आतिशी शतक जड़ने के बाद सूर्यकुमार ने बताया-कैसे बढ़ी उनकी रनों की भूख
श्रीलंका के खिलाफ सीरीज के आखिरी टी20 में धमाकेदार शतक जड़ने के बाद सूर्यकुमार यादव ने राहुल द्रविड़ को इंटरव्यू देते हुए बताया कि कैसे उनके अंदर रनों की भूख बढ़ी है।
सूर्यकुमार यादव और राहुल द्रविड़( साभार BCCI)
राजकोट: सूर्यकुमार यादव जब भारत के लिए पदार्पण कर रहे थे तब उनकी उम्र 30 साल से ज्यादा थी लेकिन इस तेजतर्रार बल्लेबाज का कहना है कि देर से चयन ने उनके संकल्प को और मजबूत किया और शीर्ष स्तर पर सफलता की उनकी भूख बढ़ा दी। सूर्यकुमार ने सबसे छोटे प्रारूप में एक और अविश्वसनीय पारी खेलते हुए श्रीलंका के खिलाफ तीसरे और अंतिम टी20 अंतरराष्ट्रीय में 51 गेंद में नाबाद 112 रन की पारी खेली जिससे भारत ने 91 रन की जीत के साथ श्रृंखला 2-1 से अपने नाम की।
सूर्या ने बताया ऐसे बढ़ी रनों की भूखसूर्यकुमार ने भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ से कहा, 'इससे मेरी (रनों की) भूख अब और बढ़ गई है।'मेरा मतलब है कि मैंने जितनी घरेलू क्रिकेट खेली है, मैंने हमेशा अपने राज्य मुंबई के लिए खेलने का लुत्फ उठाया है और मैंने हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने का प्रयास किया है। यहां भी बल्लेबाजी का आनंद लिया। हां, पिछले कुछ वर्षों में यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण था लेकिन मैं खुद से कहता रहा कि तुम इस खेल को क्यों खेलते हो, इसका आनंद लो, इस खेल के प्रति जुनून ने मुझे आगे बढ़ाया इसलिए मैं आगे बढ़ता रहा।'
दोनों के बीच बातचीत का आयोजन बीसीसीआई टीवी ने किया था। द्रविड़ ने हल्के-फुल्के अंदाज में बातचीत की शुरुआत करते हुए कहा,'यह अच्छा है कि यहां मेरे साथ कोई है, जिसने बचपन में मुझे बल्लेबाजी करते हुए नहीं देखा।' इस पर सूर्यकमार ने जवाब दिया,'नहीं, मैंने देखा (आपको बल्लेबाजी करते हुए) है।'
मुश्किल है सर्वश्रेष्ठ पारी का चुनाव करनाजिस तरह से द्रविड़ ने अपनी क्रिकेट खेली सूर्यकुमार की बल्लेबाजी उसके बिलकुल विपरीत है और भारत के पूर्व कप्तान भी उसी ओर इशारा कर रहे थे। द्रविड़ ने फिर पूछा कि क्या वह एक या दो पारियां चुन सकते हैं जो उन्हें लगता है कि उनकी सर्वश्रेष्ठ हैं। सूर्यकुमार ने कहा,'वास्तव में मेरे लिए किसी एक पारी को चुनना मुश्किल है। मैंने उन सभी कठिन परिस्थितियों में बल्लेबाजी का आनंद लिया जहां मैं बल्लेबाजी करने गया था। मैंने पिछले एक साल में जो कुछ भी किया वहां मैंने सिर्फ अपने खेल का आनंद लिया। मैं फिर वही काम कर रहा हूं।'
टीम को बनाए रखने की करता हूं कोशिश उन्होंने कहा,'जैसा कि मैंने पहले भी कहा था, मैं जितना संभव हो आनंद लेने और खुद को जाहिर करने की कोशिश करता हूं। उन कठिन परिस्थितियों में टीम मैच जीतने की कोशिश करती हैं। मैं मैच में टीम को बनाए रखने की कोशिश करता हूं। अगर यह मेरे और टीम के लिए अच्छा काम करता है तो मैं खूश हूं।' सूर्यकुमार ने हाल के दिनों में अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को और द्रविड़ को भी दिया। यह बल्लेबाज जब भारत-ए स्तर पर अपनी जगह पक्की कर रहा था तब द्रविड़ उस टीम के प्रभारी थे।
सफलता में परिवार की रही है अहम भूमिका सूर्यकुमार ने अंत में कहा,'अब तक की मेरी क्रिकेट यात्रा में परिवार की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है। जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो वे ही थे जिन्होंने मेरी मदद की। मेरे पिताजी एक इंजीनियर हैं इसलिए मेरे परिवार में खेल का कोई इतिहास नहीं है। मुझे थोड़ा अलग होना पड़ा जिससे कि उन्हें मेरे अंदर चिंगारी दिखे और वह मेरा साथ दें। उन्होंने और जाहिर तौर पर मेरी पत्नी ने काफी त्याग किया है। हमारी शादी के बाद से वह पोषण और फिट रहने के मामले में मेरे ऊपर काफी जोर दे रही है।
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