पढ़ाई की थकान दूर करने और मनोरंजन के लिए निशानेबाजी करती थी 17 साल की पलक, अब जीता एशियाड गोल्ड

Palak Gulia wins Gold Medal: भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है और उसी की अलग-अलग रूप में मिसाल इन दिनों एशियन गेम्स 2023 में देखने को मिल रही है। एक ऐसा ही नाम है पलक गूलिया का। हरियाणा के झज्जर की 17 वर्षीय इस निशानेबाजी ने शुरुआत में इस खेल को सिर्फ मनोरंजन का साधन बनाया था, लेकिन आज वो एशियाड स्वर्ण पदक विजेता हैं।

पलक गूलिया (SAI Media)

पलक गूलिया कभी पढ़ाई की थकान को दूर करने और मनोरंजन के लिए निशानेबाजी किया करती थी लेकिन यह जल्द ही उनका शगल बन गया और फिर उन पर इस खेल में उत्कृष्ट बनने का जुनून सवार हो गया जिसका परिणाम एशियाई खेलों में जीता गया स्वर्ण पदक है। हरियाणा के झज्जर जिले की रहने वाली 17 वर्षीय पलक ने कोविड-19 महामारी के बाद ही इस खेल को गंभीरता से लेना शुरू किया।
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शुक्रवार को व्यक्तिगत वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने के बाद पलक ने कहा,‘‘मैं तब गुड़गांव के सेंट जेवियर स्कूल में पढ़ रही थी जब मुझे निशानेबाजी खेल के बारे में पता चला। इसके बाद में सुबह के सत्र में अभ्यास करने लगी। अगले डेढ़ साल तक जब भी मुझे समय मिलता था मैं निशानेबाजी कर लेती थी।’’
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उन्होंने कहा,‘‘मैं 2019 तक मनोरंजन के लिए ही निशानेबाजी करती थी। मैंने कोविड-19 महामारी बाद ही निशानेबाजी को गंभीरता से लेना शुरू किया।’’ पलक के पिता जोगिंदर गूलिया व्यवसायी हैं और उन्होंने अपनी बेटी को यह खेल अपनाने दिया लेकिन केवल पढ़ाई से विश्राम के लिए।
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