Difference between Diwali and dev Diwali : क्या है दिवाली और देव दिवाली में अंतर, जानें इसका महत्व
देव दिवाली का पर्व कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
देव दिवाली कब है?
वहीं दिवाली के ठीक 15 दिन कार्तिक माह की पूर्णिमा को वाराणसी, काशी और गंगा के घाट पर देव दीपावली मनाई जाती है।इसे देवताओं की या देव आगमन दिवाली कहा जाता है। इसे विशेषकर भगवान शिव की नगरी काशी में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।इस वर्ष देव दीपावली 7 नंवबर को मनाई जा रही है। आइए जानते हैं क्या है देव दिवाली का महत्व...
देव दिवाली की महत्ता: पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरा नामक राक्षस का वध किया था।इसी खुशी में सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव के साथ काशी में गंगा स्नान किया था और घाट पर दीये जलाकर उत्सव मनाया था तभी से लेकर आजतक इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है भक्त दूर-दूर से इस दिन गंगा स्नान करने आते हैं और गंगा नदी के घाट पर दिये जलते है।
इस दिन सभी देवी-देवता पृथ्वी भ्रमण पर आते हैं और अपनी विशेष कृपा से सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। इस दिन मां गंगा व भगवान शिव की पूजा करने से लम्बी आयु का वरदान मिलता है। देव दिवाली के दिन गंगा नदी में नहाने से सभी पापों से छुटकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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