पिता नौशाद ने बताय, सरफराज और मुशीर के करियर को कैसे तराशा

सरफराज खान और मुशीर खान के पिता नौशाद खान टेस्ट क्रिकेट को हमेशा प्राथमिकता देते हैं। यही कारण है कि उन्होंने अपने दोनों बच्चों को लाल गेंद के साथ ही तराशा और अब बड़ा भाई टीम इंडिया में डेब्यू कर चुका है और छोटा उसी राह पर है।

नौशाद खान, सरफराज खान (साभार-BCCI)

भारतीय बल्लेबाज सरफराज खान और उभरते हुए आलराउंडर मुशीर खान के पिता और कोच नौशाद खान ने युवा खिलाड़ियों को 15 साल की उम्र तक लाल गेंद से क्रिकेट यानी लंबी अवधि के प्रारूप पर ध्यान देने की जरूरत बताते हुए कहा कि अपने खेल की बुनियाद मजबूत करने के लिये ऐसा करना बेहद जरूरी है। लखनऊ स्थित एक क्रिकेट एकेडमी में उभरते हुए खिलाड़ियों को गुर सिखाने आये खान ने रविवार को 'पीटीआई—भाषा' से बातचीत में कहा कि फटाफट क्रिकेट के इस दौर में भी शुरुआत हमेशा लाल गेंद से ही होनी चाहिये। खासकर 15 साल तक की उम्र तक खिलाड़ियों को लाल गेंद से खेलने पर ही ध्यान लगाना चाहिये।

उन्होंने कहा, ''शुरू में लाल गेंद से खेलने में फायदा ही फायदा है, वरना नुकसान ही नुकसान है। पहले टेस्ट क्रिकेट पर ही फोकस किया जाए। उसके बाद ही वन डे और टी—20 खिलाया जाए। लाल गेंद से खेलने से खिलाड़ी के 'बेसिक्स' मजबूत होते हैं और वह तकनीकी तथा मानसिक रूप से भी सशक्त हो जाता है। लिहाजा 15 साल की उम्र तक खिलाड़ियों की बुनियाद को मजबूत करने पर ही ध्यान देना चाहिये। ''

इस साल फरवरी में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट श्रंखला में अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत करने वाले प्रतिभाशाली बल्लेबाज सरफराज खान के पिता और कोच ने कहा कि वनडे और टी—20 अगर सोना और चांदी हैं तो टेस्ट क्रिकेट हीरा है। हार में हीरा लगने से उसकी खूबसूरती बढ़ती है। खान ने कहा कि उन्होंने अपने बेटों सरफराज और मुशीर को ज्यादातर लाल गेंद से ही अभ्यास कराया है। उससे यह फायदा हुआ कि मुशीर ने पिछले अंडर—19 विश्वकप टूर्नामेंट में दो शतक लगाये। सरफराज ने भी आईपीएल में कई तेज पारियां खेलीं।

End Of Feed