What is pitru dosh: क्या होता है पितृदोष? जानें क्यों लगता है ये और मुक्ति के लिए करें कौन से काम
What is pitru dosh: पितृ दोष का प्रकोप होने पर व्यक्ति और घर पर कई तरह की समस्याएं आती हैं। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि पितृ दोष आखिर होता क्या है और ये क्यों लगता है। ये भी देखें कि इससे मुक्ति के क्या उपाय हैं।
What is pitru dosh: कभी-कभी आप देखते होंगे कि घर का कोई एक सदस्य लंबे समय से बीमार चल रहा होता है, या फिर लगातार धन-धान्य की कमी से जूझ रहा होता है। ऐसे में लोग परेशानियों से तंग आकर ज्योतिष की सलाह लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति पर पितृ दोष का प्रकोप होता है तभी ये सारी समयाएं आती हैं। लेकिन यह पितृ दोष आखिर होता क्या है, इसके बारे में सब लोग नहीं जानते। तो आइए आपको पितृदोष के बारे में बताते हैं। साथ ही इसके कारण और निवारण को भी जानेंगे।
क्या है पितृ दोष ?
असल में व्यक्ति के कुंडली के नवम भाव में पूर्वजों का स्थान होता है। नवग्रह में सूर्य को पूर्वजों का प्रतीक माना जाता है। यानी जिस जातक की कुंडली में सूर्य की स्थान अशुभ ग्रहों के साथ होता है, या फिर सूर्य पर किसी बुरे ग्रह की दृष्टि जमी हो, तो उस कुंडली में पितृ दोष पैदा होता है।
1. किसी भी व्यक्ति के कुंडली का नौवां घर यह दर्शाता है कि जातक अपने पिछले जन्म का कौन सा पुण्य, इस जन्म में साथ लाया है। बता दें अगर कुंडली के नौवें घर में राहु, बुध या शुक्र मौजूद हो, तो जातक पितृ दोष से पीड़ित होता है।
2. यदि व्यक्ति की कुंडली के प्रथम भाव में गुरु विराजमान है, तो इसे श्रापित माना जाता है। गुरु के श्रापित होने से पितृ दोष का होना स्वाभाविक है।
3. यदि जन्म कुंडली के अनुसार गुरु सातवें घर में बैठे हैं, तो इस स्थिति में मामूली पितृ दोष माना जाता है।
4. यदि राहु कुंडली में लग्न स्थान पर बैठा है, तो जातक को सूर्य ग्रहण एवं पितृ दोष लगता है। इसके अलावा सूर्य के साथ राहु और चंद्र के साथ यदि केतु बैठा है, तो इस स्थिति में भी पितृ दोष होता है ।
5. जन्म कुंडली के पंचम भाव में राहु का होना पितृ दोष की ओर इशारा करती है।
6. जन्मपत्रिका के अनुसार व्यक्ति पर पितृदोष तब भी माना जाता है जब शनि, राहु और केतु की दृष्टि सूर्य पर जमी रहती है।
7. विद्वान पितृ दोष का संबंध गुरु से भी बताते हैं। यदि दो बूरे ग्रहों का असर गुरु पर हो साथ ही 4-8-12 वें भाव में गुरु विराजमान हों या फिर नीच राशि में हों तो इस स्थिति में यह दोष पूरी तरह से घटता है। लेकिन, यह पितृ दोष पूर्वजों से चला आता है। जो कि सात पुस्तों तक चलता हीं रहता है।
8. आपके घर की स्थिति भी पितृ दोष का कारण बन सकती है। यदि आपके घर का उत्तर दिशा और ईशान कोण (North-east) ठीक ढंग से नहीं है, तो ऐसे में देव दोष के साथ-साथ पितृ दोष भी लगती है।
9. यदि आपके घर का वास्तु, ग्रह-नक्षत्र सब कुछ सही है, तब भी किसी न किसी कारण से आप दुख में रह रहें हो या फिर आर्थिक स्थिति लगातार ढीली पड़ जाए, तो ऐसे में पितृ बाधा होने की संभावना अधिक होती है। हो सकता है कि आपके पिछले कर्म बुरे हो या फिर आपके पूर्वजों के कर्मों का आपको हर्जाना भुगतना पड़ रहा हो।
10. यदि परिवार में से किसी एक को ऐसा रोग हुआ है , जो आपके पूर्वजों में से किसी एक को कभी था, तो ऐसे में पितृ दोष ही वजह माना जाता है।
11. ऐसे व्यक्ति जिसने अपने पूर्व जन्म में बुरे कर्म या धर्म विरोधी काम किया हो वह इस जन्म में भी कुकर्म दोहराता है। ऐसे में उस पर खुद हीं पितृ दोष लग जाती है।
12. अगर आपने अपने पूर्वजों का धर्म त्याग किया हो, कुल की धर्म का लाज ना किया हो या फिर कुलदेव-कुलदेवी का बहिष्कार किया हो, तो ऐसी स्थिति में भी पितृ दोष लगता है। और यह दोष जन्मो तक पीछा नहीं छोड़ता।
कैसे कर सकते हैं pitru dosh का निवारण
- पितृ दोष से निवारण के लिए अपने कुल के कुलदेव-कुलदेवी की रक्षा और पूजा करें।
- पूर्वजों के कर्म-धर्म पर हमेशा विश्वास रखें।
- श्राद्ध कर्म के समय में पितरों के लिए शुद्ध मन से तर्पण करें।
- अपने पूर्वजों के प्रति मन-मस्तिष्क में श्रद्धा बनाए रखें।
- इसके अलावा हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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मेधा चावला author
हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दो... और देखें
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