Rohit Sharma: कप्तान बना टीम की सबसे कमजोर कड़ी, टेस्ट से संन्यास के मुहाने पर हिटमैन
भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान रोहित शर्मा का बल्ला टेस्ट क्रिकेट में लगातार नाकाम हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वो अपने टेस्ट करियर के सबसे सबसे बुरे दौर में पहुंच गए हैं। ऐसे में उनके ऊपर रविचंद्रन अश्विन की राह पर चलते हुए टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का दबाव बढ़ गया है।
रोहित शर्मा
मेलबर्न: कुछ लोगों को जीवन में रंगीनियां पसंद होती हैं। ऐसे ही खिलाड़ी हैं टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा। वनडे, टी20 हो या आईपीएल रंगीन जर्सी पहनकर खेलते हुए रोहित का बल्ला जमकर रन उगलता है। लेकिन जर्सी का रंग फीका पड़ते ही उनके खेल का रंग फीका पड़ जाता है। वनडे और टी20 में विरोधी टीम के गेंदबाजों के सामने पहाड़ की तरह खड़े होने वाले रोहित टेस्ट में असहाय नजर आने लगते हैं। एशिया के बाहर कदम रखते ही उनका हाल बेहाल हो जाता है और ये सिलसिला ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज में भी जारी है। रोहित तीन टेस्ट की 4 पारियों में 5.50 के औसत से महज 22 रन बना सके हैं। रोहित कप्तान रहते हुए टीम की सबसे कमजोर कड़ी बनकर उभरे हैं। ऐसे में उनके सामने टेस्ट क्रिकेट में बतौर खिलाड़ी और कप्तान भविष्य को लेकर हजारों सवाल उठ खड़े हुए हैं।
साल 2024 में नहीं मचा पाए धमाल
साल 2024 में रोहित शर्मा का टेस्ट क्रिकेट में बल्ला खामोश रहा है। रोहित साल 2024 में 14 टेस्ट में खेली 25 पारियों में(एमसीजी टेस्ट की पहली पारी तक) 25.41 के औसत से महज 610 रन बना सके। जिसमें दो शतक और दो अर्धशतक शामिल हैं। रोहित का साल 2024 में टेस्ट में सर्वश्रेष्ठ स्कोर 131 रन रहा और ये पारी उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ राजकोट में खेली थी। साल का दूसरा शतक भी उन्होंने धर्मशाला में इंग्लैंड के खिलाफ जड़ा था।
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हाल हुआ बेहाल
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज में खेले तीन टेस्ट की चार पारियों में रोहित शर्मा 5.50 के औसत से 22 रन बना सके हैं। 10 उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। चार पारियों में उनके बल्ले से 3,6,10 और 3 रन निकले। ऐसे में रविचंद्रन अश्विन के बीच सीरीज संन्यास के ऐलान के बाद रोहित शर्मा के ऊपर भी उनकी राह पर चलने का दबाव पड़ रहा है।
दबाव में दबे रोहित शर्मा
रोहित के लिए ये बेहद मुश्किल दौर है। बतौर कप्तान न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज 0-3 के अंतर से सीरीज गंवाने के बाद बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में जीत दर्ज करने के साथ-साथ भारतीय टीम को लगातार तीसरी बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचाने का दबाव भी है। रोहित इन दो पाटों के बीच पिस रहे हैं और इसका असर उनकी बल्लेबाजी पर पड़ रहा है।
भारतीय टेस्ट कप्तान का 75 साल में सबसे खराब प्रदर्शन
सेना देशों(दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में पहले से ही रोहित का टेस्ट में प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। उन्होंने बतौर कप्तान भी इसी प्रदर्शन को बरकरार रखा है। बतौर कप्तान सेना देशों में रोहित पिछली 10 पारियों में 15.15 के औसत से महज 140 रन बना सके हैं। इसमें एक भी अर्धशतक शामिल नहीं है। उनका इस दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 43 रन रहा है। यह पिछले 75 साल में भारतीय कप्तान द्वारा का सबसे खराब प्रदर्शन है।
