विनेश फोगाट ने खोला कुश्ती फेडरेशन के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा-टोक्यो ओलंपिक के बाद मुझे दी जान से मारने की धमकी
भारतीय पहलवनों ने भारतीय कुश्ती संघ और उनके अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विनेश फोगाट ने तो महिला पहलवानों के साथ शारीरिक शोषण, मानसिक प्रताड़ना दिए जाने के साथ-साथ खुद को आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
नई दिल्ली: भारतीय पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ और उसके अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। टोक्यो ओलंपिक 2022 के पदक विजेता बजरंग पूनिया, रियो ओलंपिक 2016 की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक, कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट और जितेंद्र कुमार दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती संघ के खिलाफ धरने पर बैठे हैं।
मैं आत्महत्या के बारे में सोचने लगी थीविनेश फोगाट ने कुश्ती फेडरेशन के पर गंभीर आरोप लगाए हैं। विनेश ने कहा, अपनी बात कहने पर मानसिक रूप से परेशान किया जाता है। मुझे टोक्यो ओलंपिक के दौरान और उसके बाद इतना परेशान किया गया कि मैं आत्महत्या के बारे में सोचने लगी। फेडरेशन पहलवानों को बोलने की सजा देते है। फेडरेशन के खिलाफ बोलने पर बैन लगा देते हैं। फेडरेशन में बदलाव होना चाहिए।
मनचाहे कानून बनाता है फेडरेशन, मुझे गद्दार कहाफेडरेशन से नाराज पहलवानों ने आरोप लगाया कि फेडरेशन हमें नीचा दिखाता है। मनचाहे कायदे कानून लगाकर खिलाड़ियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। टोक्यो ओलंपिक के बाद मुझे जान से मारने की धमकी दी गई और गद्दार करार दिया गया। मुझसे कहा गया कि मैं खोटा सिक्का हूं। 10 सालों से खेल रही हूं मुझे बोलते हैं मैं मेंटली वीक हूं,कोई मुझसे रेसलिंग छिनेगा तो मै गुस्सा होंगी ही। इस वाकये के बाद मैं मानसिक रूप से परेशान हो गई थी और खुदकुशी करने की सोच रही थी।
प्रधानमंत्री से भी की थी शिकायतविनेश ने आगे कहा, उन्होंने इसकी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी दी थी। इसके बाद पीएम ने मुझे आश्वासन दिया था कि कुछ नहीं होगा। टोक्यो ओलंपिक के बाद मुझे डर लग रहा था कि मैं अब जिंदा नहीं बचूंगी।
महिला खिलाड़ियों का होता है शारीरिक शोषणविनेश ने नेशनल कैंप्स में महिला पहलवानों के साथ शारीरिक शोषण होने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा है कि नेशनल कैंप में कुछ कोच पहलवानों को शारीरिक शोषण करते हैं। इसके अलावा अध्यक्ष भी शारीरिक शोषण करते हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष ही रफेरी और कोच की भूमिका निभाते हैं जो वो कर नहीं पाते। मैं आवाज उठाती हूं तो इन्हें समझ नहीं आता है। ऐसा करने पर फेडरेशन मुझे मानसिक तौर पर प्रताड़ित करता है। ओलंपिक के समय हमारे साथ फिजियो नही था क्या फेडरेशन के अध्यक्ष का जाना जरूरी था
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