जेम्स एंडरसन: स्विंग का वो जादूगर, जिसने दिखाया लाल गेंद से कैसे होता है जादू

James Anderson Retirement: जेम्स एंडरसन ने नम आंखों के साथ अपने क्रिकेट करियर को अलविदा कह दिया। उन्होंने अपनी यात्रा को वहीं विराम दिया जहां वह पहली बार लाल गेंद लेकर मैदान में उतरे थे। एंडरसन की कमी केवल इंग्लैंड को नहीं बल्कि क्रिकेट के हर चाहने वाले को खलेगी।

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जेम्स एंडरसन का आखिरी टेस्ट (साभार-AP)

मुख्य बातें
  • जेम्स एंडरसन का आखिरी टेस्ट
  • 704 विकेट के साथ लगा करियर पर विराम
  • जाते-जाते भावुक हो गए जिमी

James Anderson Retirement: साल 2003 और लॉर्ड्स। वही लॉर्ड्स का मैदान जहां इंग्लैंड क्रिकेट टीम के कप्तान नासिर हुसैन ने 20 साल के एक नए लड़के को पहली बार मौका दिया था। लड़का लंकाशायर क्रिकेट क्लब से खेलता था और घरेलू सर्किट में लाल गेंद से अपनी गेंदबाजी का जौहर दिखा चुका था। लेकिन असली टेस्ट देने की बारी अब थी। लड़का मैदान पर उतरा और अपने पहले ही टेस्ट ओवर में 17 रन लुटा बैठा। लेकिन जब मैच खत्म हुआ, तो उसके नाम के सामने लुटाए गए तमाम रनों के साथ अंकित थे पांच विकेट। पहले ही टेस्ट में पांच विकेट यानी पूत के पांव पालने में ही दिख गए थे। अब इस घटना को करीब 21 बरस बीत गए।

लड़का, जो दिग्गजों की फेहरिस्त में शुमार है और उसी लॉर्ड्स के मैदान से इंग्लैंड की सफेद जर्सी में एक हाथ हवा में लहराते हुए आखिरी बार बाहर निकल गया, जहां उसने पहली बार टेस्ट विकेट का स्वाद चखा था। जहां उसके पहले ही ओवर में ताबड़तोड़ रन पड़ गए थे और जहां उसने पहली बार पांच विकेट लेकर लाल गेंद को हवा में लहराया था। खचाखच भरा लॉर्ड्स, आज उसकी विदाई पर उदास और भावुक था और जेम्स एंडरसन हवा में लहराते अपने दाहिने हाथ में कैप लिए आखिरी बार मैदान से बाहर निकल गए। हजारों लोग आखिरी बार जिमी की गेंदबाजी का जादू देखने के लिए आए थे और उन्हें विदाई देने भी।

एंडरसन ने जो किया वह दोहराना नामुमकिन

जेम्स एंडरसन, वर्ल्ड टेस्ट क्रिकेट का एक ऐसा तेज गेंदबाज, जिसने 704 टेस्ट विकेट के साथ अपने करियर को विराम दिया। अपने पहले टेस्ट के पहले ओवर में 17 लुटाने वाले एंडरसन ने पिछले 20 साल में जो छाप छोड़ी है उसकी बराबरी करना लगभग नामुमकिन सा लगता है। जेम्स एंडरसन के टेस्ट करियर के पहले ओवर के बारे में नासिर हुसैन ने एक दफा कहा था कि- एंडरसन के पहले ओवर में 17 चले जाने के पीछे उनकी गलती थी। हुसैन ने कहा था कि मैंने जिमी को गलत फील्ड दी थी। फाइन लेग नहीं होने और ऑफ-साइड रिंग के कारण डायन इब्राहिम ने 17 रन बना दिए थे। इसमें से ज्यादातर रन उनके पैर की उंगलियों से निकले थे। लेकिन इसे स्वीकार करने में नासिर को करीब दो दशक लग गए और इन दो दशक में एंडरसन दुनिया के महानतम टेस्ट गेंदबाजों की लिस्ट में दर्ज हो गए, तेज गेंदबाजों की सूची में तो वो सर्वश्रेष्ठ हैं ही।

21 साल का करियर नहीं एक दौर का अंत

जिमी के पहले टेस्ट और आखिरी टेस्ट मैच को देखें तो कितना कुछ बदला नजर आता है। 2003 में जिम्बाब्वे के खिलाफ एंडरसन का डेब्यू स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दौर के पहले का है। और एंडरसन के टेस्ट करियर के अंत के समय लॉर्ड्स में मौजूद लोग अपने स्मार्टफोन में उन्हें कैप्चर कर रहे थे। इतना बड़ा अंतर इस बात का गवाह है कि जेम्स ने बदलते दौर में मैदान और उससे बाहर भी खुद को कितना संयमित रखा। दो दशक तक किसी तेज गेंदबाज के लिए इंटरनेशनल सर्किट में गेंदबजी करना बिल्कुल भी असाधारण नहीं है और जेम्स असाधारण थे भी नहीं। जेम्स स्विंग कराने में माहिर थे, इस दौर में ऐसी स्विंग शायद ही किसी के पास हो। वो सिर्फ एक रेगुलर अप-फ्रंट सीमर ही नहीं थे, बल्कि वह एक ऐसे गेंदबाज रहे, जिनकी स्विंग ने दिग्गज बल्लेबाजों की नींद उड़ा दी थी। उनकी तरकश में इनस्विंगर, लेट कटर, फुलर अनप्लेएबल डिलीवरी और निश्चित रूप से पुरानी गेंद से स्विंग शामिल था।

