आखिरी चेतावनी के बाद रॉकेट की तरह उड़े गिल, आलोचकों को दिया करारा जवाब, फैंस के जीते दिल
शुभमन गिल ने टीम मैनेजमेंट से अल्टीमेटम मिलने के बाद विशाखापट्टनम टेस्ट में शतक जड़कर अपनी जगह बचा ली। जानिए टीम मैनेजमेंट ने हैदराबाद टेस्ट के बाद गिल का दिया था क्या संदेश?
शुभमन गिल विशाखापट्टनम टेस्ट में शतक जड़ने के बाद दर्शकों का अभिवादन करते हुए
विशाखापट्टनम: इंग्लैंड के खिलाफ हैदराबाद में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में दूसरी गेंद पर शून्य के स्कोर के साथ पवेलियन लौटने के बाद टीम मैनेजमेंट ने शुभमन गिल को अल्टीमेटम दे दिया था। विशाखापट्टनम में शुभमन के पास टेस्ट टीम में नंबर तीन पायदान पर अपनी जगह बरकरार रखने का आखिरी मौका था। ऐसे में उन्होंने विशाखापट्टनम टेस्ट की दूसरी पारी में शतक जड़कर अपने ऊपर लटकी तलवार को गिरने नहीं दिया और अपनी जगह टेस्ट टीम में बचाए रखने में कामयाब रहे।
गिल रहे सबले सफल भारतीय बल्लेबाज
विशाखापट्टनम टेस्ट की दूसरी पारी में गिल 147 गेंद में 104 रन बनाकर पवेलियन वापस लौटे। उन्होंने अपनी पारी में 11 चौके और 2 छक्के जड़े। दूसरी पारी में गिल सबसे सफल बल्लेबाज रहे। उनके अलावा और कोई भारतीय बल्लेबाज अर्धशतक भी नहीं जड़ सका। उनकी पारी की बदौलत ही टीम इंडिया दूसरी पारी में 255 रन का स्कोर खड़ा किया। इसके बाद जीत के लिए इंग्लैंड को चौथी पारी में 399 रन का विजयी लक्ष्य मिला।
गिल को मिला था अल्टीमेटम
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, हैदराबाद टेस्ट की दूसरी पारी में शुभमन जब खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे तो उन्हें टीम मैनेजमेंट ने अल्टीमेटम दे दिया था कि विशाखापट्टनम में उनके पास नंबर 3 पर अपनी जगह बचाए रखने का ये आखिरी मौका है। ये जानकारी शुभमन गिल के परिवार के सदस्य मीडिया संस्थान को दी थी और बताया था कि शुभमन भी दूसरे और तीसरे टेस्ट के बीच के बड़े अंतराल के दौरान रणजी ट्रॉफी में लौटकर कमजोरी को दूर करके फॉर्म में वापसी के लिए पूरी तरह तैयार थे।
रणजी में खेलने की थी तैयारी
रिपोर्ट के मुताबिक, शुभमन गिल अगर विशाखापट्टनम टेस्ट की दूसरी पारी में शतक नहीं जड़ते तो वो वहां से सीधे मोहाली पहुंचते जहां पंजाब को 9 फरवरी से गुजरात के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मुकाबले की मेजबानी करनी है।
9 पारियों में बनाए थे 153 रन
विशाखापट्टनम टेस्ट में शतक जड़ने से पहले गिल के बल्ले से रन नहीं निकल रहे थे। पिछली 9 टेस्ट पारियों में वो कुल 153 रन बना सके थे। ऐसे में उनकी चौतरफा आलोचना हो रही था। तेज गेंदबाज और स्पिनर दोनों उनकी कमजोरी का फायदा उठा रहे थे। पूरी तरफ फ्रंटफुट में आकर खेले गए शॉट्स उनके लिए परेशानी का सबब बन रहे थे जैसा की विशाखापट्टनम टेस्ट की पहली पारी में जेम्स एंडरसन के खिलाफ ऐसी गेंद पर वो स्लिप में कैच दे बैठे। शतकीय पारी के दौरान भी गिल की ये कमजोरी दूर नहीं हुई लेकिन शतक ने उन्हें इसे दूर करने का आत्मविश्वास और वक्त दोनों दे दिया है।
कुंबले ने की थी गिल को मौके देने की आलोचना
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और कोच अनिल कुंबले ने गिल के लगातार नाकाम होने के बावजूद मौके दिए जाने की आलोचना की थी। कुंबले ने कहा था कि चेतेश्वर पुजारा को इतने मौके कभी नहीं मिले। मैं पुजारा की बात इसलिए कर रहा हूं क्योंकि कुछ समय पहले ये उनकी ही जगह थी जहां गिल खेल रहे हैं। गिल को ओपनिंग से हटाकर तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी की जिम्मेजारी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल के बाद दी गई थी।
गिल ने जुबान से नहीं बल्ले से दिया जवाब
गिल ने लेकिन अपनी असफलता के दौर में चुप्पी साधे रखी और जुबान की बजाए बल्ले से सबको करारा जवाब दिया है। शतकीय पारी के दौरान गिल को हालांकि भाग्य का भी साथ मिला। पारी की शुरुआती 10 गेंद में तीन बार आउट होने से बचे और एक मंझे हुए बल्लेबाज की तरह हाथ आए मौकों का पूरा फायदा उठाकर शतक जड़ दिया।
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