अभिनव बिंद्रा को मिला प्रतिष्ठित ओलंपिक ऑर्डर सम्मान, बने ये अवार्ड हासिल करने वाले पहले भारतीय
भारत के पहले ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट एथलीट अभिनव बिंद्रा को आईओसी ने आईओसी के 142वें सत्र में ओलंपिक ऑर्डर से सम्मानित किया गया है। वो ये प्रतिष्ठित अवार्ड हासिल करने वाले पहले भारतीय बने हैं।
अभिनव बिंद्रा (साभार IOC Media Screen Grab)
- अभिनव बिंद्र को मिला ओलंपिक ऑर्डर सम्मान
- बने ये प्रतिष्ठित अवार्ड हासिल करने वाले पहले भारतीय
- अभिनव हैं व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय
पेरिस: भारत के लिए ओलंपिक खेलों में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले एथलीट अभिनव बिंद्रा को इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी ने ओलंपिक ऑर्डर से सम्मानित किया है। अभिनव ये आईओसी द्वारा दिया जाने वाला ये प्रतिष्ठित अवार्ड हासिल करने वाले पहले भारतीय हैं। साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक में पुरुषों की 10 मीटर एयर रायफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। पांच बार ओलंपिक खेलों में शिरकत करने वाले अभिनव को उनके ओलंपिक मूवमेंट को आगे बढ़ाने में दिए गए विशिष्ट योगदान के लिए IOC के 142वें सत्र में ओलंपिक ऑर्डर से सम्मानित किया गया है।
व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है यह सम्मान
ओलंपिक ऑर्डर मिलने पर 41 वर्षीय अभिनव बिंद्रा ने एक्स पर खुशी जाहिर करते हुए लिखा, पेरिस में आयोजित आईओसी के 142वें सत्र में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ से ओलंपिक ऑर्डर प्राप्त करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह सम्मान एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है बल्कि ओलंपिक आंदोलन के मूल्यों और भावनाओं का उत्सव है। एक एथलीट के रूप में अपनी यात्रा की शुरुआत से लेकर इस पल तक पहुंचने तक का मेरा रास्ता समर्पण, लचीलेपन और खेल के प्रति अपार प्रेम से भरा रहा है।'
सम्मान पाकर हूं अभिभूत
बिंद्रा ने आगे लिखा, मैं ये सम्मान पाकर वास्तव में अभिभूत हूं और भावी पीढ़ी के एथलीटों के विकास में योगदान में योगदान देकर खेलों के माध्यम से एकता को बढ़ावा देकर ओलंपिक की विरासत को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हूं। मेरी इस यात्रा का हिस्सा बनने वाले सभी लोगों का धन्यवाद, हम सब मिलकर ओलंपिक आंदोलन के माध्यम से एकजुटता के जरिए उत्कृष्टता हासिल करने की विरासत का निर्माण जारी रखेंगे।
1975 में हुई थी अवार्ड की शुरुआत
ओलंपिक ऑर्डर ओलंपिक मूवमेंट द्वारा दिया जाने वाला सबसे बड़ा अवार्ड है। ये पुरस्कार ओलंपिक मूवमेंट के लिए विशेष योगदान के लिए दिया जाता है। ये अवार्ड ओलंपिक खेलों के समापन समारोह से पहले आईओसी के सत्र के दौरान दिया जाता है। इस अवार्ड की शुरुआत साल 1975 में हुई थी।
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