248, 248 और फिरः भारत उस मैच को कभी नहीं भूल पाएगा, जिंबाब्वे भी रह गया था दंग
Unforgottable moments in cricket history, Throwback 18th November: आज के दिन 1993 में वो मुकाबला खेला गया था जिसे भारत शायद कभी नहीं भूल सकेगा। उस दिन एक दिग्गज टीम की टक्कर जिंबाब्वे से थी लेकिन अंत में जो नतीजा निकला उसने सबके होश उड़ा दिए थे। आइए जानते हैं उस वनडे के बारे में।
भारत बनाम जिंबाब्वे (AP)
Cricket Throwback, Best ODI matches, IND vs ZIM 1993: क्रिकेट जगत में कुछ मुकाबले कभी ना भुलाने वाले हो जाते हैं। 90 के दशक में कई ऐसे मैच खेले गए जिन्हें फैंस आज भी नहीं भूल पाए हैं, फिर चाहे वो शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन का 'डेजर्ट स्टॉर्म' हो या फिर ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया 1999 का विश्व कप सेमीफाइनल। ये ऐसे मुकाबले हैं जो फैंस की जहन में बस चुके हैं और आज भी रह-रहकर याद आते हैं। ऐसा ही एक मैच आज की तारीख (18 नवंबर) को 1993 में खेला गया था। भारत बनाम जिंबाब्वे।
उस दौरान जिंबाब्वे भारत के दौरे पर था और हीरो कप में दोनों टीमें वनडे मैच खेलने के लिए आमने-सामने थीं। भारतीय टीम मजबूत थी और अपने घर में खेल रही थी, ऐसे में जिंबाब्वे को हराना उनके लिए मुश्किल काम नहीं था जब टीम में सचिन तेंदुलकर, मोहम्मद अजहरुद्दीन, मनोज प्रभाकर, कपिल देव और अनिल कुंबले जैसे कई दिग्गज मौजूद हों। लेकिन उस दिन कुछ अलग ही होना था।
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भारत पहले बल्लेबाजी करने उतरा
जिंबाब्वे की टीम ने टॉस जीता और भारत को पहले बैटिंग करने का न्योता दिया। टीम इंडिया की तरफ से ओपनर मनोज प्रभाकर ने 91 रन, विनोद कांबली ने 55 रन, मोहम्मद अजहरुद्दीन ने नाबाद 54 रन और सचिन तेंदुलकर ने 16 गेंदों में 24 रनों की पारी खेली, जिसके दम पर भारत ने 50 ओवर में 5 विकेट खोकर 248 रन का स्कोर खड़ा किया, जो इंदौर की पिच पर भारत को काफी नजर आ रहा था।
जिंबाब्वे जवाब देने आया और फिर..
जिंबाब्वे की टीम के सामने 249 रनों का लक्ष्य था। उन्होंंने 67 रन पर अपने शुरुआती 3 विकेट गंवा दिए थे। लेकिन कप्तान एंडी फ्लावर ने 56 रनों की पारी खेलकर टीम को संभाला, जबकि मध्यक्रम में वॉलर ने 32, गाय विटल 33 और अली शाह ने 37 रनों की पारियां खेलकर मैच को रोमांचक स्थिति की ओर धक्का दे दिया।
मैच के वो अंतिम क्षण और नतीजा
एक समय आया जब जिंबाब्वे की टीम ने 212 रन तक स्कोर तो पहुंचा दिया लेकिन उनके 8 विकेट गिर चुके थे। पहले हीथ स्ट्रीक और स्टीफन पील की जोड़ी ने अपनी टीम को बिना विकेट गंवाए जीत के 12 रन और करीब पहुंचा दिया। पील तो आउट हो गए। अब सिर्फ एक विकेट बाकी था। मनोज प्रभाकर के अंतिम ओवर में स्ट्रीक और जॉन रेनी की जोड़ी को जीत के लिए 10 रन और चाहिए थे। इसके बाद अंतिम गेंद तक मैच पहुंचा जहां उन्हें जीत के लिए 2 रन चाहिए थे और सिर्फ एक विकेट बाकी था।
इस अंतिम गेंद पर बॉल स्ट्रीक के पांव से लगी और लेग बाय का रन दौड़ लिया गया। पहला रन पूरा हो गया था, लेकिन दूसरे रन को दौड़ते समय वो रन आउट हो गए। जिंबाब्वे ऑल आउट तो हुआ लेकिन उस एक रन से स्कोर बराबर करने के बाद। जिंबाब्वे ने ऑलआउट होकर 248 रन बनाए और मैच टाई हो गया। वो वनडे क्रिकेट इतिहास का सातवां टाई था।
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शिवम् अवस्थी टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में स्पोर्ट्स डेस्क के इंचार्ज हैं। वो कानपुर से ताल्लुक रखते हैं। इनको खेल पत्रकारिता में तकरीबन 16 सालों का...और देखें
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