ऊं शांति हो या तलाक, तीन बार ही क्यों बोलते हैं हम, जानिए क्या है तीन बार बोलने का साइंस
Why We Chant Shanti Thrice: आदिकाल में भारतीय संतों औऱ साधु महात्माओं ने अपने शोध और अनुभव से पाया था कि इंसान की मानसिक शांति को तीन चीजें बहुत ज्यादा हद तक प्रभावित करती हैं। लोगों के दुख के कारण यही तीन चीजें होती हैं।
क्यों तीन बार जपते हैं ऊँ शांति?
Why We Chant Shanti Thrice: हमारे जीवन में बहुत सी ऐसी बातें होती हैं जिनसे हम लगभग रोज रूबरू होते हैं। इनमें से बहुत सी चीजें ऐसी होती हैं जिनके बारे में हमें ये नहीं पता होता है कि आखिर हम ये खास चीज करते क्यों हैं। ऐसा ही एक सवाल है। क्या आपने कभी सोचा है कि हम किसी भी पूजा-पाठ या अनुष्ठान के बाद ऊं शांति का जाप तीन बार क्यों करते हैं। क्या ऊं शांति शांति शांति बोलने के पीछे सिर्फ आध्यात्मिक कारण हैं या फिर ऐसा करने के पीछे किसी तरह का विज्ञान भी है। ऊं शांति के सिवा और भी कई बातें हैं जिन्हें तीन बार कहा जाता है। आखिर क्या है तीन बार बोलने का साइंस।
शांति औऱ सद्भाव प्रकृति और मानव के लिए बेहद स्वाभाविक है। जब हमारे जीवन में शांति होती है तभी खुशियां भी आती हैं। हम सबने ऐसे लोग जरूर देखे होंगे जिनके पास धन, दौलत और शोहरत सब होता है, लेकिन मानसिक शांति के लिए वह बेचैन रहते हैं। ऐसा होने के पीछे का कारण है दो तरह की शांति- आंतरिक और बाहरी। इसी कारण सफल इंसान बाहरी शांति तो पा लेता है लेकिन मन की शांति के लिए भटकता रहता है।
Hinduism in a new light: Revealing The Science Behind Ancient Traditions and Beliefs नाम की किताब में हमारे आध्यात्मिक विश्वास को विज्ञान के साथ बेहतर तरीके से समझाया गया है। इस किताब में बताया गया है कि इंसान की आंतरिक या मानसिक शांति किसी तरह के भय, चिंता या फिर विपरीत परिस्थितियों से प्रभावित होती है। आदिकाल में भारतीय संतों औऱ साधु महात्माओं ने अपने शोध और अनुभव से पाया था कि इंसान की मानसिक शांति को तीन चीजें बहुत ज्यादा हद तक प्रभावित करती हैं। लोगों के दुख के कारण यही तीन चीजें होती हैं।
1.आधिदैविक : पहला कारक है प्रकृति की वो अदृश्य शक्तियां जिनपर हम इंसानों का कोई वश नहीं चलता। जैसे- आंधी, तूफान, भूकंप या बाढ़।
2. आधिभौतिक : हमारे दुखों का दूसरा प्रमुख कारण होता है जिनपर हमारा आंशिक तौर पर थोड़ा सा वश होता है। जैसे- दुर्घटना, अपराध, व्यभिचार, नफरत, द्वेश या फिर जलन।
3. आध्यात्मिकता : हमारे दुखों का तीसरा कारण होता है हमारे पुनर्जन्म के कुकृत्य या फिर पाप। ये हमारे ऐसे बुरे कर्म होते हैं जिनका पिछले जन्म में हिसाब नहीं हुआ रहता है।
वास्तु और एनर्जी एक्सपर्ट व लाइफ कोच मनोज जैन बताते हैं कि हम सच्चे दिल से भगवान से प्रार्थना करते हैं कि कम से कम जब हम अपने दैनिक जीवन में भी जो भी कार्य करें तो इन तीनों स्रोतों से समस्याएं ना हो या फिर कम से कम हो। हमारी शांति बनी रहे। मनुष्य की शांति के दुश्मन इन तीन कारकों से पार पाने के लिए आदिकाल में हमारे ऋषि मुनियों ने 'त्रिवरम सत्यम' के सिद्धांत की तलाश की। इसका मतलब होता है - जो तीन बार कहा जाता है वह सच हो जाता है। इसलिए शांति का जप तीन बार किया जाता है।
पहली बार जब हम 'ऊं शांति' कहते हैं तो उसका स्वर थोड़ा ऊंचा होता है क्योंकि यह अदृश्य शक्तियों को संबोधित करता है। दूसरी बार शांति का उच्चारण मध्यम होता है, आधिभौतिक के लिए होता है और आखिरी बार धीमे स्वर में होता है क्योंकि यह स्वयं को संबोधित होता है।
मनोज जैन बताते हैं कि आज के आधुनिक काल में यह त्रिवरम सत्यम हम व्यवहारिक जीवन में भी देखते हैं। हम कोई भी चीज तीन बार बोलते हैं ताकि उस काम का महत्व साफ झलके। जैसे कोर्टरूम में शपथ दिलाते हैं कि 'मैं जो कहूंगा सच कहूंगा, पूरा सच कहूंगा और सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा'। या फिर जज भी अपने आसन से तीन बार 'ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर' कहते हुए अपनी बात की धमक को कोर्ट रूम में महसूस करवाते हैं। यहां तक कि इस्लाम में भी निकाह के वक्त तीन बार कबूल है कहते हैं तभी इसे पूरा माना जाता है। यहां तक कि तलाक को तभी जायज माना जाता है जब तीन बार इस शब्द को बोलते हैं।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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