'दादा' की जीत से लेकर गाबा का घमंड टूटने तक...जानिए इंडिया-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज के टॉप 3 किस्से

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच नागपुर में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का पहला मैच खेला जा रहा है। रोहित शर्मा की कप्तानी में भारतीय टीम मजबूत नजर आ रही है। ऑस्ट्रेलिया बैकफुट पर है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इंडिया ने इससे पहले भी कई बार कंगारूओं का घमंड तोड़ा है।

India-vs-Australia

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जाने वाले मैच में हमेशा कुछ अलग देखने को मिलता है। कई बार मैच के दौरान खिलाड़ियों के बीच बहस देखने को मिलती है, तो कई बार रिकॉर्डतोड़ परफॉर्मेंस। आज हम आपको भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए टेस्ट सीरीज के टॉप 3 ऐसे ही किस्से बताएंगे जो सिर्फ मैदान में ही नहीं, मैदान के बाहर भी लगातार चर्चा में बने रहे।

1. मांकडिंग की शुरुआत (1947-48)

साल 1947-48 में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी। इस दौरान भारतीय खिलाड़ी वीनू मांकड़ ने दूसरे टेस्ट में बिल ब्राउन को गेंद फेंकने से पहले ही आउट कर दिया था। क्रीज के बाहर होने की वजह से बिल ब्राउन आउट हुए थे। बता दें कि नॉन-स्ट्राइकर एंड पर खड़ा बल्लेबाज गेंद फेंके जाने से पहले क्रीज से बाहर निकल आता है, तो गेंदबाज उसे रन आउट कर सकता है। ICC के नए नियमों के अनुसार, ऐसी परिस्थिति में नॉन स्ट्राइकर बल्लेबाज को रन आउट माना जाएगा । हालांकि अभी भी इसे मांकडिंग के नाम से जाना जाता है।

2. 'दादा' की टीम के आगे कंगारू पस्त (2001)

फरवरी 2001 में ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत दौरे पर आई थी। स्टीव वॉ की कप्तानी में कंगारुओं ने मुंबई में खेला गए पहले टेस्ट में आसान जीत हासिल की। सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत को पहले टेस्ट में 10 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि इसके बाद भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जोरदार वापसी की और बाकी दो टेस्ट मैच में जीत हासिल की। भारतीय टीम के आगे पूरी कंगारु टीम पस्त हो गई। इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई टीम ने लगातार 16 टेस्ट मैच में जीत हासिल की थी, लेकिन कोलकाता टेस्ट में भारत की जीत के साथ उनका ये रिकॉर्ड भी टूट गया।

3. जब इंडिया ने तोड़ा गाबा का घमंड (2021)साल 2021 में भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया। 19 जनवरी को अजिंक्य रहाणे के कप्तानी में भारतीय टेस्ट टीम ने ब्रिसबेन के गाबा में पहली जीत दर्ज की। और इसके साथ ही बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी पर 2-1 से कब्जा किया। ये जीत बिल्कुल आसान नहीं थी। इसका सबसे बड़ी वजह ये थी कि मेजबान टीम आखिरी बार नवंबर 1988 में इस मैदान पर हारी थी। इसके अलावा भारतीय टीम में कोहली समेत कई अनुभवी खिलाड़ी मौजूद नहीं थे। चुनौती बड़ी थी क्योंकि आखिरी पारी में टीम इंडिया को 328 रन चेज करने थे।
चौथे टेस्ट से पहले हनुमा विहारी, रवींद्र जडेजा, बुमराह और अश्विन भी चोटिल हो गए थे। हालांकि शार्दुल ठाकुर, टी नटराजन और वाशिंगटन सुंदर ने शानदार खेल दिखाया। बल्लेबाजी करते हुए शुभमन गिल ने 91 तो वहीं पंत ने 89 रनों की पारी खेली। इस मैच में पुजारा ने भी 56 रन बनाए थे।
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संदीप कुमार author

संदीप कुमार Times Now नवभारत में बतौर रिपोर्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। संदीप खबरों से जुड़े तथ्य समझने और समझाने में माहिर हैं। ये बड़ी खबरों की छोटी ...और देखें

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