कप्तान ही बना सबसे कमजोर कड़ी
कप्तान टीम का सबसे मजबूत और सबसे अनुभवी खिलाड़ी होता है। जो टीम को मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकालकर जीत दिला सके। लेकिन टीम इंडिया में अलग कहानी चल रही है। रोहित टीम की सबसे कमजोर कड़ी साबित हो रही है। उनका खराब प्रदर्शन बदस्तूर जारी है। पिछली 14 टेस्ट पारियों में रोहित 10.07 के औसत से 155 रन बना सके हैं। जिसमें केवल एक अर्धशतकीय पारी शामिल है। 52 उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। इसके अलावा रोहित केवल एक बार पारी में 20 रन के आंकड़े को पार कर सके।
घर में शेर, विदेश में ढेर
रोहित शर्मा ने अबतक खेले 67 टेस्ट की 115 पारियों में 40.87 के औसत से 4,292 रन बनाए हैं। जिसमें 12 शतक और 18 अर्धशतक शामिल हैं। घरेलू सरजमीं पर हिटमैन का टेस्ट में बल्ला जमकर बोला है और उन्होंने 34 टेस्ट की 55 पारियों में 51.73 के औसत से 2535 रन बनाए हैं। जिसमें 10 शतक और 8 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं घर से बाहर रोहित 33 टेस्ट की 60 पारियों में 31.37 के औसत से 1757 रन बना सके। जिसमें 2 शतक और 10 अर्धशतक उनके बल्ले से निकले। अगर सेना देशों की बात की जाए तो 25 टेस्ट की 48 पारियों में 27.97 के औसत से 1259 रन बना सके। सेना देशों में रोहित एक शतक और 6 अर्धशतक जड़ सके। वो शतक भी इंग्लैंड के खिलाफ ओवल में रोहित ने जड़ा था। दक्षिण अफ्रीका में तो रोहित एक अर्धशतक भी नहीं बना सके।
कप्तानी में भी काम हुआ तमाम
उनकी कप्तानी में टीम इंडिया को पिछले पांच टेस्ट मैच में से चार में हार का मुंह देखना पड़ा और गाबा में एक टेस्ट बराबरी पर समाप्त हुआ। उसका श्रेय भी टीम के प्रदर्शन से ज्यादा बारिश को जाता है। पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया ने जीत दर्ज की थी और उस मुकाबले में टीम की कमान जसप्रीत बुमराह ने संभाला थी। टेस्ट क्रिकेट में रोहित लगातार हर फ्रंट पर फेल हो रहे हैं। उनके सामने ऐसे में संन्यास ही एकमात्र विकल्प बचा है। बीसीसीआई भी उन्हें टेस्ट टीम से आराम के नाम पर बाहर करके उनका करियर खत्म नहीं करना चाहेगी। ऐसे में समय रहते उन्हें सही निर्णय लेना चाहिए।
उर्दू के मशहूर शायर साहिर लुधयानवी का एक मशहूर शेर है, वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा। रोहित को इस शेर पर अमल करते हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न टेस्ट के बाद या सिडनी में खेले जाने वाले सीरीज के पांचवें और आखिरी टेस्ट से पहले संन्यास का ऐलान करके अपने टेस्ट करियर को टी20 की एक खूबसूरत मोड़ देकर अलविदा कह देना चाहिए। भले ही प्रशंसकों को धाकड़ खिलाड़ी की विदाई का अफसोस होगा, लेकिन रोहित की हिटमैन वाली छवि उनके जेहन में हमेशा कायम रहेगी।
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नवीन चौहान टाइम्स नाउ हिंदी (Timesnowhindi.com) की स्पोर्ट्स टीम के सदस्य हैं। वो मूल रूप से मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के रहने वाले हैं। इनके पास ...और देखें
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