Vrishchik Sankranti 2023: वृश्चिक संक्रांति 2023 में कब है, जानें सही डेट, मुहूर्त और सूर्य पूजन का सही समय
Vrishchik Sankranti 2023 Date (वृश्चिक संक्रांति कब है 2023 में): सूर्य देव का राशि परिवर्तन संक्रांति कहलाता है। साल में 12 संक्रांति आती हैं और इनमें से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। यहां जानें वृश्चिक संक्रांति 2023 की डेट, वृश्चिक संक्रांति 2023 में सूर्य पूजा का समय और वृश्चिक संक्रांति पर क्या करना चाहिए।
Vrishchik Sankranti 2023 Date and Time in India
Vrishchik Sankranti 2023 Date (वृश्चिक संक्रांति कब है 2023 में): भारतीय ज्योतिष के मुताबिक, सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे संक्रांति पर्व कहा जाता है। किसी एक राशि में सूर्य 30 दिनों तक ही रहते हैं। इस साल 17 नवंबर को सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। यानी वृश्चिक संक्रांति 2023 इस साल 17 नवंबर को मनाई जाएगी।
Vrishchik Sankranti 2023 Date and Time in India
साल 2023 में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 17 नवंबर को को वृश्चिक संक्रांति है। वृश्चिक संक्रांति 2023 पर पुण्य काल सुबह 06:45 बजे से दोपहर 12:06 बजे तक मान्य होगा। वहीं, वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य पूजा का सबसे शुभ समय सुबह 08:32 बजे रहेगा।
Sankranti Puja Mantra
संक्रांति पर सूर्य देव की उपासना की जाती है। वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य उपासना में ऊं दिनकराय नम: मंत्र का जाप करें और फिर सूर्य देव को गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं।
What to do on Vrishchik Sankranti
वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य अराधना की परंपरा है। यहां जानें वृश्चिक संक्रांति पर क्या करना चाहिए।
- वृश्चिक संक्रांति के दौरान पूरे विधि-विधान से सूर्य देव की आराधना जरूर करनी चाहिए। जिन जातकों की कुंडली में सूर्य देव कमजोर हैं, उन्हें सूर्य देव को प्रसन्न करने के उपाय करने चाहिए।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर पूरी श्रद्धा से भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
- संक्रांति काल को दान- पुण्य और श्राद्ध व पितृ तर्पण का काल भी माना जाता है। इस दौरान ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन, कपड़े और गौ दान करना चाहिए।
ध्यान दें, जिन जातकों की कुंडली में सूर्य देव कमजोर हैं, उन्हें गंगाजल मिश्रित जल या बहती हुई नदी में स्नान करना चाहिए।
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TNN अध्यात्म डेस्क author
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