Paris Paralympics 2024: सुहास एलवाई ने गोल्ड मेडल नहीं जीत पाने पर जताई निराशा
दुनिया के नंबर एक पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास यथिराज को पेरिस पैरालंपिक्स में फाइनल में हार का सामना करना पड़ा और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा।
सुहास यथिराज
- सुहास यथिराज नहीं जीत पाए पेरिस पैरालंपिक्स में गोल्ड
- फाइनल में हार के बाद निराश हैं सुहास
- उम्मीदों के साथ मैदान में उतरने पर होता है अलग तरह का दबाव
पेरिस: भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास यथिराज लगातार दूसरे पैरालंपिक में रजत पदक जीत कर खुश भी हैं और निराश भी क्योंकि वह स्वर्ण पदक का लक्ष्य लेकर यहां आए थे। यह 41 वर्षीय खिलाड़ी विश्व में नंबर एक खिलाड़ी के रूप में प्रतियोगिता में उतरा था और उनसे पुरुष एकल एसएल4 वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद थी। लेकिन वह सोमवार को खेले गए फाइनल में फ्रांस के लुकास माज़ूर से सीधे गेम में हार गए और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
स्वर्ण पदक नहीं जीत पाने से हूं निराश
सुहास ने मंगलवार को कहा,'मैं विश्व का नंबर एक खिलाड़ी और विश्व चैंपियन के तौर पर यहां पहुंचा था और मुझ पर अपेक्षाओं का दबाव था। मुझे यहां अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद थी। मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना था जो हर खिलाड़ी का सपना होता है।' इस 2007 बैच के आईएएस अधिकारी ने कहा,'रजत जीतना एक मिश्रित भावना है। स्वर्ण पदक चूकने का दुख और निराशा है। लेकिन जब यह भावना हावी नहीं रहेगी तो तब आपको अहसास होगा कि पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई करना और अपने देश का प्रतिनिधित्व करना बहुत बड़ी बात थी। रजत पदक जीतना भी गर्व की बात है।'
उम्मीदों के साथ खेलने पर होता है अलग तरह का दबाव
सुहास से जब दोनों रजत पदक में तुलना करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,'पहले देश और मुझे विश्वास नहीं था कि हम पैरालंपिक बैडमिंटन में पदक जीत सकते हैं। मुझे नहीं पता था कि मेरा प्रदर्शन क्या होगा। वह एक अलग तरह की भावना थी। दोनों बार मुझे कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। जैसा कि मैंने कहा पहली बार लोग आपको तब तक इतनी गंभीरता से नहीं लेते जब तक आप शीर्ष स्तर पर अच्छा प्रदर्शन नहीं करते। लेकिन उम्मीदों के साथ खेलना अपने आप में एक अलग तरह का दबाव है।'
शानदार रहा है सुहास का सफर
सुहास भले ही स्वर्ण पदक नहीं जीत पाए लेकिन उन्होंने कहा कि उनके लिए यहां तक का सफर शानदार रहा है। अपने बाएं टखने में जन्मजात विकृति के साथ जन्मे इस खिलाड़ी ने कहा,'जब मैंने पैरालंपिक क्वालिफिकेशन से सफर शुरू किया तो मैं एक दो साल तक नहीं खेला था और दुनिया में 39वें नंबर पर था। वहां से मैं शीर्ष 12 तक पहुंचा और फिर लेवल एक टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई किया। इसके बाद मैंने एशियाई पैरा खेलों और विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता तथा विश्व का नंबर एक खिलाड़ी बना। यह सफर शानदार रहा है।'
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