Father's Day Special: पिता न होते तो देश को नहीं मिलता ये होनहार क्रिकेटर्स
भारत में ज्यादातर क्रिकेटर्स ऐसे हैं जिनके सफल करियर के पीछे उनके पिता का रोल बेहद अहम रहा है। अगर उन्होंने अपने इतनी मेहनत न की होती तो शायद आज देश को ये क्रिकेटर नहीं मिलते। इसमें महान सचिन तेंदुलकर से लेकर युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी जैसे नाम हैं।
फादर्स डे और क्रिकेटर्स (साभार-Twitter)
- क्रिकेटर जिनके करियर में रहा है पिता का योगदान
- सचिन तेंदुकर से लेकर माही तक हैं शामिल
- पंकज शॉ ने बेच दी थी दुकान
भारतीय परिवार की संरचना ऐसी है, जहां कुछ करने और बनने के लिए परिवार और खास तौर से पिता का सपोर्ट होना बेहद जरूरी है। यह दोनों ही स्थिति में लागू होता है चाहे वो लड़का हो या लड़की, क्योंकि यहां ज्यादातर मामलों में पुत्र अपने पिता का अधूरा सपना पूरा कर रहा होता है। आज फादर्स डे के मौके पर हम उन क्रिकेट खिलाड़ियों की बात करेगे जिनके करियर को आकार देने में उनके पिता का रोल अहम रहा है या फिर आप ये भी कह सकते हैं कि अगर वो नहीं होते तो देश इन प्रतिभाओं से मरहूम रह जाता।
एमएस धोनी और पान सिंह- भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक एमएस धोनी के क्रिकेट चुनने से लेकर उनके सफल करियर में उनके पिता पान सिंह का रोल रहा है। वरना मध्यवर्गीय परिवार में कोई सरकार नौकरी छोड़कर खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने का निर्णय कहां ले पाता है?
धोनी को आज दुनिया कैप्टन कुल के नाम से जानते हैं, लेकिन उनके अंदर या कामनेस उनके पिता से ही आया है। उनकी सादगी का अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब धोनी पहली बार टीम इंडिया के कप्तान बने थे तो उनके पिता ने 'अच्छा लगा' बस इतनी से प्रतिक्रिया देकर अपने सारे जज्बातों को समेट लिया था।
पृथ्वी शॉ और पंकज शॉ- अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ भले ही आज टीम इंडिया से बाहर हो, लेकिन वो वक्त दूर नहीं जब वह फिर एक बार ब्ल्यू जर्सी में खेलते दिखेंगे। शॉ के पिता पंकज शॉ की कहानी भी बेहद दिलचस्प हैं। उन्होंने अपने बेटे का करियर बनाने के लिए अपनी कपड़े की दुकान बेच दी जिससे वह सारा ध्यान अपने बेटे के प्रैक्टिस पर लगा सकें।
सुरेश रैना और त्रिलोक चंद रैना- पूर्व भारतीय बल्लेबाज सुरेश रैना की कहानी भी जुदा नहीं है। पिता आर्मी में थे, लेकिन अपने बेटे के हुनर को बेहद करीब से जानते थे। रैना को अच्छी ट्रेनिंग मिले इसके लिए 1980 में वह गाजियाबाद शिफ्ट हो गए। यही रैना के टैलेंट को पहचान मिली और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पठान ब्रदर्स और महमूद खान- पठान भाईयों का बचपन वड़ोदरा में बीता जहां उनके पिता जामा मस्जिद में मुअज़्ज़िन के तौर पर काम करते थे। पठान कई बार कह चुके हैं कि पिता की मदद के लिए वो भी कई बार यहां झाड़ू लगाते थे, लेकिन मन के भीतर देश के लिए खेलने का जज्बा था, जिसे पिता ने हमेशा सपोर्ट किया।
युवराज सिंह और योगराज सिंह- गौतम गंभीर की मानें तो युवराज भारतीय क्रिकेट में व्हाइट बॉल के सबसे बड़े बल्लेबाज हैं, लेकिन ये हमें नहीं मिलते अगर उनके पिता ने इन्हें क्रिकेट बनाने की जिद न की होती। बचपन में युवराज को स्कैटिंग का जुनून था। वह इसमें अच्छे भी थे, लेकिन क्रिकेटर पिता योगराज उनके माध्यम से अपने सपने को जीना चाहते थे और इसलिए अपना सारा वक्त बेटे को ट्रेनिंग देने में झोंक दिया। उनकी ट्रेनिंग इतनी हार्ड थी कि युवराज अपने पिता को 'हिटलर' कहते हैं।
सचिन तेंदुलकर और रमेश तेंदुलकर- सचिन तेंदुलकर के नाम आज वर्ल्ड क्रिकेट का लगभग हर एक रिकॉर्ड है, लेकिन वह हर बार यह कह चुके हैं कि उनके यहां तक पहुंचने में उनके पिता रमेश तेंदुलकर का बहुत बड़ा योगदान है। सचिन की लाइफ में उनके पिता के योगदान को समझने के लिए उनके द्वारा लिखी गई एक बात को समझना जरूरी है। अगर मुझे दुनिया में किसी एक व्यक्ति को चुनने के लिए कहा जाए, तो मैं बार-बार उन्हें चुनूंगा। 1999 वर्ल्ड कप के दौरान 19 मई 1999 को उनके पिता का निधन हो गया था। ये सचिन ही थे कि केवल 4 दिन के बाद वापस इंग्लैंड गए और केन्या के खिलाफ शतक ठोक दिया। सचिन ने उस वक्त भी कहा था कि यह उनके पिता की इच्छा थी कि मैं टीम का साथ न छोड़ूं।
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मैं समीर कुमार ठाकुर टाइम्स नाउ हिंदी (Timesnowhindi.com) की स्पोर्ट्स टीम का अहम सदस्य हूं। मैं मूल रूप से बिहार, बांका जिले का रहने वाला हूं। पत्रका...और देखें
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