Yogini Ekadashi 2023 Parana Time: योगिनी एकादशी व्रत पारण टाइम, जानें एकादशी व्रत खोलने का समय
Yogini Ekadashi 2023 Parana Time: योगिनी एकादशी व्रत का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यहां जानिए योगिनी एकादशी व्रत का महत्व, पूजा विधि, पारण टाइम और व्रत कथा।
Yogini Ekadashi Vrat Katha In Hindi, Yogini Ekadashi Vrat Parana Time
योगिनी एकादशी व्रत कथा हिंदी में यहां देखें
योगिनी एकादशी व्रत का पारण 15 जून को किया जाएगा। पारण (व्रत तोड़ने का) समय सुबह 04:52 से 07:34 तक रहेगा। वहीं पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय सुबह 08:32 का रहेगा।
योगिनी एकादशी व्रत पूजा विधि (Yogini Ekadashi Vrat Puja Vidhi)
- एकादशी व्रत के एक दिन पहले की रात्रि में ही व्यक्ति को जौं, गेहूं और मूंग की दाल से बना भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। साथ ही नमक भी नहीं खाना चाहिए।
- इसके बाद एकादशी तिथि के दिन सुबह-सुबह स्नान आदि कार्यो के बाद व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद कलश स्थापना करें। कलश के ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखकर उनकी पूजा करें।
- इस व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता है तथा केवल फलाहार करने का ही विधान है।
- इस दिन जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न का दान जरूर करना चाहिए तथा प्यास से व्याकुल व्यक्ति को जल पिलाना चाहिए।
- इस व्रत में पूरी रात जागरण करें।
- फिर अगले दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान-दक्षिणा के साथ विदा करें। फिर व्रत खोल लें।
योगिनी एकादशी का महत्व (Yogini Ekadashi Vrat Significane)
योगिनी एकादशी का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ये व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। इस व्रत को करने से 88 हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है। इतना ही नहीं योगिनी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को अपने सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। ये व्रत मनुष्य को स्वर्गलोक की प्राप्ति कराता है।
योगिनी एकादशी व्रत की कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha In Hindi)
प्राचीन काल में अलकापुरी नाम के नगर में राजा कुबेर के यहां हेम नाम का एक माली रहता था। वो रोजाना महादेव की पूजा के लिए मानसरोवर से फूल लाता था। एक दिन उस व्यक्ति को अपनी पत्नी के साथ स्वछन्द विहार करने के लिए कारण फूल लाने में देरी हो गई जिस कारण वह दरबार में काफी देरी से पहुंचा। इस बात से क्रोधित होकर कुबेर ने हेम को कोढ़ी होने का श्राप दे दिया। श्राप के प्रभाव से हेम की स्थिति काफी खराब हो गई थी वो माली इधर-उधर भटकता रहा। एक दिन वो माली मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। ऋषि ने अपनी शक्ति से उस माली के दुखी होने का कारण जान लिया। तब उन्होंने माली को योगिनी एकादशी व्रत करने के लिए कहा। व्रत के प्रभाव से हेम माली कोढ़ होने के श्राप से मुक्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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