Ganga Saptami Vs Ganga Dussehra: गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा के बीच क्या है अंतर, कैसे अलग हैं दोनों पर्व

Ganga Saptami Aur Ganga Dussehra Mein Kya Antar hai: हिंदू धर्म में गंगा नदी को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। मां गंगा की पूजा अर्चना के लिए कुछ खास दिन भी होते हैं। उनमें से एक है गंगा सप्तमी तो दूसरा है- गंगा दशहरा। हालांकि इसको लेकर लोगों में काफी कन्फ्यूजन है। तो चलिए दोनों के बीच के अंतर को समझते हैं।

गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा के बीच क्या है अंतर

Ganga Saptami Aur Ganga Dussehra Mein Kya Antar hai: अक्सर भक्तों को दुविधा होती है कि गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा दोनों एक ही पर्व होते हैं। बता दें, गंगा सप्तमी हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। जबकि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाने का विधान है। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, गंगा सप्तमी के दिन स्वर्ग में ब्रह्माजी के कमंडल से मां गंगा जन्मी थीं, इसलिए इस दिन उनके जन्मदिन को मनाया जाता है। जबकि गंगा दशहरा के दिन को लेकर मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। आइए आगे गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा के बीच के अंतर को आसान भाषा में समझते हैं।

Difference Between Ganga Saptami and Ganga Dussehra (Ganga Saptami Aur Ganga Dussehra Ke Beech Antar kya Hai)

  • धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख शुक्ल सप्तमी को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। वहीं, गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को सेलिब्रेट किया जाता है।
  • गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा का जन्मोत्सव मनाया जाता है, तो वहीं गंगा दशहरा मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण होने का उत्सव है।
  • गंगा सप्तमी के दिन ब्रह्म देव के कमंडल से मां गंगा जन्मी थीं, जबकि शिव जी के जटाओं से गंगा दशहरा के दिन मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था।
  • गंगा सप्तमी के दिन अपने जल से मां गंगा ने भगवान विष्णु की चरण वंदना कर स्वर्ग में स्थान लिया था। वहीं, गंगा दशहरा के दिन भगवान शिव की जटाओं में अपने वेग को स्थापित कर मां गंगा का पृथ्वी पर आगमन हुआ था।
  • गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा ने अपने जल से स्वर्ग के सभी देवी-देवताओं को शुद्ध किया था। वहीं, गंगा दशहरा के दिन पृथ्वी पर आकर मां गंगा ने भागीरथ के पूर्वजों को मुक्ति दिलाई थी।
  • गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा में सिर्फ एक समानता है कि दोनों दिन मां गंगा की आराधना करने और पवित्र गंगा में डुबकी लगाने का विधान है।
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