विवादों का फुटबाल विश्व कप ! समलैंगिंकता, रिश्वत और श्रमिकों की मौत पर उठे सवाल
FIFA World Cup 2022: FIFA के सबसे ताकतवर प्रशासक रह चुके सेप ब्लाटर ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी के लिए कतर को चुनना एक गलती थी। कतर में 20 नवंबर से शुरू हो रहे फीफा वर्ल्ड कप में समलैंगिंकता,श्रमिकों के अधिकार को लेकर विवाद खड़े हो गए हैं।
कतर में 20 नवंबर से फीफा विश्व कप
मुख्य बातें
- कतर में समलैंगिंकता गैर कानूनी है।
- कतर को मेजबानी देने को लेकर रिश्वत जैसे गंभीर आरोप भी लग चुके हैं।
- इसके अलावा श्रमिकों के मानवाधिकार का मामला भी सुर्खियों मे हैं।
Football World Cup 2022: शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि जिस देश को फुटबाल विश्व कप की मेजबानी दी गई, उसे लेकर FIFA के उस अधिकारी को ही दुख हो रहा है। जिसने उसे मेजबानी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। एक समय FIFA के सबसे ताकतवर प्रशासक रह चुके सेप ब्लाटर ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी के लिए कतर को चुनना एक गलती थी। कतर में 20 नवंबर से शुरू हो रहे फीफा वर्ल्ड कप को अगर विवादों का विश्व कप कहा जाय तो यह कहीं से कम नहीं होगा। क्योंकि इसको मेजबानी मिलने , समलैंगिकता, मानवाधिकार को लेकर इतने सवाल उठ रहे हैं, कि फुटबाल विश्व कप शुरू होने से पहले ही विवादों में पड़ गया है।
मेजबानी मिलने में रिश्वत का आरोप
विश्व कप की जब साल 2010 में कतर को मेजबानी मिली, उसी समय से उसको लेकर सवाल उठ रहे थे। फीफा पर यह आरोप लगा था कि उसके कुछ निर्णायक सदस्यों ने रिश्वत लेकर कतर के पक्ष में वोट दिया था। इस मामले में स्विटरजलैंड और अमेरिका में कई तरह की जांच प्रक्रिया भी अपनाई गई थी। हालांकि बाद में फीफा ने साल 2017 में रिश्वत के मामले में कतर क्लीन चिट दे दी थी।
श्रमिकों के अधिकार और मौत का मामला
इस तरह कतर पर, मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन का भी आरोप लगा है। असल में विश्व कप की तैयारियों के लिए, कतर में दुनिया भर में श्रमिकों को बुलाया गया था। इस दौरान एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में श्रमिकों के मानवाधिकार उल्लंघन की बात सामने आई। आरोप है कि श्रमिकों को घंटों काम कराया गया, उन्हें छुट्टियां नहीं मिली। बीबीसी के अनुसार कई रिपोर्ट्स का कहना है कि तैयारियों में करीब 6000 श्रमिकों की मौत हुई। हालांकि कतर सरकार ने केवल 37 श्रमिकों की बात स्वीकार की है।
कतर में कफाला सिस्टम के तहत ही कोई विदेशी मजदूर काम के लिए जा सकता है। इस सिस्टम के तहत आने वाले मजदूर पर एक तरह से काम देने वाली कंपनी का अधिकार होता है। इस व्यवस्था को लेकर भी दुनिया भर में सवाल उठे हैं। हालांकि बीच में नियमों में ढील भी दी थी। इसके बावजूद वह निशाने पर है।
समलैंगिंकों का बायकॉट
विश्व कप के आयोजन के एंबेसडर खालिद सलमान के एक बयान ने LGBTQ फुटबाल प्रेमियों में खलबली मचा दी है। उन्होंने एक बयान में कह दिया है कि समलैंगिकता एक मानसिक रोग है। इसके बाद से दुनिया भर में बवाल मच गया है। और अब तो दुनिया का LGBTQ समुदाय भी कतर में विरोध में उतर गया है। असल में कतर में समलैंगिकता गैर कानूनी है। समलैंगिक लोगो को 10 साल की सजा का प्रावधान हैं।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रि...और देखें
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