एक ने 22, तो दूसरे ने 17 साल किया इंतजार..दिलचस्प है इन दोनों की एक सी कहानी
Comparison of Sachin Tendulkar and Lionel Messi: क्रिकेट इतिहास में सचिन तेंदुलकर अगर भगवान का दर्जा रखते हैं, तो वहीं फुटबॉल में रविवार रात बाद दुनिया लियोनेल मेस्सी को भी वही दर्जा देगी जो सालों तक कायम रहेगा। दोनों के करियर में एक बात समान है और ये काफी दिलचस्प भी है।
क्रिकेट और फुटबॉल विश्व कप ट्रॉफियां (Twitter/AP)
अर्जेंटीना के रोसारियो और भारत के मुंबई में 15,159 किलोमीटर का फासला है। लेकिन इन दोनों जगहों पर दो ऐसे बच्चों ने जन्म लिया था जो अपनी किस्मत में कुछ खास लिखने वाले थे। इनके जन्म स्थान में बेशक बहुत दूरी दिखाई देती है, लेकिन अपने खेल करियर को शुरू करते समय कहीं ना कहीं एक छोटा सा सपना ऐसा था जो एक जैसा था। दोनों ने काफी मेहनत की, कम सुविधाओं के बीच शुरुआत की लेकिन उसके बाद विश्व खेल जगत का वो शिखर छुआ जिस पर उन्होंने एक लंबे समय तक नजरें टिकाकर रखीं थीं। दो सपने, लेकिन दोनों खूबसूरत और यादगार।
हम यहां बात कर रहे हैं भारत के महान पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) और अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर लियोनेल मेस्सी (Lionel Messi) की। इन दोनों के खेलों में फर्क है लेकिन रविवार रात जब कतर स्थित लुसैल स्टेडियम में अर्जेंटीना ने फुटबॉल के सबसे बड़े मंच फीफा विश्व कप 2022 पर खिताब को दिल से लगाया तो एक कहानी याद आ गई। कहानी सचिन और मेस्सी के इंतजार की..
रोसारियो का लियो, 17 सालों का संघर्ष
लियोनेल मेस्सी का जन्म अर्जेंटीना के रोसारियो में हुआ था। एक ऐसी जगह जहां संसाधनों की कमी थी। परिवार बड़ा था और आर्थिक रूप से संपन्न भी नहीं। ऊपर से लियोनेल मेस्सी एक बीमारी से जूझ रहे थे, जिसका इलाज ना किया जाता तो उनका कद ही नहीं बढ़ पाता। वरदान बना स्पेन का बार्सिलोना फुटबॉल क्लब जिसने उनको अपनाया, इलाज का खर्चा उठाया, सिखाया और बना दिया उस 10 नंबरी को जिसे फुटबॉल जगत आज सलाम कर रही है। इस सफर में मेस्सी हर पायदान चढ़ते रहे, सभी अवॉर्ड्स बटोरते रहे, तमाम प्रतिष्ठि खिताब भी जीते, बस सबसे बड़े खिताब के करीब आकर भी चूक जा रहे थे। फीफा विश्व कप का खिताब। उम्र 36 हो गई है और इस बार ये उनका अंतिम विश्व कप था। किसी भी हाल में जीतना था, यही अंतिम मौका था और मेस्सी ने वो सपना पूरा कर दिखाया।
मुंबई का सचिन, 22 सालों का संघर्ष
वहीं दूसरी तरफ थे अपने सचिन रमेश तेंदुलकर। एक ऐसा अद्भुत क्रिकेटर जिसने मुंबई के शिवाजी स्टेडियम से खेलते-खेलते अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के शीर्ष तक का सफर तय किया। जो करियर 1989 में शुरू हुआ था उस करियर में मास्टर ब्लास्टर ने सालों-साल तमाम बड़े खिताब व उपलब्धियां हासिल कीं। लेकिन करियर के 22 साल हो चुके थे और अब तक एक सपना अधूरा था। क्रिकेट विश्व कप का खिताब जीतना। उनकी आंखों के सामने टीम में खिलाड़ियों की पीढ़ियां बदलती गई लेकिन वो सपना अब भी दूर था। लेकिन उन्होंने अपने सपने का पीछा करना नहीं छोड़ा और यही वजह थी कि 38 साल की उम्र में साल 2011 ने उस यादगार पल को सचिन से रूबरू कराया जिसका इंतजार था। सालों की मेहनत आंखों में आंसुओं का रूप ले चुकी थी। करियर का अंतिम मोड़ वो दे चुका था जिसकी हसरत हर क्रिकेटर रखता है।
..और दोनोंं की वो दो हार
सालों के इस इंतजार के बीच इन दोनों दिग्गजों के बीच एक और समानता रही। दोनों ने उस हार को झेला था जहां से हर खिलाड़ी सब कुछ छोड़-छाड़ कर चले जाना चाहता है। विश्व कप फाइनल की हार। सचिन तेंदुलकर के शानदार प्रदर्शन के बाद भारत 2003 के क्रिकेट विश्व कप फाइनल में पहुंची थी लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम ने उस सपने को चकनाचूर कर दिया। उसी तरह 2014 फीफा विश्व कप में मेस्सी के शानदार प्रदर्शन के दम अर्जेंटीना भी फाइनल में पहुंची थी लेकिन जर्मनी ने उनका सपना ऐसा तोड़ा कि वो संन्यास का ऐलान भी कर चुके थे। हालांकि फैंस की मांग और विश्व कप जीतने की चाहत ने उनकी वापसी कराई और आखिरकार 2022 में जाकर वो सपना सच हो गया। दोनों खिलाड़ियों ने फाइनल में हार की उस टीस को झेला और सबसे बड़े खिताब को सदा के लिए दिल में समा लिया।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | क्रिकेट (sports News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
शिवम् अवस्थी टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में स्पोर्ट्स डेस्क के इंचार्ज हैं। वो कानपुर से ताल्लुक रख...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited