IND vs BAN: जयदेव उनादकट का खत्म हुआ 12 साल का इंतजार, हासिल किया पहला टेस्ट विकेट
jaydev unadkat's maiden test wicket: भारत और बांग्लादेश के बीच मीरपुर में खेले जा रहे सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच टीम इंडिया के गेंदबाज जयदेव उनादकट के लिए हमेशा के लिए यादगार बन गया। 12 साल 2 दिन लंबे इंतजार के बाद उन्होंने मैच में अपना पहला टेस्ट विकेट झटका।
जयदेव उनादकट(साभार AP)
ढाका: भारत और बांग्लादेश के बीच गुरुवार को मीरपुर में शुरू हुए सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच में मेजबान टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। पहले टेस्ट में जीत के बाद मुकाबले में उतरी भारतीय टीम के कप्तान केएल राहुल ने भारतीय एकादश का ऐलान किया और कुलदीप यादव की जगह तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट को खिलाने का ऐलान किया।
12 साल बाद खुले टेस्ट टीम के दरवाजेजयदेव उनादकट को मोहम्मद शमी और अन्य गेंदबाजों के चोटिल होने के बाद बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए भारतीय टीम में जगह दी गई थी। ऐसे में उनके लिए प्लेइंग-11 के दरवाजे 12 साल लंबे अंतराल के बाद खुले। 16 दिसंबर, 2010 को उनादकट ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में टेस्ट डेब्यू किया था। उस मुकाबले में वो एक भी विकेट नहीं हासिल कर सके। इसके बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और एक दशक तक टीम में वापसी नहीं हुई। बावजूद इसके वो घरेलू क्रिकेट में लगातार मेहनत करते रहे और पिछले सीजन 67 विकेट रणजी में चटकाए और टीम इंडिया में वापसी का दावा ठोक दिया।
जाकिर हसन बने पहला टेस्ट शिकार, खत्म हुआ इंतजारजयदेव उनादकट को मीरपुर में तीसरे नंबर पर गेंदबाजी का मौका मिला और उन्होंने अपने चौथे ओवर की पांचवीं गेंद पर बांग्लादेश के ओपनर जाकिर हसन को स्लिप में कप्तान केएल राहुल के हाथों कैच कराकर चलता कर दिया। उनादकट की गेंद को मिले अतिरिक्त उछाल
पर जाकिर गच्चा खा गए और गेंद उनके बल्ले का किनारा लेती हुई स्लिप में जा पहुंची। जाकिर ने 15(34) रन बनाए। वो उनादकट के टेस्ट करियर का पहला शिकार बने। इसके लिए उन्हें 12 साल 2 दिन लंबा इंतजार करना पड़ा।
दिल छू लेने वाली है वापसी की कहानीकरियर का पहला टेस्ट विकेट जैसे ही उनादकट वे हासिल किया उसकी खुशी उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। विराट कोहली और राहुल सहित टीम इंडिया के सभी खिलाड़ियों ने उन्हें इसके लिए बधाई दी। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने उनादकट की वापसी की कहानी को दिल को छू लेने वाली बताते हुए कहा, जयदेव उनादकट की वापसी की कहानी दिल को छू लेने वाली है। उनकी वापसी की सबसे खास बात यह है कि उन्होंने पिछले 12 साल में कभी हार नहीं मानी। मैं आशा करता हूं कि वो अच्छा प्रदर्शन करेंगे और विकेट हासिल करेंगे।
उनादकट की वापसी के बीच खिलाड़ी से कोच बने द्रविड़उनादकट की वापसी की कहानी में एक रोचक तथ्य भी उभरकर सामने आया है। जब जयदेव उनादकट ने अपना टेस्ट डेब्यू साल 2010 में किया था उस वक्त टीम इंडिया में राहुल द्रविड़ बतौर खिलाड़ी शामिल थे। अब 12 साल बाद जब उनादकट की वापसी हुई है तब राहुल द्रविड़ टीम इंडिया के हेड कोच हैं।
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