Vishwakarma Puja Vidhi, Mantra: विश्वकर्मा पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा और आरती

Vishwakarma Puja Vidhi, Mantra, Muhurat, Aarti: विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर 2023 की सुबह रहेगा। इस मुहूर्त में विश्वकर्मा भगवान की पूजा अत्यंत फलदायी साबित होगी। जानिए विश्वकर्मा पूजा की विधि, मंत्र, आरती और महत्व।

Vishwakarma Puja Vidhi And Mantra

Vishwakarma Puja Vidhi, Mantra And Muhurat In Hindi

Vishwakarma Puja Vidhi And Mantra: विश्वकर्मा पूजा इस साल कहीं 13 नवंबर को तो कहीं 14 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन सृष्टि के सृजनकर्ता और प्रथम शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इस बार विश्वकर्मा जयंती पर द्विपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। जिस वजह से इस त्योहार का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। बता दें विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग अपने दफ्तर, कारखाने, दुकान, मशीन, औजार इत्यादि की पूजा करते हैं।यही कारण है कि विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja Vidhi ) के अवसर पर कई संस्थान बंद रहते हैं। यहां जानिए विश्वकर्मा पूजा की विधि, मंत्र, मुहूर्त, कथा और आरती।

भगवान विश्वकर्मा की आरती

विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma Puja Vidhi)

  • इस दिन सुबह-सुबह अपनी गाड़ी, मोटर या दुकान की मशीनों की अच्छे से सफाई कर लें।
  • फिर स्नान करने के बाद अपनी पत्नी के साथ पूजा के स्थान पर बैठ जाए।
  • फिर भगवान विष्‍णु जी का ध्‍यान करें और उन्हें फूल अर्पित करें।
  • भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सुबह का समय ज्यादा शुभ माना जाता है इसलिए कोशिश करें कि सुबह में ही स्नान-ध्यान के बाद भगवान की पूजा करें।
  • पूजा के लिए भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर, जल से भरा कलश, धूप, सुपारी, पीली सरसों, अक्षत, माला, फूल, चंदन आदि सामग्री को एकत्रित कर लें।
  • इसके बाद अपने हाथ में फूल और अक्षत लेकर इस मन्त्र का उच्चारण करें, “ऊं आधार शक्तपे नमः ऊं कूमयि नमः ऊं अनंतम नमः ऊं पृथिव्यै नमः ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः।”
  • मंत्र पढ़ने के बाद हाथ में रखे अक्षत और फूल भगवान पर चढ़ा दें।
  • फिर पीली सरसों को चार पोटलियों में बांधकर कार्यस्थल या ऑफिल की चारों दिशाओं में लटका दें।
  • इसके बाद अपने हाथ में और पूजा स्थल पर उपस्थित लोगों के हाथ में मोली बांध लें।
  • फिर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए उनकी आराधना करें।
  • अब जमीन पर आठ पंखुड़‍ियों वाला एक कमल बनाएं और उस पर फूल चढ़ा दें।
  • इसके बाद अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और अंत में प्रसाद बांटे।
  • पूजा के अगले दिन भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा का विसर्जन भी ज़रूर करें।

भगवान विश्वकर्मा की आरती (Vishwakarma Ji Ki Aarti)

ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।

सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ ॐ जय…

आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।

जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय…

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।

ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ ॐ जय…

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।

संकट मोचन बनकर, दूर दुःख कीना॥ ॐ जय…

जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी।

सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥ ॐ जय…

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ ॐ जय…

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।

मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ ॐ जय…

“श्री विश्वकर्मा जी” की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत गजानंद स्वामी, सुख संपति पावे॥ ॐ जय…

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विश्वकर्मा पूजा का महत्व (Vishwakarma Puja Significance)

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा भगवान को हर चीज़ का निर्माता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि संसार में जितनी भी निर्जीव वस्तु हैं सभी का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। चाहे वो औधोगिक चीज़ें हो, फैक्ट्री हो, दुकान हो या कोई वाहन या फिर औजार हों। इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ ही साथ सभी निर्जीव वस्तुओं की पूजा भी की जाती है।

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