IOA की चार जुलाई को भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव कराने की योजना

WFI Elections: भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनाव चार जुलाई को कराने की योजना बनाई है और इसके लिए जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश महेश मित्तल कुमार को निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया है।

Brijbhushan Singh

बृजभूषण सिंह (AP)

तस्वीर साभार : भाषा

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनाव चार जुलाई को कराने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ते हुए सोमवार को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश महेश मित्तल कुमार को निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया जो फैसला करेंगे कि राज्य संघों में कौन सा विरोधी गुट चुनाव में हिस्सा लेगा।

आईओए के सीईओ कल्याण चौबे ने न्यायमूर्ति मित्तल कुमार को उनकी नियुक्त की जानकारी दी और इस भूमिका को स्वीकार करने के लिए कहा। चौबे ने पत्र में कहा, ‘‘आईओए को डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी परिषद के चुनाव कराने के लिए कदम उठाने होंगे और डब्ल्यूएफआई के चुनावों के लिए हमें आपको निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करने की खुशी है। आप चुनाव कराने में अपनी मदद करने के लिए एक सहायक निर्वाचन अधिकारी और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति पर विचार कर सकते हैं।’’

पत्र के अनुसार, ‘‘चुनाव डब्ल्यूएफआई की विशेष आम बैठक में कराए जाने हैं जो चार जुलाई को बुलाई गई है और इसी के अनुसार चुनाव का कार्यक्रम तैयार करना होगा। ’’ इसमें कहा गया, ‘‘हम आपकी ओर से पद की स्वीकृति की पुष्टि और चार जुलाई को डब्ल्यूएफआई के चुनावों को लेकर उत्सुक हैं।’’ सूत्रों ने हालांकि कहा कि न्यायमूर्ति मित्तल कुमार स्वयं एसजीएम और चुनावों की तारीख पर फैसला कर सकते हैं और यह उन पर निर्भर करता है कि वह चार जुलाई को चुनाव कराएं या इसके कुछ दिन बाद।

खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने सात जून को आंदोलनकारी पहलवानों के साथ मुलाकात के बाद कहा था कि डब्ल्यूएफआई के चुनाव 30 जून को कराए जाएंगे लेकिन यह स्पष्ट था कि इस समय सीमा का पालन करना मुश्किल होगा क्योंकि डब्ल्यूएफआई की विशेष आम बैठक (एसजीएम) के लिए 21 दिन का नोटिस देना जरूरी है।

डब्ल्यूएफआई की एसजीएम या एजीएम (वार्षिक आम बैठक) में चुनाव कराए जा सकते हैं। पता चला है कि डब्ल्यूएफआई ने अतीत में जिन राज्य संघों को भंग किया था उनमें से कुछ ने चुनाव में हिस्सा लेने का दावा पेश किया है। डब्ल्यूएफआई का कामकाज देख रही आईओए द्वारा नियुक्त तदर्थ समिति के सूत्र ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक में दो अलग अलग राज्य इकाइयों ने डब्ल्यूएफआई के चुनावों की मतदाता सूची में जगह बनाने के लिए नाम भेजे हैं। निर्वाचन अधिकारी उनके भविष्य पर फैसला करेंगे।’’

डब्ल्यूएफआई ने ‘भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन’ सहित विभिन्न कारणों से जून 2022 में अपनी कार्यकारी समिति की बैठक में कर्नाटक, हरियाणा और महाराष्ट्र की इकाइयों को भंग कर दिया था। पूर्व के घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘‘कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा की अगुआई वाली तत्कालीन हरियाणा राज्य इकाई को खेल संहिता के उल्लंघन के लिए भंग कर दिया गया था क्योंकि अध्यक्ष और सचिव आरके हुड्डा ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दीपेंद्र और आरके हुड्डा दोनों 12 साल से अधिक समय तक अपने पदों पर रहे थे। साथ ही हरियाणा के कुश्ती में एक बड़ा राज्य होने के बावजूद, एक राज्य निकाय के रूप में पर्याप्त नहीं कर रहे थे।’’ सूत्रों ने कहा, ‘‘2010 के बाद उन्होंने कोई राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित नहीं की। उनके द्वारा शून्य गतिविधि थी, कई शिकायतें थीं इसलिए उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए उस निकाय को भंग कर दिया गया था।’’ नए राज्य संघ में रोहतास सिंह और राकेश सिंह क्रमशः अध्यक्ष और सचिव चुने गए। सूत्र ने कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे।

सूत्र ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र ने एक टूर्नामेंट आयोजित कराने के लिए एक प्रायोजक के साथ एक निजी करार किया, जो गलत नहीं है, लेकिन उसने डब्ल्यूएफआई के साथ विवरण साझा नहीं किया क्योंकि भ्रष्टाचार की सूचना दी गई थी। जब डब्ल्यूएफआई ने विवरण खोजने की कोशिश की और जवाब मांगा तो राज्य संघ ने जवाब नहीं दिया। इसके बाद उनकी मान्यता वापस ले ली गई और एक नया संघ बनाया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कर्नाटक में राज्य संघ पहलवानों के कल्याण के बारे में चिंतित नहीं था। वह राष्ट्रीय स्तर पर पहलवानों के प्रवेश शुल्क का भुगतान भी नहीं कर रहा था और उनके यात्रा टिकट की व्यवस्था भी नहीं कर रहा था, भत्ते देना तो भूल ही जाओ जो राज्य संघ का काम है।’’ ठाकुर ने पहलवानों को आश्वासन दिया था कि सरकार डब्ल्यूएफआई के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के परिवार के किसी सदस्य या सहयोगी को चुनाव लड़ने की स्वीकृति नहीं देगी जिसके बाद पहलवानों ने 15 जून तक अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था।

डब्ल्यूएफआई की 25 मान्यता प्राप्त इकाइयां हैं। प्रत्येक राज्य दो प्रतिनिधि भेज सकता है और प्रत्येक प्रतिनिधि का एक वोट होगा। इस तरह डब्ल्यूएफआई की निर्वाचन सूची में 50 वोट होंगे। डब्ल्यूएफआई के संविधान के अनुसार राज्य इकाइयां उनकी प्रतिनिधियों को नामित कर सकती है जो उनकी कार्यकारी समितियों का हिस्सा हैं। यह देखना होगा कि तब क्या होगा जब बृजभूषण से जुड़ा कोई पात्र व्यक्ति चुनाव के लिए नामांकन दायर करेगा।

बृजभूषण का बेटा करन डब्ल्यूएफआई के पिछले ढांचे में उपाध्यक्ष था और वह उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ से भी जुड़ा है। उसका दामाद विशाल सिंह बिहार कुश्ती संघ का अध्यक्ष है। दोनों राज्य संस्था के प्रतिनिधि के रूप में चुनाव लड़ने के पात्र हैं।

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