स्वप्निल कुसाले ने भी की पेरिस ओलंपिक के पदक को बदलने की मांग, जानिए क्या है वजह

पेरिस ओलंपिक में मिले कांस्य पदक की चमक फीकी पड़ने से निराश निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने शुक्रवार को इस पदक को बदलने का अनुरोध किया।

Swapnil Kusale

स्वपनिल कुसाले

तस्वीर साभार : भाषा

नई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक में मिले कांस्य पदक की चमक फीकी पड़ने से निराश निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने शुक्रवार को इस पदक को बदलने का अनुरोध किया। महाराष्ट्र के 29 साल के इस खिलाड़ी को पेरिस ओलंपिक में 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन स्पर्धा में (451.4 स्कोर) कांस्य पदक मिला और इस वर्ग में पदक जीतने वाले वह पहले भारतीय निशानेबाज है। स्वप्निल ने यहां राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अर्जुन पुरस्कार लेने के बाद इस सम्मान पर खुशी जताई लेकिन कहा कि पेरिस में उन्हें जो पदक मिला था, उसकी चमक अब फीकी पड़ने लगी है।

पदक का रंग उतरना है निराशाजनक

उन्होंने ‘भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा,'मेरे पदक की चमक उतर रही है। पेरिस से भारत आने के कुछ दिन बाद ही पदक का रंग उतरने लगा था, अब तो उस पदक का पूरा रंग उतर गया है। मैं इस बदलवाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ(आईओए) से बात करूंगा। ओलंपिक पदक किसी खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ी सफलता में से एक है और इतनी जल्दी इसका रंग उतर जाना निराशाजनक है।'

मनुभाकर ने भी की रंग उतरने की शिकायत

इससे पहले निशानेबाज मनु भाकर ने भी पेरिस ओलंपिक के पदक का रंग उतरने की शिकायत की थी। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने पिछले दिनों इस बात को माना था कि दुनिया भर के खिलाड़ी पेरिस ओलंपिक के पदकों का रंग उतरने की शिकायत कर रहे हैं। आईओसी ने कहा था कि ’क्षतिग्रस्त’ पदकों को ‘मोनैई डे पेरिस (फ्रांस का राष्ट्रीय टकसाल)’ द्वारा व्यवस्थित रूप से बदला जाएगा। खिलाड़ियों को मिलने वाला नया पदक पुराने के समान ही होगा।

10 मीटर एयर रायफल स्पर्धा में पदक जीतने वाले तीसरे प्लेयर

स्वप्निल ओलंपिक राइफल स्पर्धा में देश के लिए पदक जीतने वाले तीसरे खिलाड़ी है। उनसे पहले बीजिंग 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण और लंदन 2012 में इसी स्पर्धा में गगन नारंग के कांस्य पदक हासिल किया था। स्वप्निल ने अर्जुन पुरस्कार हासिल करने के बाद कहा कि वह 2028 में होने वाले ओलंपिक में अपने पदक के रंग को बदलने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा,'मैं पेरिस (ओलंपिक) के बाद अपने खेल पर और ज्यादा काम कर रहा हूं और निश्चित रूप से मैं अपने पदक का रंग बदलना चाहता हूं। यह देश का पदक है, इसलिए मैं दृढ़ संकल्पित हूं।'

पदक जीतने के बाद नहीं हुआ है व्यक्तिव में कोई बदलाव

उन्होंने कहा,'इस पदक के बाद भी मेरे व्यक्तित्व में कोई बदलाव नहीं आया है। पेरिस ओलंपिक के बाद मेरे जीवन के बारे में कुछ लोगों का सोचने का तरीका अलग हो सकता है, लेकिन मैं बिलकुल भी नहीं बदला हूं। मेरा काम केवल देश के लिए पदक जीतना है।'

स्वप्निल ने कहा,'हम बचपन से अर्जुन पुरस्कार के बारे में सुनते आ रहे हैं और आज मुझे खुद इसे हासिल करने का मौका मिला। यह मेरे लिए दोहरी खुशी की बात है क्योंकि इसी समारोह में मेरी कोच (दीपाली देशपांडे) को भी सम्मानित (द्रोणाचार्य पुरस्कार) किया गया है। मैं उनके (दीपाली देशपांडे) साथ लंबे समय से हूं। हम एक परिवार की तरह हैं। एक ही वर्ष में एक साथ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करना हमारे लिए एक बड़ा क्षण है।'

किसान परिवार से है स्वप्निल

चौदह साल की उम्र में निशानेबाजी शुरू करने वाले स्वप्निल एक किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने अपने सफर के बारे में कहा, 'मैं 2009 में ‘क्रीडा प्रबोधनी’ से जुड़ा और एक साल के बाद मैंने निशानेबाजी को अपना मुख्य खेल चुना। मैं छह साल तक नासिक केंद्र में था फिर बेहतर प्रशिक्षण के लिए पुणे आ गया। पुणे में ओलंपिक स्तर की निशानेबाजी सुविधा है और इससे मेरे खेल में काफी सुधार आया।'‘क्रीडा प्रबोधनी’ महाराष्ट्र सरकार के खेलों के लिए समर्पित प्राथमिक कार्यक्रम है।

देश में खेल को लेकर आए हैं सकारात्मक बदलाव

उन्होंने कहा कि भारत में खेलों को लेकर पिछले कुछ वर्षों में सकारात्मक बदलाव आये है और इसका फायदा खिलाड़ियों को मिल रहा है। उन्होंने कहा,'आने वाले ओलंपिक में भारत के पदकों की संख्या बढ़ेगी क्योंकि खिलाड़ी के साथ सरकार भी काफी मेहनत कर रही है। खिलाड़ियों को सफलता के लिए समय का काफी महत्व होता है। पिछले कुछ साल से खिलाड़ियों को सुविधाएं और साजो-सामान के लिए ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है।'

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नवीन चौहान author

नवीन चौहान टाइम्स नाउ हिंदी (Timesnowhindi.com) की स्पोर्ट्स टीम के सदस्य हैं। वो मूल रूप से मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के रहने वाले हैं। इनके पास ...और देखें

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