर की सुबह 06 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इस बीच आप विश्वकर्मा भगवान की पूजा कर सकते हैं।
Sep 17, 2024 | 09:40 AM IST

Vishwakarma Puja Ke Din Kya Kare: विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या करें

हिन्दू धर्म के अनुसार उन्‍होंने ही सभी देवताओं के लिए महलों, शास्त्रों और भवनों का निर्माण किया था। ऐसे में आज विश्वकर्मा पूजा के मौके पर ज़्यादातर दफ्तरों में अवकाश होता है, इस दौरान लोग अपने औजारों, मशीनों और दुकानों की विधिवत पूजा करते हुए भगवान विश्वकर्मा की आराधना करते हैं।
Sep 17, 2024 | 08:39 AM IST

Vishwakarma Kon The: कौन हैं भगवान विश्वकर्मा?

हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को निर्माण का देवता माना गया है। मान्‍यताओं अनुसार उन्‍होंने सभी देवताओं के लिए अनेकों भव्‍य महलों, आलीशान भवनों, चमत्कारी हथियारों और विशाल सिंघासनों का निर्माण किया था। भगवान विश्वकर्मा ने महर्षि दधीची की हड्डियों से देवताओं के राजा इंद्र के लिए वज्र का निर्माण किया। उनके द्वारा निर्मित ये वज्र इतना प्रभावशाली था कि उससे ही असुरों का सर्वनाश मुमकिन हो सका था। उन्होंने रावण के लिए लंका, श्री कृष्‍ण के लिए द्वारिका नगरी, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्‍थ नगरी और हस्तिनापुर जैसे राज्यों का भी निर्माण किया था। यही नहीं उन्‍होंने दानवीर कर्ण के कुंडल और पुष्‍पक विमान भी बनाए थे।
Sep 17, 2024 | 08:36 AM IST

विश्वकर्मा फोटो hd

Sep 17, 2024 | 08:04 AM IST

Vishwakarma Aarti Pdf: विश्वकर्मा आरती

Sep 17, 2024 | 07:30 AM IST

Vishwakarma Bhagwan Ke Mantra: विश्वकर्मा भगवान के मंत्र

“ऊं आधार शक्तपे नमः ऊं कूमयि नमः ऊं अनंतम नमः ऊं पृथिव्यै नमः ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः।
Sep 17, 2024 | 07:05 AM IST

17 सितंबर 2024 चंद्रोदय समय (17 September 2024 Moon Rise Time)

पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय शाम 05 बजकर 46 मिनट पर होगा। पूर्णिमा तिथि 17 सितम्बर 2024 की सुबह 11:44 AM बजे से 18 सितम्बर 2024 की सुबह 08:04 बजे तक रहेगी।
Sep 17, 2024 | 06:08 AM IST

Vishwakarma Puja Ke Gane: विश्वकर्मा पूजा के गाने

अगर विश्व में विश्वकर्मा ना होते लिरिक्स
विश्वकर्मा, विश्वकर्मा,
ये मशीने ये पुर्जे,
ये फरमा ना होते,
अगर विश्व में,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये कल कारखाने ये मज़दूर मिले,
ये छैनी हथौड़े ये पेंच और कीले,
ये टाटा और टेल्को ये मज़दूर मिले,
ये छैनीं हथौड़े ये पेंच और कीले,
ये अद्भुत हुनर कारीगर भी ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये विज्ञान का ज्ञान दुनिया से जुड़ना,
जहाजों का उड़ना ईशारो से मुड़ना,
चमत्कार ये दुनिया भर में ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये बिल्डिंगे ये इमारत ये बाइक ये कारें,
नई सभ्यता के ये सुन्दर नजारे,
सुशोभित हमारे घरों में ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते।
है अद्भुत बहुत ‘बेधड़क’ इनके अंशज,
कला में निपूर्ण विश्वकर्मा के वंशज,
ऐ ‘लक्खा’ ये शर्मा ये वर्मा ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये मशीने ये पुर्जे,
ये फरमा ना होते,
अगर विश्व में,
विश्वकर्मा ना होते ॥
Sep 16, 2024 | 10:01 PM IST

Vishwakarma Puja Kyon Manaya jata hai: विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाया जाता है

हर साल 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है. कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा का जन्म आश्विन कृष्ण पक्ष का प्रतिपदा तिथि को हुआ था वहीं कुछ लोगों का मानना है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सबसे अच्छा होता है. वहीं जन्म तिथि से अलग एक ऐसी मान्यता निकली जिसमें विश्वकर्मा पूजा को सूर्य के पारगमन के अनुसार तय किया गया. यह दिन बाद में सूर्य संक्रांति के दिन रूप में मनाया जाने लगा. यह लगभग हर साल 17 सितंबर को ही पड़ता है इसलिए इसी दिन पूजा-पाठ की जाने लगी.
Sep 16, 2024 | 09:45 PM IST

