'Mumbai' से कभी ड्रॉप हुए Surya Kumar Yadav कैसे बने 'T20 फिनॉमिना'? पत्नी ने बताया

बीवी ने बताया- कमिटमेंट (प्रतिबद्धता) का मतलब सिर्फ भारत के लिए खेलने के अपने संकल्प को गहरा करना नहीं था, बल्कि पूरी तरह से एक रियायती और सुखवादी जीवन को पीछे छोड़ना था। उनमें अब कोई बुराई नहीं है। हो सकता है कि जब वह छोटे थे, तब उनके पास हो सकता था, लेकिन अब वह खुद पर बहुत अधिक कंट्रोल रखते हैं।

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भारतीय क्रिकेटर सूर्य कुमार यादव और पत्नी देविशा शेट्टी।

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) के उभरते सितारा सूर्य कुमार यादव (Suryakumar Yadav: SKY) मौजूदा समय में जिस फॉर्म में हैं, उस लिहाज से वह टीम के बैटिंग साइड का मजबूत हिस्सा हैं। पर कभी उन्हें मुंबई की फर्स्ट क्लास टीम से ड्रॉप कर दिया गया था। मुश्किल समय में उनकी पत्नी देविशा शेट्टी (Devisha Shetty) और इंजीनियर पिता अशोक यादव (Ashok Yadav) ने उनका मनोबल बढ़ाया और उन्हें आगे बढ़ने का मंत्र दिया। यादव ने इस दौरान थोड़ा गंभीर हुए और कई सारी चीजें बदलने में जुट गए।

देविशा का मानना है कि लाइफ स्टाइल (जीवन शैली) से जुड़े बदलावों ने उनको 'टी-20 फिनॉमिना' (T20 Phenomenon) बनाने में मदद की है। पति के ट्रांसफॉर्मेशन को लेकर उन्होंने अंग्रेजी अखबार 'दि इंडयन एक्सप्रेस' को बताया- आप अपने शुरुआती 20 साल वाले दशक में जिंदगी का ज्यादा आनंद लेते हैं, जो कुछ भी आता है...लेकिन फिर चीजें थोड़ी बदल गईं। उन्होंने सब कुछ थोड़ा और गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। वर्ष 2018 IPL टीम मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) के लिए बल्लेबाजी के लिहाज से शानदार साल रहा।

वह आगे बोलीं- वह तब ऐसे था, 'हां, मैंने पिछले कई साल में जितना किया है, उससे कहीं अधिक सक्षम हूं।' मैं उन्हें कहती रही थी, 'आप एक इंसान और एक क्रिकेटर के रूप में इससे कहीं अधिक सक्षम हैं। आपने अब तक हासिल किया है, तो आप और जोर क्यों नहीं लगाते?' बकौल देविशा, "पर आप तो सिर्फ कह सकते हैं। करना तो उन्हीं को पड़ेगा। उन्होंने वो सब किया, जो उनको करना था। उनकी सफलता के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है। हम उनकी जिंदगी का हिस्सा है, पर कैसे उन्होंने पांच साल में खुद को बदला है वह उन पर ही था।"

बीवी ने बताया- कमिटमेंट (प्रतिबद्धता) का मतलब सिर्फ भारत के लिए खेलने के अपने संकल्प को गहरा करना नहीं था, बल्कि पूरी तरह से एक रियायती और सुखवादी जीवन को पीछे छोड़ना था। उनमें अब कोई बुराई नहीं है। हो सकता है कि जब वह छोटे थे, तब उनके पास हो सकता था, लेकिन अब वह खुद पर बहुत अधिक कंट्रोल रखते हैं। अब यही उनकी जीवन शैली बन चुका है। यह अब केवल एक डाइट (आहार) नहीं है, जिसका उन्हें पालन करना हो। ऐसा नहीं है कि वह रोज दाल-चावल और रोटी-सब्जी खाएंगे। साल 2019 के बाद से उन्होंने इसे और अधिक गंभीरता से लिया है।

चार साल पहले यादव को मुंबई फर्स्ट क्लास टीम से ड्रॉप कर दिया गया था। 2019 में कमबैक के बाद उन्होंने इंजीनियर पिता अशोक यादव के साथ हुई तब की बातचीत को याद करते हुए अखबार को बताया- डैडी ने कहा था कि अब समय आ गया है कि मैं और अधिक निरंतरता दिखाऊं। मैं उसी के लिए तब से काम कर रहा हूं। मुझे नहीं पता था कि मुझ पर फिर से विचार किया जाएगा या नहीं, लेकिन न लिए जाने पर समय बर्बाद करने के बजाय मैंने तैयारी शुरू कर दी थी...मेरा लक्ष्य रन बनाना था।

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अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

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