पेरिस ओलंपिक 2024 में धूम मचाने को तैयार है 'गाजीपुर का राजकुमार', गजब है इनकी कहानी

'Ghazipur Ka Rajkumar' In Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय खेल प्रेमियों को हमेशा की तरह इस बार भी अपनी हॉकी टीम से बहुत उम्मीदें हैं। इसी हॉकी टीम में एक खिलाड़ी ऐसा भी है जिसके संघर्ष की कहानी प्रेरित करने वाली है। गाजीपुर के राजकुमार पाल अपनी हॉकी स्टिक से धमाल मचाने को तैयार हैं।

Ghazipur Ka Rajkumar Pal, Paris Olympics 2024

भारतीय हॉकी खिलाड़ी राजकुमार पाल अपने परिवार के साथ (Instagram)

तस्वीर साभार : भाषा
मुख्य बातें
  • पेरिस ओलंपिक 2024
  • गाजीपुर के राजकुमार की कहानी
  • ओलंपिक हॉकी में धमाल मचाने को तैयार

करीब तीन हजार की आबादी वाले करमपुर गांव से हॉकी स्टिक थामकर सैकड़ों लड़कों ने ओलंपिक खेलने का सपना देखा लेकिन इसे पूरा करने का मौका सिर्फ राजकुमार पाल को मिला है और ‘गाजीपुर के राजकुमार’ के नाम से मशहूर मिडफील्डर की ख्वाहिश पेरिस में अच्छा प्रदर्शन करके हर एक अधूरे सपने को पूरा करने की है।

वाराणसी से करीब 40 किलोमीटर दूर गाजीपुर के गांव करमपुर के मेघबरन स्टेडियम पर हॉकी का ककहरा सीखने वाले बच्चों के प्रेरणास्रोत बन गए हैं राजकुमार । एक ऐसा गांव जहां से 400 से अधिक लड़कों को हॉकी के जरिये रोजगार तो मिला लेकिन भारत की नुमाइंदगी का मौका नहीं । इनमें राजकुमार के दोनों भाई जोखन और राजू भी शामिल हैं जो देश के लिये नहीं खेल पाये।

राजकुमार ने अपने पहले ओलंपिक के लिये रवाना होने से पहले भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ हम तीनों भाई हॉकी खेलते हैं । बीच वाले भाई भारतीय टीम के शिविर में रह चुके हैं और बड़े भाई राष्ट्रीय स्तर पर खेले हैं । दोनों भारत के लिये नहीं खेल सके और अब एक रेलवे से और एक सेना से खेलते हैं।’’

अभावों के बीच अपने कोच तेज बहादुर सिंह की मदद से हॉकी के शौक को परवान चढाने वाले 26 वर्ष के इस मिडफील्डर ने कहा ,‘‘ मेरे गांव के मैदान से 400 से ज्यादा लड़कों को हॉकी के जरिये नौकरी मिल गई लेकिन इस स्तर पर कोई नहीं खेला । मेरे गांव के लोगों की नजरें मुझ पर है और मैं अपने भाइयों और उन सभी के अधूरे सपने पूरे करने के लिये पेरिस में कोई कोर कसर नहीं छोडूंगा ।’’

दस बरस की उम्र में करमपुर के मेघबरन स्टेडियम से हॉकी के अपने सफर की शुरूआत करने वाले राजकुमार ने 2018 में बेल्जियम में पांच देशों के अंडर 23 टूर्नामेंट में खेला और 2020 में भारतीय टीम में पदार्पण किया । अब तक 53 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके राजकुमार के पिता कल्पनाथ का 2011 में एक सड़क हादसे में निधन हो गया था ।

राजकुमार ने कहा ,‘‘ वह दो साल परिवार के लिये बहुत कठिन थे और मुझे लगा था कि अब आगे नहीं खेल पाऊंगा लेकिन मेरे परिवार ने हार नहीं मानी । तोक्यो ओलंपिक में मेरा चयन नहीं हो सका था लेकिन उससे निराश हुए बिना मेहनत की तो अब पेरिस जा रहा हूं । जब पेरिस में मैदान पर उतरूंगा तो यह सब कुर्बानियां याद रखूंगा ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ जब ओलंपिक टीम में चयन की खबर मिली थी तो अपना अतीत याद करके मेरे आंसू निकल गए और पिताजी को बहुत याद किया । घर पर फोन किया तो मम्मी भी रो पड़ी थी । मैं अपने अतीत को कभी नहीं भूलता और इससे प्रेरणा मिलती है ।’’

एशिया कप (जकार्ता 2022) और एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी (ढाका 2021) में कांस्य पदक विजेता रही भारतीय टीम के सदस्य राजकुमार ने कहा कि पहला ओलंपिक खेलने का कोई दबाव वह महसूस नहीं कर रहे । उन्होंने कहा,‘‘ बड़ी टीमों के खिलाफ पहले भी खेला हूं तो उतना दबाव नहीं है । लेकिन पहला ओलंपिक होने से थोड़ा नर्वस होता हूं तो पी आर श्रीजेश, कप्तान हरमनप्रीत सिंह, मनप्रीत सिंह जैसे सीनियर खिलाड़ियों से बात करता हूं । ये लोग काफी मदद करते हैं ।’’

बीरेंद्र लाकड़ा और सरदार सिंह को अपना आदर्श मानने वाले इस खिलाड़ी ने कहा ,‘‘हम खेल के हर विभाग में पूरी तैयारी के साथ जा रहे हैं । हर छोटी बारीकी पर काम किया है और प्रो लीग में जो गलतियां हुई है, उस पर सुधार के लिये काफी मेहनत की है । वीडियो देखकर अपनी गलतियों का पता लगाया है और कोचों, सीनियर खिलाड़ियों की मदद से उन पर काम किया है ।’’

ओलंपिक खेलगांव में रहने को लेकर कितने रोमांचित हैं , यह पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘ हमारा फोकस सिर्फ अपने मैचों पर है । ओलंपिक खेलगांव में बड़े बड़े सितारे होंगे लेकिन उस चकाचौंध पर अभी ध्यान नहीं है । हमें बस पदक का रंग बदलना है और अपने गांव को ओलंपिक पदक विजेता का गांव बनाना है ।’’

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