रोहित शर्मा ने किया खुलासा, बताया किस योजना से 2 दिन में खत्म हो गया कानपुर टेस्ट
भारत ने बेहतर रणनीति के साथ बांग्लादेश के खिलाफ कानपुर टेस्ट केवल 2 दिन में अपनी झोली में डाल लिया था। अब उन्होंने इस ऐतिहासिक जीत पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बताया कि इस तरह के मैच जीतने के लिए आपको किस योजना से खेलना होता है।
रोहित शर्मा (साभार-Twitter)
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने अपने खिलाड़ियों को बांग्लादेश के ख़िलाफ़ कानपुर में मिली जीत का श्रेय दिया, जिन्होंने जोख़िम लेकर बारिश की वजह से दो दिन का खेल धुलने के बावजूद जीत दिलाई। पहले तीन दिन केवल 35 ओवर हो पाए थे, लेकिन भारत ने मौसम, समय और बांग्लादेश को मात देते हुए 2-0 से सीरीज़ जीत ली और विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्लूटीसी) में अपनी बढ़त को और मजबूत किया।
चौथे दिन लंच के बाद भारत ने बांग्लादेश को 233 रन पर ऑलआउट कर दिया था। इसके बाद रोहित के नेतृत्व में भारतीय बल्लेबाज़ों ने आक्रामक बल्लेबाज़ी की। खु़द रोहित ने पहली दो गेंदों पर छक्के लगाए। अन्य बल्लेबाज़ों ने भी इस तरह से बल्लेबाज़ी की यह जानते हुए कि इससे परिणाम किसी भी ओर जा सकता है।
रोहित ने बीसीसीआई डॉट टीवी पर कहा, "गेंदबाज़ों ने पहले अच्छा काम किया। उन्होंने वे विकेट लिए जिसकी हमें ज़रूरत थी और जब हम अंदर गए तो हमें परिणाम पाने के लिए थोड़ा जोख़िम तो लेना था। मैं जानता हूं कि परिणाम किसी भी ओर जा सकता था, लेकिन मुझे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। यही कोच गौतम गंभीर और अन्य खिलाड़ी भी सोच रहे थे क्योंकि आपको इस तरह के फ़ैसले लेने के लिए साहसी होना पड़ता है। जब चीज़ें सही हुई तो सभी कुछ अच्छा दिखने लगा और यहीं से चीज़ें तेज़ी से बदल सकती हैं। अगर चीज़ें सही जगह नहीं हों तो हर कोई इस फ़ैसले की आलोचना करता लेकिन मायने यह रखता है कि हम चेंजिंग रूम के अंदर क्या सोचते हैं। यही मायने रखता है और इसी के साथ हम उस मैच में उतरे थे।"
"रणनीति साफ़ थी कि हम परिणाम चाहते थे और कैसे हम परिणाम पा सकते हैं। हर कोई इसका जवाब तलाश रहा था। मुझे लगता है कि यह शानदार सीरीज़ थी। इस सीरीज़ से ध्यान नहीं हटाया जा सकता।" रोहित की कप्तानी में भारत ने तीनों प्रारूपों में आक्रामक रूख अपनाया है, यहां तक कि विश्व कपों में भी और कानपुर में भी कुछ अलग नहीं था, जहां डब्लूटीसी अंक दांव पर थे। तो रोहित के लिए आक्रामकता के क्या मायने है?
