IPL 2025: मेगा ऑक्शन से पहले आईपीएल टीमों ने बीसीसीआई के सामने रखी ये बड़ी मांगें, मच सकता है बवाल
आईपीएल टीमों ने नए सीजन के लिए होने वाले होने वाले मेगा ऑक्शन से पहले कुछ बड़ी सलाह बीसीसीआई और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के अधिकारियों के साथ साझा की है।
आईपीएल ट्रॉफी(साभार BCCI/IPL)
- आईपीएल टीमों ने रखी बीसीसीआई के सामने बड़ी मांगे
- मेगा ऑक्शन 5 साल में कराने की रखी मांग
- ज्यादा से ज्यादा मिले राइट टू मैच के विकल्प
आईपीएल 2025 के लिए बिसात बिछनी शुरू हो गई है। नए सीजन से पहले एक बार फिर मेगाऑक्शन होने जा रहा है। ऐसे में सभी 10 टीमें एक बार फिर नए स्वरूप में नजर आएंगी। ऐसे में मेगा ऑक्शन से पहले सभी टीम फ्रेंचाइजी ने बीसीसीआई के सामने कई बड़ी मांगें रखी हैं। जिससे कि टीम का तानाबाना हर तीन साल के अंतराल में ना बिगड़े।
ये हैं टीमों की बड़ी मांगें
सभी टीमों ने बीसीसीआई के सामने सबसे बड़ी मांग रखी है कि मेगा ऑक्शन पांच साल में एक बार होना चाहिए। टीमों की दूसरी सबसे बड़ी मांग है कि उन्हें मेगा ऑक्शन से पहले चार से छह खिलाड़ियों को रिटेन करने की अनुमति मिलनी चाहिए। टीमों की तीसरी बड़ी मांग है कि 8 खिलाड़ियों को टीम में शामिल करने के लिए आरटीएम(राइट टू मैच) का विकल्प मिलना चाहिए।
पांच साल में हो मेगा ऑक्शन
साल 2008 से आईपीएल का हिस्सा रही एक टीम के अधिकारी के मुताबिक, मेगा ऑक्शन को तीन की जगह पांच साल में आयोजित करने की एक से ज्यादा वजहे हैं। पांच साल में मेगा ऑक्शन आयोजित करने से टीमों को युवा खिलाड़ियों को तराशने में मदद मिलेगी। खासकर अनकैप्ड युवा खिलाड़ियों को क्योंकि टीमों ने देशभर के कई हिस्सों में अपनी अकादमी स्थापित की हैं जिससे कि वो जमीनी स्तर पर खिलाड़ियों का चयन करके उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी के रूप में तैयार कर सकें। पांच साल में मेगा ऑक्शन के होने से खिलाड़ियों पर किए निवेश का फायदा टीमों को होगा। वर्तमान में तीन साल में खिलाड़ी को तैयार करने के बाद उसे खोने का डर टीमों को होता है।
खिलाड़ियों से सैलरी निगोशिएट करने की मिले छूट
कुछ सुझाव ऐसे भी आए हैं कि टीमों को खिलाड़ियों के साथ सेलरी पर सीधे तौर पर निगोशिएट करने की छूट होने चाहिए। इससे टीमों को
कोर को बरकरार रखने में मदद मिलेगी और खिलाड़ियों के साथ बेहतर संबंध बनाने में मदद मिलेगी जिन्हें बेस प्राइज पर टीमों ने खरीदा था। निगोशिएशन की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और इसके लिए भी नियम होने चाहिए।
राइट टू मैच के मिलें 8 विकल्प
टीमें ज्यादा से ज्यादा राइट टू मैच का विकल्प चाहती हैं। जिससे कि खिलाड़ियों को मार्केट प्राइज पर वो रिटेन करके अपनी कोर टीम बनाए रख सकें। ऐसे में खिलाड़ी को भी वित्तीय नुकसान नहीं होगा और टीमे लंबे समय तक अपनी कोर टीम को बनाए रख सकेंगी।
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