Who Is Vishwakarma: विश्वकर्मा कौन थे

भगवान विश्वकर्मा को अक्सर भगवान ब्रह्मा के पुत्र के रूप में जाना जाता है, लेकिन कुछ ग्रंथों में उन्हें भगवान शिव का अवतार कहा जाता है. ब्राह्मण और निरुक्त में उन्हें भुवन का पुत्र भी कहा गया है. के अनुसार महाभारत और हरिवंश, वे वसु प्रभास और योग-सिद्ध के पुत्र हैं. पुराणों के अनुसार वे वास्तु के पुत्र हैं
Sep 16, 2024 | 09:29 PM IST

Vishwakarma Puja Saman List (विश्वकर्मा पूजा सामान लिस्ट)

भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति
लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, नवग्रह, मिट्टी का कलश, जनेऊ
हल्दी, रोली, अक्षत, सुपारी, मौली, लौंग, पीला अश्वगंधा, कपूर, देसी घी, हवन कुंड, आम की लकड़ी, गंगाजल
इलायची, सूखा गोला, जटा वाला नारियाल, फल-मिठाई, इत्र, दही, खीरा, शहद, पंचमेवा
Sep 16, 2024 | 09:02 PM IST

vishwakarma puja pushpanjali mantra : विश्वकर्मा पूजा पुष्पाजंलि मंत्र

ॐ विश्वकर्मणे नमः, ॐ विश्वकर्माय नमः
Sep 16, 2024 | 08:44 PM IST

vishwakarma jayanti 2024 in hindi: विश्वकर्मा जयंती 2024

पंचांग के अनुसार, 16 सितंबर सूर्य देव शाम को 07 बजकर 53 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में 16 और 17 सितंबर (Vishwakarma Jayanti 2024 Date), दोनों दिन ही विश्वकर्मा पूजा का पर्व मनाया जाएगा। परिवर्तन के समय को ही कन्या संक्रांति कहा जाता है।
Sep 16, 2024 | 08:24 PM IST

Tomorrow Vishwakarma puja time: विश्वकर्मा पूजा टाइम 2024

हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य होती है, इसलिए विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर यानी मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। विश्वकर्मा पूजा सुबह 06 बजकर 07 मिनट से 11 बजकर 44 मिनट तक कर सकते हैं।
Sep 16, 2024 | 08:00 PM IST

Vishwakarma Puja Vrat Katha In Hindi (विश्वकर्मा पूजा व्रत कथा)

प्राचीन कथा के अनुसार इस सृष्टि की शुरुआत में जगत के पालनहार भगवान विष्णु का अवतार हुआ। उसके बाद उनकी नाभि से एक कमल निकाला था। उस कमल से ब्रह्मा जी प्रकट हुए थे। ब्रह्मा जी के पुत्र का नाम वास्तुदेव था। इन्होंने अंगिरसी से विवाह किया था। अंगिरसी की संतान भगवान विश्वकर्मा थे। विश्वकर्मा वास्तुकला के महान आचार्य बनें। उनके पिता को भी वास्तुकला का बहुत ज्ञान था। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने ही भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, द्वारका नगरी और लंका बनाई थी। इनके द्वारा ही इन सब चीजों का निर्माण किया गया था।
Sep 16, 2024 | 07:35 PM IST

विश्वकर्मा जी की आरती लिखित में pdf (Vishwakarma Aarti pdf)

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि मे विधि को, श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ऋषि अंगीरा तप से, शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःखा कीना ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दंपति, तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत सगरी हरी ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप साजे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा की आरती, जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी, सुख संपति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
Sep 16, 2024 | 07:20 PM IST

Vishwakarma Puja 2024 Shubh Muhurat: विश्वकर्मा पूजा 2024 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 17 सितंबर को सुबह 7 बजकर 21 मिनट से सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक का रहेगा। भक्तगण इसी मुहूर्त में भगवान विश्वकर्मा की पूजा कर के शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं।
Sep 16, 2024 | 07:02 PM IST

Vishwakarma Puja Ka Gana: विश्वकर्मा पूजा के गाने

विश्वकर्मा, विश्वकर्मा,
ये मशीने ये पुर्जे,
ये फरमा ना होते,
अगर विश्व में,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये कल कारखाने ये मज़दूर मिले,
ये छैनी हथौड़े ये पेंच और कीले,
ये टाटा और टेल्को ये मज़दूर मिले,
ये छैनीं हथौड़े ये पेंच और कीले,
ये अद्भुत हुनर कारीगर भी ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये विज्ञान का ज्ञान दुनिया से जुड़ना,
जहाजों का उड़ना ईशारो से मुड़ना,
चमत्कार ये दुनिया भर में ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये बिल्डिंगे ये इमारत ये बाइक ये कारें,
नई सभ्यता के ये सुन्दर नजारे,
सुशोभित हमारे घरों में ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते।
है अद्भुत बहुत ‘बेधड़क’ इनके अंशज,
कला में निपूर्ण विश्वकर्मा के वंशज,
ऐ ‘लक्खा’ ये शर्मा ये वर्मा ना होते,
अगर विश्व मे,
विश्वकर्मा ना होते ॥
ये मशीने ये पुर्जे,
ये फरमा ना होते,
अगर विश्व में,
विश्वकर्मा ना होते ॥
Sep 16, 2024 | 06:40 PM IST

