Sumit Shaukeen Interview: सपने को साकार करने के लिए सराकरी नौकरी छोड़ी, मेडल के लिए करना पड़ा 12 साल का लंबा इंतजार, अब वर्ल्ड चैम्पियनशिप में जीता मेडल
Sumit Shaukeen Exclusive Interview: नई दिल्ली के एथलीट सुमीत शौकीन ने फिलिपींस में आयोजित हुए वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया। इस मेडल के लिए उनको न केवल 12 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा है, बल्कि सरकारी नौकरी तक छोड़नी पड़ी। पेश है कैनोइंग एंड कयाकिंग के एथलीट सुमित शौकिन से खास बातचीत के अंश...
मेडलिस्ट खिलाड़ियों के साथ सुमित शौकिन।
Sumit Shaukeen Exclusive Interview: सपने को साकार करना है तो अपने हौसले को बुलंद रखना होगा। इस बुलंद जोश के साथ नई दिल्ली के एथलीट सुमीत शौकीन ने अपने सपने को साकार किया है। सुमित ने पिछले दिनों फिलिपींस में आयोजित हुए वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है। वैसे तो खिलाड़ी के लिए मेडल अहम होता है, लेकिन सुमित के लिए यह काफी खास मेडल है। सुमित को इस मेडल के लिए 12 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा है। पेश है कैनोइंग एंड कयाकिंग के एथलीट सुमित शौकीन से खास बातचीत के अंश...
प्र. आपने कैनोइंग एंड कयाकिंग खेल को ही क्यों चुना?
सुमित: मुझे बचपन से खेलना पसंद था। शुरुआती दिनों में मैंने कबड्डी में दो-दो हाथ आजमाए, लेकिन एक समय के बाद मैंने अपने गेम को बदल दिया। इसके बाद मैंने कैनोइंग एंड कयाकिंग को चुना और पिछले कई सालों से मैं इसी इवेंट में हिस्सा ले रहा हूं।
प्र. आपको अपने सपने को साकार करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा?
सुमित: मैं पहले दिन से अपना 100 प्रतिशत दे रहा हूं। टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के साथ मैं मेडल जीतने के लिए हर संभव प्रयास करता था, लेकिन करीब 12 साल बाद जाकर मेरा सपना साकार हुआ है। पिछले दिनों फिलिपींस में आयोजित हुए वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया है।
प्र. आपने कबड्डी का साथ क्यों छोड़ा?
सुमित: मैंने कबड्डी से अपने अपने खेल की शुरुआत की थी। मैं कबड्डी में नेशनल लेवल टूर्नामेंट में खेल चुका हूं और हमेशा अपनी टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन मैं चाहता था कि अपने देश के लिए ओलंपिक में हिस्सा लूं और देश को सबसे बड़े मंच पर मेडल दिलाऊं। इसके चलते ही मैंने कबड्डी का साथ छोड़ दिया और फिर कैनोइंग एंड कयाकिंग को चुना।
प्र. आपने अपने खेल के लिए इंडियन नेवी की नौकरी छोड़ी दी। ऐसा क्यों?
सुमित: मैंने नवंबर 2015 में नेवी जॉइन की थी और कुछ महीने बाद यानी जनवरी 2026 में नौकरी छोड़ दी। नौकरी के दौरान मैं चाहता था कि अपने खेल को और अच्छा करने के लिए विदेश ट्रेनिंग करने जाऊं। लेकिन लेवी ने इसके लिए मंजूरी नहीं दी। यही वजह है कि मैंने अपने सपने को साकार करने के लिए नौकरी छोड़ दी। मैं अभी वर्तमान में विदेश में ट्रेनिंग कर रहा हूं।
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शेखर झा author
शेखर झा टाइम्स नाउ हिंदी (Timesnowhindi.com) की स्पोर्ट्स टीम के सदस्य हैं। वे मूल रूप से बिहार के म...और देखें
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