IND vs ENG: टीम इंडिया में सिलेक्शन पर इमोशनल हुए सरफराज, बोले- 'पिता के बिना ये संभव नहीं था'
Sarfaraz Khan on Team India call: भारतीय टीम में सिलेक्शन का लंबे समय से इंतजार कर रहे सरफराज खान ने अपनी इस यात्रा में पिता की भूमिका के बारे में जिक्र किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे उनके पापा की मदद से वे मुश्किल परिस्थितियों में भी डटे रहे।

सरफराज खान (फोटो- Twitter)
Sarfaraz Khan on Team India call: 26 साल के लंबे इंतजार के बाद, सरफराज खान के पिता का अपने बेटे को भारत क्रिकेट टीम में देखने का सपना आखिरकार सच हो गया है। केएल राहुल, विराट कोहली और रवींद्र जडेजा के भारत बनाम इंग्लैंड दूसरे टेस्ट से बाहर होने के बाद भारत की 16 सदस्यीय टीम में स्टार बल्लेबाज की घोषणा की गई।
सरफराज खान दूसरे टेस्ट मैच में डेब्यू भी कर सकते हैं। मुंबई के धाकड़ खिलाड़ी को अपने पहले टेस्ट कॉल-अप को प्राप्त करने के रास्ते में कई कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद वे टिके रहे और आगे बढ़ते गए। सरफराज की इस जर्नी में उनके पिता का खास योगदान रहा जिसका उन्होंने बीसीसीआई द्वारा जारी वीडियो में जिक्र किया है।
पिता ने मुझे क्रिकेट खेलना सिखाया- सरफराज
सरफराज ने कहा कि 'मेरे पिता ने मुझे क्रिकेट से परिचित कराया और मुझे हमेशा आश्चर्य होता था कि मैं खेल क्यों रहा हूं।यह पूछे जाने पर कि जब वह खड़े होकर सरफराज खान को देखते थे तो दूसरों को मौका मिलता देखकर उन्हें कैसा महसूस होता था, उन्होंने कहा -'स्वभाव से, मैं एक आक्रामक बल्लेबाज हूं और मैं दूसरों की तुलना में जल्दी आउट हो जाता था और बड़े रन बनाना मुश्किल हो रहा था। दूसरों को सफल होते देखना निराशाजनक था, जबकि मैं दौड़ में शामिल नहीं था।
मैच देखने के लिए फ्लाइट से आते थे पिता-सरफराज
सरफराज ने आगे इस बारे में बात की कि जब उन्होंने राज्य बदलने और उत्तर प्रदेश जाने का फैसला किया तो उनके पिता उन्हें कैसे प्रोत्साहित किया और उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए कि दबाव महसूस न हो।सरफराज ने कहा कि यहां तक कि जब मैं मुंबई से यूपी चला गया, तब भी वह मुझसे मिलने आने के लिए फ्लाइट लेते थे। वह चयन ट्रायल से पहले छत या सड़क पर ही मुझे गेंदबाजी करना शुरू कर देते थे। अब मुझे उन प्रयासों के प्रभाव और महत्व का एहसास हुआ है।'
मेरे पिता हमेशा मेरे साथ खड़े रहे- सरफराज
सरफराज ने आगे कहा कि 'जब मैं यूपी से मुंबई वापस आया, तो मुझे डर लग रहा था कि इससे मेरा करियर खत्म हो जाएगा और मुझे दृढ़ता से लगा कि मेरे आगे कोई भविष्य नहीं है, लेकिन मेरे पिता हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। यदि आपको अवसर नहीं मिले तो जीवन में कोई गारंटी नहीं है। लेकिन मेरे पिता हमेशा कड़ी मेहनत में विश्वास करते थे और मेरे पास जो कुछ भी है वह उसी मेहनत का नतीजा है।'
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