Nirjala Ekadashi 2022 Date, Time: जानिए निर्जला एकादशी कब है और कैसे रखें ये व्रत, जानें निर्जला एकादशी का मुहूर्त व पूजा विधि
Nirjala Ekadashi 2023 Date, Puja Time, Importance: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, चौबीसों एकादशियों में निर्जला एकादशी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित खास व्रत है, जो प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को राखी जाती है। जानिए निर्जला एकादशी की डेट, मुहूर्त, महत्व आदि। निर्जला एकादशी के व्रत पर क्या करें और जानें निर्जला एकादशी का व्रत कैसे रखा जाता है।
Nirjala Ekadashi 2023 Date, Time, Puja Muhurat
Nirjala Ekadashi 2022 Date, Time, Puja Muhurat: सनातन धर्म में विष्णु भगवान को समर्पित एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यूं तो एकादशी हर महीने दो बार आती है। पर इनमें ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी या भिमसेनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ये एकादशी सर्वश्रेष्ठ और चुनौतीपूर्ण व्रतों में एक मानी जाती है, क्योंकि इस व्रत में पानी पीना वर्जित होता है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत रखने से वर्षभर के चौबीसों एकादशी व्रत के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है।जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। इसके अलावा, व्रत के प्रताप से व्यक्ति के सारे रोग-दोष, कष्ट आदि दूर हो जाते हैं। इसी के साथ यहां जानिए इस साल निर्जला एकादशी व्रत की सही तिथि, तारीख, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व सबकुछ हिंदी में।
निर्जला एकादशी 2023 में कब है, Nirjala Ekadashi 2023 Date
पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, साल 2023 में यह व्रत 31 मई, बुधवार के दिन यानी आज है। आगे जानिए व्रत का शुभ मुहूर्त..
निर्जला एकादशी 2023 का शुभ मुहूर्त (Nirjala Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
निर्जला एकादशी तिथि आरंभ: 30 मई, मंगलवार, दोपहर 01:07 बजे से
निर्जला एकादशी तिथि समापन: 31 मई, बुधवार, दोपहर 01:45 पर।
निर्जला एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: 1 जून, गुरुवार, सुबह 05:24 से 08:10 बजे तक।
निर्जला एकादशी 2023 पूजा विधि, Nirjala Ekadashi 2023 Puja Vidhi
- निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- अब एक लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर विष्णु भगवान की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- इसके बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
- फिर पीले फल, पीले फूल, पीले चावल और पीली मिष्ठान के साथ श्रीहरि की पूजा करें।
- इन सभी सामग्रियों को अर्पित करने के बाद एकादशी की व्रत कथा का पठन करें।
- व्रत कथा पढ़ने के बाद ओउम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- अंत में श्रीहरि की आरती करें और लोगों के बीच प्रसाद वितरण करदें।
निर्जला एकादशी का महत्व (Nirjala Ekadashi 2023 Importance)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत को सभी एकादशियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह व्रत सबसे कठोर और पुण्य फलदाई व्रतों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि अगर आपके लिए साल के सारे एकादशी व्रत रख पाना संभव नहीं तो सिर्फ निर्जला एकादशी व्रत रखने मात्र से आपको चौबीसों एकादशी के समान फल मिलेगा। इस व्रत के प्रभाव से सारे पाप धुल जाते हैं। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। यही नहीं, साधक को रोग, दोष, कष्ट, पीड़ा आदि से भी छुटकारा मिलता है।
निर्जला एकादशी व्रत का इतिहास, Nirjala Ekadashi Vrat 2023 History
एक बार की बात है जब बहुभोजी भीमसेन ने व्यासजी से प्रत्येक एकादशी पर निराहार रहने का नियम जाना तब उन्होंने विनम्र भाव से निवेदन किया, हे महाराज! मुझसे कोई व्रत किया नहीं जाता। दिन भर मेरे अंदर तीव्र क्षुधा बनी ही रहती है। अतः आप कोई ऐसा उपाय बताइए जिसके प्रभाव से जल्दी सद्गति को प्राप्त हो जाए। इसपर जवाब देते हुए व्यासजी ने कहा, अगर वर्षभर की सभी एकादशी करना तुम्हारे लिए संभव नहीं तो केवल एक निर्जला एकादशी कर लो, इससे सालभर की एकादशी के समान फल प्राप्त हो जायगा। इसके बाद भीम ने व्यास जी के कहे अनुसार व्रत का पालन किया और स्वर्ग को गये। यही कारण है कि इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
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