टीम इंडिया के लिए हीरा निकला ध्रुव, कभी मां ने बेटे के लिए बेचा था सोना, कहानी ध्रुव जुरेल के फर्स्ट किट की
Dhruv Jurel Inspiring Story: रांची टेस्ट में ध्रुव जुरेल की पारी ने साबित कर दिया कि वह टीम इंडिया के भविष्य के सितारे हैं। उन्होंने ऐसे समय में 90 रन की पारी खेली जब टीम इंडिया को इसकी सख्त दरकार थी।
ध्रुव जुरेल (साभार-BCCI)
मुख्य बातें
- जुरेल ने खेली शानदार पारी
- यूं ही नहीं तय किया टीम इंडिया का सफर
- कभी मां ने बेटे के लिए बेचा था सोना
Dhruv Jurel Life Story: जब टीम इंडिया में पहली बार नाम आया तो मां को यकीन नहीं हुआ कि उनका बेटा अब देश के लिए खेलने वाला है। बेटे ने यह कहकर भरोसा दिलाया कि उसी टीम में खेलूंगा जिसमें रोहित भाई और विराट खेलते हैं तब जाके मां को विश्वास हुआ और उसकी खुशी का ठीकाना नहीं रहा। ध्रुव जुरेल की इस तरह राजकोट टेस्ट में एंट्री हुई। डेब्यू पर अपनी विकेटकीपिंग के साथ-साथ बैटिंग से भी ध्यान खींचा, लेकिन वो कहते हैं न सोना तपता है, तब निखरता है और रांची टेस्ट में जब हालात मुश्किल थे। तब टीम इंडिया के लिए किसी संकटमोचक की तरह सामने आए।
पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ क्या खेले ध्रुव जुरेल
ध्रुव जुरेल जब बल्लेबाजी करने उतरे तो टीम इंडिया रांची टेस्ट में इंग्लैंड की तुलना में काफी पीछे थी, लेकिन जुरैल कुछ और ही सोच कर आए थे। उन्होंने लोअर ऑर्डर के हर खिलाड़ी के साथ बेहतरीन सामंजस्य दिखाते हुए धीरे-धीरे ही सही टीम इंडिया को 300 रन के पार पहुंचा दिया। उन्होंने पहले कुलदीप के साथ 202 गेंद में 76 रन की साझेदारी की तो बाद में डेब्यूटांट आकाशदीप के साथ 76 गेंद में बहुमूल्य 40 रन जोड़े। जुरेल आखिरी विकेट के रूप में आउट हुए, लेकिन तब तक वह 149 गेंद में 90 रन की पारी खेल चुके थे और बहुत हद तक टीम इंडिया को संकट से उबार चुके थे।
आज ध्रुव के पारी की तारीफ हर कोई कर रहा है, लेकिन उनके लिए टीम इंडिया के यहां तक का सफर आसान बिल्कुल नहीं था। कभी किट खरीदने के भी पैसे नहीं हुआ करते थे, लेकिन जिद थी क्रिकेट खेलने की तो मां-बाप ने लाख मुश्किलों के बावजूद बेटे के सपने को जिंदा रखा।
ध्रुव जुरेल
कहानी ध्रुव जुरेल की फर्स्ट किट की Live Scorecard Ind vs ENG
ध्रुव के पिता हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा आर्मी में जाए और उनकी विरासत को आगे बढ़ाए, लेकिन जुरैल का मन खाली क्रिकेट में लगता था। पिता नेम सिंह आर्मी में हवलदार थे तो माली हालत भी अच्छी नहीं थी। उनके पिता ने कहा था कि क्रिकेट एक महंगा खेल है और वह इसे छोड़ दें। उनके पिता के अनुसार 'मुझे तब 800 रुपये उधार लेने पड़े क्योंकि हमारे पास पैसे नहीं थे। बाद में उन्हें एक किट बैग चाहिए था,
लेकिन वह बहुत महंगा था, लगभग 6000 रुपये उसकी कीमत थी। मैंने कहा, 'मत खेलो, इतना पैसा नहीं है, लेकिन उसने खुद को बाथरुम में बंद कर दिया। बेटे की जिद के आगे मां को झुकना पड़ा और उन्होंने जुरेल को पहला किट दिलाने के लिए अपना एकमात्र सोने का हार बेच दिया। आज उनकी यह तपस्या कहीं-कहीं रंग ला रही है और जुरैल ने उनकी उम्मीदों से बढ़कर मेहनत किया और यहां तक का सफर हासिल किया।
ध्रुव जुरेल
ध्रुव जुरेल: रास्ता कठिन, मंजिल अभी दूर
आज भले ही जुरैल की पारी की तारीफ हो रही है, लेकिन टीम इंडिया में उनका आगे का रास्ता कांटो से भरा है। केएल राहुल जैसे स्टाइलिस खिलाड़ी, ऋषभ पंत जैसा विस्फोटक बल्लेबाज जब टीम इंडिया में वापसी करेंगे तो इस युवा खिलाड़ी के लिए अपनी जगह बरकरार रखना आसान नहीं होगा। लेकिन जुरैल ने अपने प्रदर्शन से ये तो दिखा दिया कि वह लंबी रेस के घोड़े हैं और यूं ही मौके जाने नहीं देंगे। जब भी इस ध्रुव को मौका मिलेगा वह किसी तारे की तरह आसमान में जगमाएगा।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | क्रिकेट (sports News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
End Of Feed
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited