विनेश फोगाट: मेडल नहीं मिला, लेकिन एक बार पलटकर तो देखिए पेरिस में फोगाट ने क्या कर दिखाया
Vinesh Phogat: सात घंटे के अंतराल में विनेश ने अपनी वेट कैटेगरी में दुनिया के हर उस सूरमा को पटका, जो उनकी मेडल जीतने की राह में आए। नवंबर 2023 में किसी रिपोर्टर से बात करते हुए विनेश ने कहा था मैंने बजरंग और साक्षी से केवल यही कहा है कि मैं अब भी लड़ूंगी। आंखों में देखूंगी और पदक लेकर आऊंगी।
विनेश फोगाट का ओलंपिक सफर
- पेरिस ओलंपिक 2024
- विनेश फोगाट हुईं ओलंपिक से अयोग्य करार
- फाइनल नहीं खेलीं, लेकिन सफर रहा यादगार
Vinesh Phogat: पेरिस का चैंप्स-डे-मार्स एरिना और विनेश फोगाट। कुश्ती के मैट पर विनेश फोगाट के किसी भी प्रतिद्वंद्वी के पास कोई मौका नहीं था। जो लड़ा विनेश के दांव के आगे चित हुआ। ये सिलसिला चलता रहा और तब तक चलता रहा, जब तक कि विनेश ने फाइनल का टिकट नहीं कटा लिया। सात घंटे के अंतराल में विनेश ने अपनी वेट कैटेगरी में दुनिया के हर उस सूरमा को पटका, जो उनकी मेडल जीतने की राह में आए। पहले डिफेंडिंग ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट, फिर दो बार की यूरोपीय खेलों में मेडल विनर और आखिर में पैन-अमेरिकन खेलों की चैंपियन को विनेश ने धूल चटाई, लेकिन कैलंडर में तारीख बदलने के साथ ही विनेश के लिए अब सब कुछ बदल चुका है। मेडल जीतने का ख्वाब विनेश के लिए एक बार फिर आंखों की कोर पर मोटे आंसुओं की तरह अटक कर रह गया है। वो ओवर वेट होने की वजह से डिस्क्वालिफाई हो गईं हैं।
अलग नजर आईं विनेश
पेरिस ओलंपिक में विनेश बिल्कुल अलग नजर आईं। पहले से कुछ और अधिक युवा। बालों की चोटी की जगह बॉब हेयर स्टाइल और एक दम शांत। जहां एक तरफ उनके प्रतिद्वंद्वी रिंग में दौड़ते, उछलते और स्ट्रेचिंग करते हुए पहुंच रहे थे। वहीं, विनेश शांत भाव और छोटे-छोटे कदमों से रिंग की ओर बढ़ती हुईं नजर आईं। विनेश जब मैट पर पहली बार आईं, तो वो शानदार नजर आ रही थीं। आंखें धंसी हुई नहीं थीं, जैसा कि मुकाबले से पहले अधिकांश पहलवानों के साथ होता है। इससे साफ झलक रहा था कि विनेश को अपनी तैयारी और रणनीति पर जबरदस्त भरोसा था। वो इस बार कुछ भी संयोग पर छोड़ने के मूड में नहीं थीं।
सुलगती रही मेडल की चिंगारी
अगर पेरिस ओलंपिक से युवा भारतीय एथलीटों को अपना आदर्श चुनना है, तो निश्चित ही उन्हें विनेश को देखना चाहिए। विनेश के भीतर आग धधक रही थी, लेकिन चेहरा और शरीर बर्फ की तरह ठंडा और शांत था पर इनसब से ऊपर था उनका अडिग विश्वास। यही वो ताकत हैं, जिसने विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक के फाइनल में पहुंचाया था। पिछले डेढ़ साल में विनेश जिस दौर से गुजरीं वो एक दम तोड़ देने वाला था। लेकिन विनेश ठहरीं पहलवान, तो मुसीबतों की चट्टानों पर अपने पहाड़ जैसे हौंसले के साथ बढ़ती चली गईं। करियर और जीवन में चल रहे तमाम बवाल के बीच उनके भीतर ओलंपिक मेडल जीतने की चिंगारी सुलगती रही। विनेश ने पेरिस ओलंपिक में जिस अंदाज में अपना पहला मुकाबला जीता, उससे साबित हो गया था कि मेडल चाहे किसी भी रंग का हो वो चुपचाप नहीं जाएंगी। और इस बार तो बिल्कुल भी नहीं।
वापसी के लिए त्याग दिया बहुत कुछ
हमने विनेश को रियो ओलंपिक 2016 में दर्द और दुख में रोते हुए देखा है। उनके बाएं घुटने में एसीएल फट गया था और स्ट्रेचर पर ले जाया गया था। टोक्यो 2021 के क्वार्टर फाइनल में भी हार झेलनी पड़ी थी, लेकिन पेरिस में हमने एक अलग विनेश को देखा। वह उस महिला की तरह नहीं थीं, जिसे हमने पिछले 18 महीनों या अपने लंबे करियर में देखा था। जब वह लड़ने के लिए उतरीं, तो आप देख सकते थे कि अपनी जगह वापस पाने के लिए उन्होंने बहुत कुछ त्याग दिया था। अपना वजन वर्ग 53 से घटाकर 50 किलोग्राम कर लिया था। ट्रेनिंग और फाइट के दौरान भी वो थोड़ा-थोड़ा खाती थीं, यहां तक कि पानी की मात्रा के बारे में भी सावधान रहती थीं।
रेसलिंग फेडरेशन के साथ विवाद में विनेश ने खुद को रिंग से बाहर निकाला और सड़क पर बैठ गईं। बवाल मचा, आंसू बहे और सम्मान तक दांव पर लग गया, लेकिन इनसब के बावजूद विनेश ने फिर रिंग में वापसी की। पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया और वहां पहुंच गईं, जहां तक कोई भी भारतीय महिला पहलवान नहीं पहुंच पाई थीं।
कम समय में किया कमाल
विनेश के पति सोमवीर राठी ने अल जजीरा से बात करते हुए विनेश के बारे में कहा था- 'वह जिद्दी हैं और डरती नहीं हैं। एक बार जब वह कुछ ठान लेती हैं तो उसे पूरा करती हैं। हार मानने का ख्याल उनके मन में नहीं आता'। 2023 की पहली छमाही में, विरोध प्रदर्शनों ने उनके समय और ध्यान दोनों को ही नुकसान पहुंचाया। दूसरे छह महीने में वो उसी परेशानी वाली ACL की सर्जरी से उबर रही थीं। लेकिन विनेश पेरिस जाना चाहती थीं और अपने पास उपलब्ध सबसे कम समय में उन्होंने यह कर दिखाया।
हर पल एक चुनौती का प्रदर्शन
अपने पहले मुकाबले में विनेश का मुकाबला जापान की दिग्गज युई सुसाकी से था। विनेश पेरिस में अब तक का सबसे बड़ा उलटफेर करने वाली थीं। सुसाकी के खिलाफ उनके डिफेंस मास्टरक्लास ने उन सभी को चौंका दिया, जिन्होंने विनेश के करियर को देखा था। उन्होंने आखिरी 12 सेकेंड में तेज गति से टेकडाउन किया, जिसने दुनिया को हैरान कर दिया और फॉर्म बुक को तहस-नहस कर दिया। पेरिस में मैट पर खड़े होकर अडिग विनेश का हर पल एक चुनौती का प्रदर्शन था। जीत के जोश में उनका शरीर हर उस व्यक्ति के लिए संदेश था, जिसने टोक्यो के बाद उन्हें खोटा सिक्का कहा था।
जब बजर ने विनेश की सेमीफाइनल जीत और 50 किग्रा ओलंपिक फाइनल में प्रवेश का संकेत दिया, तो उनके हंगरी के कोच वोलर अकोस फफक कर रोड़ पड़े। आंसुओं से कहीं ज्यादा संघर्ष करने के बाद थकी हुई विनेश अकोस के साथ हॉल से बाहर मुस्कुराती हुई निकल गईं। यह मुस्कान दृढ़ विश्वास की थी।
सबकुछ जीतकर भी सब हार गईं
विनेश शायद यह मानती थीं कि ओलंपिक पदक उनकी प्रतिभा और उनके करियर के साथ वो न्याय कर पाएगा, जिसकी वो असल में हकदार हैं। लेकिन विनेश का प्रभाव अब इस एथलेटिक रिंग से परे है। नवंबर 2023 में किसी रिपोर्टर से बात करते हुए विनेश ने कहा था मैंने बजरंग और साक्षी से केवल यही कहा है कि मैं अब भी लड़ूंगी। आंखों में देखूंगी और पदक लेकर आऊंगी। उन दोनों के पास ओलंपिक पदक हैं, मेरे पास नहीं है। मेरे पास लड़ने की वजह है, लेकिन अफसोस की विनेश के गले में इस बार भी ओलंपिक मेडल नहीं लटक सका। वो सबकुछ जीतकर भी सब हार गई हैं। कल रात तक टीवी और मोबाइल पर आंखें गड़ाए उनके हर एक दांव पर झूमकर तालियां बजाने वाले प्रसंशकों की आंखें पथरीली हो गई हैं। फाइनल मुकाबला देखने की उनकी तैयारियों को पेरिस से आई खबर ने ऐसे उजाड़ा है, जैसे खाना पकाने के लिए जलाई गई चुल्हे की आग में किसी ने ड्राम भर पानी उझील दिया हो। दफ्तरों में थोड़ी देर की हैरानी के बाद ऐसी शांति छाई है, मानों कर्फ्यू लग गया हो।
ऐसा लग रहा मानों चीटिंग हो गई
ओलंपिक में कुश्ती सबसे छोटे और सबसे तेज इवेंट में से एक है, जो 36 घंटे के भीतर समाप्त हो जाता है। पहलवान अपने पहले दो मुकाबले 90 मिनट के भीतर लड़ते हैं, तीसरे मुकाबले के लिए ब्रेक लेते हैं और अगर वे राउंड में सफल हो जाते हैं, तो अगले दिन फिर से शुरू करने से पहले एक रात की नींद लेते हैं। विनेश ने रातभर नींद नहीं ली। वो जुटी रहीं ताकी वजन काबू में आ जाए, पर वो हो न सका। मेडल हाथ से निकल गया है। आज सुबह विनेश की जीत और इतिहास रचने की खबरों के साथ छपी अखबारों की हेडलाइन पर दोपहर आई खबर भारी पड़ गई है। ऐसा लग रहा है मानों पूरे देश के साथ चीटिंग हो गई है।
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रोहित ओझा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉरस्पॉडेंट सितंबर 2023 से काम कर रहे हैं। यहां पर ...और देखें
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