उन्होंने कहा, "मेरे लिए आक्रामकता आपका कार्य है। यह मेरी प्रतिकिया के बारे में नहीं है : जिस तरह की बल्लेबाज़ी हम करते हैं, जिस तरह का श्रेत्ररक्षण हम लगाते हैं, जिस तरह की गेंदबाज़ी हम करते हैं, तो मेरे लिए यही आक्रामकता है।"
"देखिए, अन्य दस खिलाड़ियों की मदद के बिना और जाहिर तौर पर ड्रेसिंग रूम में बैठे लोगों की मदद के बिना यह संभव नहीं होता कि दो से ढाई दिन गंवाने के बाद भी हम मैच जीते। जब हम चौथे दिन सुबह यहां आए, तो सबसे पहली बात, वे (बांग्लादेश) बल्लेबाज़ी कर रहे थे और हमें उन्हें आउट करने की ज़रूरत थी। हमें जल्दी ही सात विकेट चाहिए थे, इसलिए मैंने सोचा कि सब कुछ यहीं से शुरू होगा।"
एक बल्लेबाज़ और नेतृत्वकर्ता दोनों के रूप में, रोहित ने भारत को हर चीज़ पर जीत को प्राथमिकता देने में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी कप्तानी शैली उनके विवेक और फै़सलों पर भरोसा करने पर आधारित है।
रोहित ने कहा, "जब आप इतने ऊंचे स्तर पर खेल रहे होते हैं, तो आपको हर चीज़ की ज़रूरत होती है। आपको शांत रहने की, समझदारी से सोचने की ज़रूरत है। मैदान पर आपको बहुत सारे फै़सले लेने होते हैं। हर निर्णय आपके अनुरूप नहीं होगा, लेकिन आपको इसका समर्थन करना होगा और अपने अनुभव का उपयोग करना होगा, अपने ज्ञान का उपयोग करना होगा। तो मैं यही करता हूं। मैं मैदान पर अपने फै़सले पर भरोसा करने के लिए काफ़ी रहा हूं, मैं मैदान पर जो फै़सले लेता हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं। और फिर मैं इसके अनुसार चलता हूं। मेरे आसपास ऐसे खिलाड़ी हैं जो सुझाव देने के लिए तैयार हैं, लेकिन दिन के अंत में मुझे अपने दिमाग़ पर भरोसा है और मुझे अपने फै़सले पर भरोसा है और यही मायने रखता है।"
फील्डिंग ने बदला मैच का रूख:
रोहित बांग्लादेश के ख़िलाफ़ घरेलू टेस्ट सीरीज़ के दौरान भारत की फील्डिंग, ख़ासकर उनकी स्लिप कैचिंग से भी प्रभावित थे। यह यशस्वी जायसवाल ही थे जिन्होंने कानपुर में पहले दिन टोन सेट किया था, जहां उन्होंने ज़ाकिर हसन को शून्य पर आउट करने के लिए एक अच्छा लो कैच पकड़ा था। फिर, बांग्लादेश की दूसरी पारी में जायसवाल ने गली में रहते हुए एक और अच्छा कैच पूरा किया और शादमान इस्लाम को 50 रन पर वापस भेज दिया और भारत को जीत के लिए प्रेरित किया।
"रोहित ने कहा, "मुझे अभी बताया गया कि हमारे पास आए 24 कैच में से हमने 23 कैच लपके, जो कि विशेष रूप से स्लिप में एक शानदार परिणाम है। आप अक्सर भारत में गेंद को स्लिप तक कैरी होता नहीं देखते हैं। लेकिन जो लोग पीछे खड़े थे वे बहुत तेज़ थे और उन कैचों को लेना टेलीविजन पर आसान लग सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है, मुझ पर विश्वास करें, क्योंकि वे सामान्य रूप से जितने आगे खड़े होते हैं, वे सभी कैच आते हैं उन कैचों को लेना बहुत कठिन है। प्रतिक्रिया का समय बहुत कम है और मैंने देखा है कि वे उन चीज़ों को सही करने के लिए बहुत प्रयास करते हैं और क्षेत्ररक्षण कोच टी दिलीप खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं। कुछ अहम कैच भी जिसने मैच का रूख बदल दिया।"
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मैं समीर कुमार ठाकुर टाइम्स नाउ हिंदी (Timesnowhindi.com) की स्पोर्ट्स टीम का अहम सदस्य हूं। मैं मूल रूप से बिहार, बांका जिले का रहने वाला हूं। पत्रका...और देखें
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