'एक था टाइगर': आज ही के दिन भारतीय क्रिकेट में रचा गया था इतिहास, 21 साल के नवाब ने दुनिया को ऐसे चौंकाया था

Cricket Throwback 23rd Match: क्रिकेट इतिहास में कई खिलाड़ियों ने ऐसी उपलब्धियां हासिल की हैं जिनको भुलाया नहीं जा सकता। रिकॉर्ड बनते और टूटते हैं लेकिन कुछ सफलताएं ऐसी होती हैं जिनका कोई तोड़ नहीं होता। हम बात कर रहे हैं भारतीय क्रिकेट में आज ही के दिन रचे गए उस इतिहास की जिसे 'टाइगर' ने अंजाम दिया था।

मनसूर अली खान पटौदी (BCCI)

On this Day in Cricket History, 23rd March: भारतीय क्रिकेट का इतिहास कई स्वर्णिम सफलताओं से सजा हुआ है। अंग्रेजों से मिले इस खेल में भारत ने आजादी के बाद से उस तेजी से रफ्तार भरी, जैसी शायद ही किसी देश ने हासिल की। इन दशकों के भारतीय क्रिकेट इतिहास में कई खिलाड़ी आए और गए, कुछ ने नाम और पहचान बनाई तो कुछ का करियर भुला दिया गया। कुछ रिकॉर्ड ऐसे रहे जो बने और टूटे, लेकिन कुछ ऐसे भी रिकॉर्ड हैं जो बनने के बाद ध्वस्त तो हुए लेकिन उनको भुलाया नहीं जा सका। ऐसा ही एक रिकॉर्ड आज के दिन (23 मार्च) भी बना था और ये रिकॉर्ड भी खास था, इसको बनाने वाला खिलाड़ी भी खास था। वो थे मनसूर अली खान पटौदी।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और पटौदी राजघराने के आखिरी शासक इफ्तिखार अली खान पटौदी ने इंग्लैंड और भारत, दोनों देशों के लिए क्रिकेट खेला और भारतीय कप्तान भी रहे। उन्होंने अपने करियर में कई सफलताएं हासिल कीं, लेकिन उनके बेटे मनसूर अली खान पटौदी, जिनको टाइगर, नवाब पटौदी या टाइगर पटौदी के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने अपने पिता की सफलताओं को लांघते हुए एक नया इतिहास रचा। उन्होंने वो कमाल किया जिसे आज भी क्रिकेट की दुनिया याद करके चर्चा करते नहीं थकती।

सबसे युवा कप्तान बने

देहरादून से लेकर इंग्लैंड की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी तक में पढ़ाई करने वाले मनसूर अली खान पटौदी शुरुआत से ही क्रिकेट खेलते थे और जाहिर है कि येे उनके खून में ही था। लेकिन स्कूल और यूनिवर्सिटी क्रिकेट में भारत से इंग्लैंड तक अपनी छाप छोड़ने वाले 'टाइगर' ने 1961 में भारत के लिए क्रिकेट डेब्यू कर लिया था और देखते-देेखते वो टीम के उपकप्तान भी बन गए। लेकिन बड़ा पल अगले ही साल आ गया जब 1962 के वेस्टइंडीज दौरे पर भारतीय कप्तान नारी कॉन्ट्रेक्टर गंभीर रूप से चोटिल हो गए और अगले मैच से भी बाहर हो गए। तब टीम की कमान मनसूर अली खान को सौंप दी गई, जिनकी उम्र उस समय सिर्फ 21 साल 77 दिन थी। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम उम्र में कप्तानी करने का विश्व रिकॉर्ड बनाया।
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