Vishwakarma Puja Samagri List: विश्वकर्मा पूजा सामग्री लिस्ट

भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति
लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, नवग्रह, मिट्टी का कलश, जनेऊ
हल्दी, रोली, अक्षत, सुपारी, मौली, लौंग, पीला अश्वगंधा, कपूर, देसी घी, हवन कुंड, आम की लकड़ी, गंगाजल
इलायची, सूखा गोला, जटा वाला नारियाल, फल-मिठाई, इत्र, दही, खीरा, शहद, पंचमेवा
Sep 16, 2024 | 06:21 PM IST

Why Vishwakarma Puja is celebrated on 17th sepetmber: विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को क्यों मनाई जाती है

हर साल 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा का जन्म आश्विन कृष्ण पक्ष का प्रतिपदा तिथि को हुआ था वहीं कुछ लोगों का मानना है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सबसे अच्छा होता है।
Sep 16, 2024 | 06:05 PM IST

विश्वकर्मा पूजन नियम: Vishwakarma Puja Niyam

कार्यस्थल की सफाई करें और उसे सजाएं। पूजा करने से पहले सभी उपकरणों को फूलों से सजाएं है। उपकरणों पर कुमकुम लगाएं और फूल आदि अर्पित करें। फिर दीपक दिखाएं। भगवान विश्वकर्मा की भी विधिवत पूजा करें। तामसिक चीजों से परहेज करें। पूजा के समय क्लेश न करें। भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद पाने के लिए मिठाइयां, फल और अन्य प्रसाद अर्पित करें। भगवान विश्वकर्मा के वैदिक मंत्रों का जाप करें। गरीबों की मदद करें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
Sep 16, 2024 | 05:51 PM IST

Vishwakarma Puja Vrat Katha In Hindi : विश्वकर्मा पूजा व्रत कथा

प्राचीन कथा के अनुसार इस सृष्टि की शुरुआत में जगत के पालनहार भगवान विष्णु का अवतार हुआ। उसके बाद उनकी नाभि से एक कमल निकाला था। उस कमल से ब्रह्मा जी प्रकट हुए थे। ब्रह्मा जी के पुत्र का नाम वास्तुदेव था। इन्होंने अंगिरसी से विवाह किया था। अंगिरसी की संतान भगवान विश्वकर्मा थे। विश्वकर्मा वास्तुकला के महान आचार्य बनें। उनके पिता को भी वास्तुकला का बहुत ज्ञान था। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने ही भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, द्वारका नगरी और लंका बनाई थी। इनके द्वारा ही इन सब चीजों का निर्माण किया गया था।
Sep 16, 2024 | 05:30 PM IST

विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाया जाता है: Vishwakarma Puja Kyun Manaya Jata Hai

भगवान विश्वकर्मा की पूजा विश्वकर्मा जयंती के दिन की जाती है. ये त्योहार खास तौर से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और कर्नाटक में मनाया जाता है. मान्यता है कि ब्रह्माजी ने पृथ्वी बनाने के बाद उसे संवारने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा था. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान विश्वकर्मा ने आकाश, भवन, पुष्पक विमान और हथियारों का निर्माण किया था. ऐसे में विश्वकर्मा जयंती के दिन उनकी पूजा करने से कौशल में सुधार आता है और नौकरी और व्यापार में भी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होती है. इस दिन मशीनों, औजारों की पूजा की जाती है और दुकानों को भी सजा कर भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है
Sep 16, 2024 | 05:12 PM IST

विश्वकर्मा जी की आरती : Vishwakarma Aarti pdf

सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि मे विधि को, श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ऋषि अंगीरा तप से, शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःखा कीना ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दंपति, तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत सगरी हरी ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप साजे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा की आरती, जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी, सुख संपति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
Sep 16, 2024 | 04:48 PM IST

चंद्र ग्रहण क्या होता है : What is Lunar Eclipse

हिंदू पंचांग के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 17 सितंबर को सुबह 7 बजकर 21 मिनट से सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक का रहेगा। भक्तगण इसी मुहूर्त में भगवान विश्वकर्मा की पूजा कर के शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं।