EXCLUSIVE Interview: फुटबॉल खेलने वाले प्रियांशु की बैडमिंटन ने बदली किस्मत और भारतीय खेल जगत को मिल गया नया स्टार
Priyanshu Rajawat EXCLUSIVE Interview: मध्यप्रदेश के 21 साल के प्रियांशु राजावत ने पिछले दिनों फ्रांस में खेले गए ओरलियंस मास्टर्स सुपर 300 बैडमिंटन टूर्नामेंट में बड़ा उलटफेर कर चैम्पियन बने। वे इस टूर्नामेंट में चैम्पियन बनने वाले दूसरे भारतीय हैं। चैम्पियन बनने के बाद प्रियांशु रजावत ने टाइम्स नाउ नवभारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में अपने आगामी योजनाओं और संघर्षों के बारे में खुलकर बताएं।
प्रियांशु रजावत।
- पहले अपने सपने को छोड़, फिर घर तब जाकर मिला इस खिलाड़ी को असली मुकाम
- ओरलियंस मास्टर्स के चैम्पियन प्रियांशु राजावत से एक्सक्लूसिव बातचीत
- फुटबॉल छोड़कर आठ साल की उम्र में खेलना शुरू किया था बैडमिंटन
मध्यप्रदेश के 21 साल के प्रियांशु राजावत ने पिछले दिनों फ्रांस में खेले गए ओरलियंस मास्टर्स सुपर 300 बैडमिंटन टूर्नामेंट में बड़ा उलटफेर कर चैम्पियन बने। वे इस टूर्नामेंट में चैम्पियन बनने वाले दूसरे भारतीय हैं। टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले में प्रियांशु ने डेनमार्क के मैग्नस योहानसन को तीन गेम में शिकस्त दी थी। इस जीत की बदौलत प्रियांशु ने वर्ल्ड बैडमिंटन रैकिंग में 20 स्थानों की लंब छलांग लगाकर 38वें नंबर पर पहुंच गए हैं। आइए पेश है प्रियांशु राजावत से खास बातचीत के अंश...
प्र. आपके खेल करियर की शुरुआत कैसे हुई?
प्रियांशुः मेरे खेल करियर की शुरुआत बेहद खास है। मुझे शुरू से फुटबॉल खेलना पसंद था और उसी में करियर बनाने का सपना भी था। मेरे भइया भी खेल से जुड़े हैं। वे बैडमिंटन खेलते हैं। जब मैं छोटा था तो उसको लाने के लिए जाता था। ऐसा सिलसिला कई दिनों और महीनों तक चला। इस दौरान मैं भईया का खेल देखने के लिए समय से पहले पहुंच जाता था और उनको खेलते हुए देखता था। इसके कुछ दिन बाद मैंने भी बैडमिंटन में किस्मत आजमाने का सोचा और आगे बढ़ चला। यही वजह है कि मैं आज यहां तक पहुंच पाया हूं और आगे काफी लंबा सफर करना बाकी है।
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प्र. इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे की असली कहानी क्या है?
प्रियांशुः कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। वही मैंने भी किया है। एक खेल को छोड़कर दूसरे में करियर बनाने का सपना देखा। उसको लेकर शुरुआती अच्छी रही। 8 साल की उम्र में ही ग्वालियर में गोपीचंद एकेडमी का ट्रायल पास कर लिया और मुझे कम उम्र में ही नामचीन एकेडमी में एंट्री मिल गई। उस समय मेरी ज्यादा उम्र नहीं थी। मैं सिर्फ 8 साल का ही था। उस उम्र के बच्चे अपने मां-पिता के साथ घर पर रहते थे। मेरा भी मन था कि मैं भी अपने मां-पिता के साथ रहूं, लेकिन मैंने और मेरे घर वालों ने मेरे करियर को चुना और मुझे एकेडमी भेज दिया। यही वजह है कि मैं आज चैम्पियन बना हूं।
प्र. अब आपका आगे का क्या लक्ष्य है?
प्रियांशुः हर खिलाड़ी का लक्ष्य होता है कि वे अधिक से अधिक टूर्नामेंट में हिस्सा ले और चैम्पियन बने। मेरा भी सपना कुछ ऐसा ही है। मैं पिछले दिनों फ्रांस में हुए ओरलियंस मास्टर्स सुपर 300 बैडमिंटन टूर्नामेंट में चैम्पियन बना हूं। आगे आने वाले दिनों में दो बड़े टूर्नामेंट होने वाले हैं। मैं उसमें हिस्सा लूंगा और फिर से चैम्पियन बनने की कोशिश करूंगा। इसके बाद वर्ल्ड बैडमिंटन चैम्पियनशिप और पेरिस ओलंपिक के क्वालिफायर में हिस्सा लूंगा। उसमें क्वालिफाई करने के साथ दोनों बड़े टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व करुंगा और देश के लिए मेडल जीतकर लाने का सपना है।
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प्र. अगर आपसे पूछें कि आप देश और विदेश के किसी टॉप खिलाड़ी को हराने का सपना देखते हैं?
प्रियांशुः मेरा सपना है कि मैं अपने देश के खिलाड़ी लक्ष्य सेन से भिड़ना चाहता हूं और उनको शिकस्त देने का सपना है। हालांकि, अभी तक उनसे एकबार भी मेरा सामना नहीं हुआ है। वहीं विदेशी खिलाड़ी की बात करूं तो दुनिया के नंबर-1 और ओलंपिक चैम्पियन विक्टर एक्सेलसेन को हराने का सपना है।
प्र. भारतीय बैडमिंटन संघ नए खिलाड़ियों पर फोकस कर रहा है क्या?
प्रियांशुः भारतीय बैडमिंटन संघ की नजर लगातार नए खिलाड़ियों पर है। देश में नए खिलाड़ियों की संख्या दिनों-दिन बढ़ भी रही है। टूर्नामेंट में बात करें तो देश में लोकल स्तर के अलावा नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। भारतीय बैडमिंटन संघ और अन्य खेल संघ खिलाड़ियों के लिए लगातार अच्छा कर रही है।
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शेखर झा टाइम्स नाउ हिंदी (Timesnowhindi.com) की स्पोर्ट्स टीम के सदस्य हैं। वे मूल रूप से बिहार के मिथिलांचल से हैं। मूल रूप से बिहार के मधुबनी के रहन...और देखें
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