पहली ही विकेट में दिख गया था जिमी का जादू

एंडरसन ने जब टेस्ट क्रिकेट में अपनी 18वीं गेंद पर मार्क वर्म्यूलेन को चकमा देकर अपनी पहली विकेट चटकाई, तो उस गेंद वो सबकुछ नजर आया, जिसके लिए जेम्स जाने जाते थे। एक परफेक्ट इनस्विंगर जो किसी तरह बाहरी किनारे को पार करते हुए मिडिल स्टंप में लैंड कर गई। तब शायद एंडरसन को मालूम नहीं था कि उनकी यह स्विंग एक दिन मैजिक बन जाएगी। करियर की शुरुआत में अपने एग्रेसिव अनियंत्रित रन-अप और ब्लॉकबस्टर डिलीवरी उटस्विंगिंग यॉर्कर जैसी गेंदों के लिए जाने जाते थे। जेम्स की ऐसी ही एक यॉर्कर ने 2003 के विश्व कप में पाकिस्तान के मोहम्मद यूसुफ को हैरान कर दिया था।

कठिन रहे एंडरसन के शुरुआती 4 साल

एंडरसन के करियर के शुरुआती चार साल कठिन रहे, वो अपनी काबिलियत के मुताबिक सफलता नहीं पा सके। 2006-07 एशेज तक उनके खाते में 16 टेस्ट मैचों में 38.39 की औसत और चार ओवर प्रति ओवर की इकॉनमी रेट से 46 विकेट थे। फिर उन्होंने अपनी गेंदबाजी बदलाव किए। अपनी गेंदबादी में उस स्विंग को प्रमुखता से जोड़ा, जिसने उन्हें पहली टेस्ट विकेट दिलाई थी। फिर गेंद को हाथ में छुपाने में भी सक्षम होने लगे, ताकी शाइनी साइड गेंदबाज को न दिखे और वो स्विंग न भांप पाए।

इसके बाद जिमी को कोई रोक न सका। वो वर्ल्ड क्रिकेट में वो छाते चले गए। हरे मैदान पर लाल रंग की गेंद से कहर बरपाते चले गए और विकेट पर जमी गिल्लियों को एंगल बनाकर कांटा बदलती उनकी गेंदें हवा में लहराती चली गईं।

बर्नले का वह लड़का

20 साल की उम्र में भी जेम्स एंडरसन के पास एक बड़ी कहानी थी। बर्नले का वह लड़का, जो 2002-03 की इंग्लैंड की भीषण सर्दियों के दौरान हर संभव तरीके से एक आतिशबाजी की तरह फूट पड़ा। पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे टीम में एक असाधारण अतिरिक्त खिलाड़ी के रूप में। फिर तीन महीने बाद पोर्ट एलिजाबेथ में उन्हीं विरोधियों के खिलाफ विश्व कप में तोड़ देने वाली हार का शिकार बना। जबकि उसके कुछ ही दिन पहले ही उसकी टीम ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी।

एंडरसन को मिली वही विदाई जिसके हकदार थे

लगभग दो दशक बाद लॉर्ड्स में ही एंडरसन के क्रिकेटिंग करियर का पर्दा गिर गया। उन्हें हमने एक ऐसे क्रिकेटर के रूप में अलविदा कहा है, जो अपनी शुरुआती धारणाओं से इतना दूर हो चुके हैं कि यह जानना भी मुश्किल है कि वह खुद को कैसे याद किया जाना पसंद करेंगे। हां, वह जादुई गेंदें फेंकते थे, लेकिन उसका कॉलिंग-कार्ड एक डॉट था। हां, वह कभी-कभी बहुत ही चिड़चिड़ा कंपीटिटर भी रहे हैं। लेकिन वो खेल से इतना प्यार करते हैं कि अब भी ये स्वीकार नहीं कर सकते कि वह आने वाले कई सालों तक लंकाशायर के लिए खेलना जारी नहीं रखेंगे।

एंडरसन के बिना इंग्लैंड को टेस्ट खेलते हुए देखना अजीब लगेगा, क्योंकि हमें पिछले दो दशक से पहले स्पेल में उन्हें देखने की आदत लग चुकी है। टेस्ट क्रिकेट में तेज गेंदबाजी के एक युग का अंत आज हो गया। अब बस यह देखना बाकी है कि आगे क्या होता है। इंग्लैंड में फिर अगले साल गर्मियां आएंगी पर ड्यूक की चमकती लाल गेंद के साथ एंडरसन नजर नहीं आएंगे। याद आएंगे गेंदबाजी से पहले अपने बालों को दाईं तरफ झटकते और जीभ को हल्का बाहर निकालकर रनअप पर दौड़ने वाले एंडरसन। और ऐसी स्विंग कराने वाले एंडरसन, जिसे देखकर आंखों को जो सुख मिलता था, उसे यहां बयां तो नहीं ही किया जा सकता।

जेम्स एंडरसन के आखिरी टेस्ट में उनके पहले कप्तान ने कहा- 'आप हमारे सबसे अच्छे समय में भी साथ थे और हमारे सबसे बुरे समय में भी, इसलिए अब आपको धन्यवाद देने का समय आ गया है।'

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Rohit Ojha author

रोहित ओझा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉरस्पॉडेंट सितंबर 2023 से काम कर रहे हैं। यहां पर वो बिजेनस और यूटिलिटी की खबरों पर काम करते हैं। मी...और देखें

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