IPL में क्या है टाइम आउट का नियम, कितनी बार होता है उपयोग

IPL Strategic timeout rule: इंडियन प्रीमियर लीग 2024 में एक बार फिर से स्ट्रेटेजिक टाइम आउट का नियम लागू किया जाने वाला है। ये रूल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से काफी अलग है और केवल आईपीएल में ही इसका उपयोग किया जाता है। इससे गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी टीम को भी फायदा मिलने वाला है।

IPL Strategic timeout rule

आईपीएल स्ट्रेटेजिक टाइमआउट

IPL Strategic timeout rule: इंडियन प्रीमियर लीग 2024 की शुरुआत 22 मार्च 2024 से होने वाली है। इस टूर्नामेंट में 10 टीमें भाग लेने वाली है जो कि एक खिताब के लिए एक दूसरे से भिड़ेंगी। इंडियन प्रीमियर लीग वैसे तो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के सभी नियम फॉलो करता है लेकिन इसके इतर टूर्नामेंट में कुछ ऐसे नियम भी है जो कि टी20 इंटरनेशनल में नहीं उपयोग किए जाते हैं। इसी में एक नाम स्ट्रेटेजिक टाइम आउट नियम का है जिसने कई बार इस टूर्नामेंट में मैच पलटने में खास भूमिका निभाई है। इस नियम की शुरुआत इंडियन प्रीमियर लीग 2009 में हुई थी। तभी से हर साल इसका उपयोग किया जाता है। आईपीएल 2024 में इसे कैसे लागू किया जाएगा आइए जानते हैं।

क्या है स्ट्रेटेजिक टाइम आउट?

स्ट्रैटेजिक टाइमआउट इंडियन टी20 लीग मैच में एक छोटी ब्रेक अवधि है जिसे टीम के लिए राहत देने और रणनीति में सुधार करने के लिए दोनों पक्षों द्वारा अनुरोध किया जा सकता है। इंडियन टी20 लीग के दूसरे संस्करण के दौरान शुरू किए जाने के बाद से हर सीज़न में रणनीतिक समय-सीमा लगातार बनी हुई है। इस नियम से कई बार मैच का रूख बदल जाता है।

कैसे काम करता है स्ट्रेटेजिक टाइम आउट नियम?

इंडियन प्रीमियर लीग में स्ट्रेटेजिक टाइम आउट नियम का उपयोग एक मैच में चार बार किया जाता है। इसमें एक टीम बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों करते समय इसे एक-एक बार उपयोग कर सकती है। टाइमआउट लेने का भी समय मैच में फिक्स कर दिया गया है। एक पारी के दौरान गेंदबाजी करने वाली टीम 6-9 ओवर के बीच टाइम आउट ले सकती है। वहीं बल्लेबाजी करने वाली टीम 13-16 ओवर के बीच कभी भी टाइमआउट ले सकती है।

कितनी देर का होता है स्ट्रेटेजिक टाइम आउट?

इंडियन टी20 लीग में स्ट्रेटेजिक टाइमआउट फिलहाल में तीन मिनट का होता है। आईपीएल 2022 सीज़न से पहले ये दो मिनट और 30 सेकंड का होता था। गेंदबाजी करने वाली टीम छठे से नौवें ओवर के बीच रणनीतिक टाइमआउट का उपयोग कर सकती है जबकि बल्लेबाजी करने वाली टीम 13वें से 16वें ओवर के बीच के टाइमआउट का फायदा उठा सकती है।यदि कप्तानों या टीमों द्वारा टाइमआउट नहीं लिया जाता है, तो अंपायर नौवें ओवर या 16वें ओवर के अंत में टाइमआउट का संकेत देगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि किस पक्ष ने इसे नहीं लेने का विकल्प चुना है।

कब हुई थी स्ट्रेटेजिक टाइम आउट की शुरुआत?

इंडियन प्रीमियर लीग में स्ट्रेटेजिक टाइमआउट की शुरुआत 2009 में हुई थी। पहले ये हर पारी में 10वें ओवर के बाद लिया जाता था और ये 7:30 मिनट का होता था। इसे काफी लंबा करार दिया गया। इसीलिए बाद में इसे दो भागों में 2:30 मिनट के अंतराल में बांट दिया गया। आईपीएल 2022 की शुरुआत से पहले इसकी अवधि 3 मिनट कर दी गई थी।

स्ट्रेटेजिक टाइम आउट का फायदा

स्ट्रेटेजिक टाइम आउट नियम गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी टीम के लिए भी फायदेमंद साबित होता है। इस छोटे से ब्रेक के चलते मैच में रुकावट आती है। ऐसे में बल्लेबाजों की लय टूट सकती है और वे आउट हो सकते हैं। वहीं गेंदबाजी टीम आगे से स्ट्रेटजी भी बना सकती है। वहीं दूसरी ओर बैटिंग टीम अंतिम ओवरों का भरपूर फायदा उठाने की प्लानिंग कर सकती है। बल्लेबाजों को भी थोड़ा आराम मिल जाता है और वे रिफ्रेश हो जाते हैं।

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SIddharth Sharma author

सिद्धार्थ शर्मा, टाइम्स नाउ नवभारत ( Timesnowhindi.com) में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर अक्टूबर 2023 से जुड़ें हैं। इससे पहले वह न्यूज 24 और इन्शॉर्ट्स जैस...और देखें

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