Boxer Laishram Sarita Devi: कहानी मुक्केबाज लैशराम सरिता देवी की, जिन्हें उग्रवादी बनने से खेल ने बचा लिया

Boxer Laishram Sarita Devi: मुक्केबाज लैशराम सरिता देवी ने खुद स्वीकार किया कि वो उग्रवादियों से प्रभावित थीं, उसी रास्ते पर बढ़ रही थीं। वो उग्रवादियों के लिए हथियार भी मुहैया कराती थीं। लेकिन खेल ने उनकी जिंदगी बना दी। जिसके बाद उन्होंने कई मेडल जीते और देश का नाम रोशन किया।

चैम्पियन मुक्केबाज लैशराम सरिता देवी

Boxer Laishram Sarita Devi: गुवाहाटी- चैम्पियन मुक्केबाज लैशराम सरिता देवी ने मंगलवार को यहां कहा कि एक बार वह उग्रवादी बनने की तरफ बढ़ रही थी लेकिन खेलों ने उनकी जिंदगी बदल दी। सरिता देवी ने यहां ‘वाई20’ सम्मेलन में नब्बे के दशक के उन दिनों को याद किया जब मणिपुर में उग्रवाद अपने चरम पर था और कहा कि खेलों के कारण वह उग्रवादी बनने से बच गई।

करातींं थीं हथियार मुहैया

लैशराम सरिता देवी ने कहा- "मैं उग्रवादियों से प्रभावित होकर उग्रवाद की तरफ बढ़ रही थी। मैं उनके लिए हथियार मुहैया कराती थी, लेकिन खेलों ने मुझे बदल दिया और मुझे अपने देश का गौरव बढ़ाने के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया।"

आसान नहीं था सफर

सरिता ने कहा- "मैं एक छोटे से गांव में रहती थी और जब मैं 12-13 साल की थी तो हर दिन उग्रवादियों को देखती थी। घर पर रोजाना लगभग 50 उग्रवादी आते थे। मैं उनकी बंदूकें देखती थी और उनके जैसा बनना चाहती थी। मैं उग्रवाद की तरफ बढ़ रही थी।"

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