Asian Champions Trophy: भारत ने जीता महिला हॉकी एशियाई चैंपियन्स ट्रॉफी का खिताब, फाइनल में दी चीन को मात
भारतीय महिला टीम ने एशियन चैपियंस ट्रॉफी के फाइनल में चीन को मात देकर अपना खिताब बरकरार रखा है। जानिए कैसा रहा खिताबी मुकाबले का हाल?
भारतीय महिला हॉकी टीम (साभार Asian Hockey Federation)
- भारतीय महिला टीम ने जीता एशियाई चैंपियन्स ट्रॉफी का खिताब
- खिताबी मुकाबले में चीन को दी 1-0 के अंतर से मा
- दीपिका ने किया मैच का एकलौता और निर्णायक गोल
राजगीर: भारतीय महिला हॉकी टीम ने बुधवार को ओलंपिक रजत पदक विजेता चीन को 1-0 से हराकर एशियाई चैंपियन्स ट्रॉफी का खिताब बरकरार रखा है। हरेंद्र सिंह का यह बतौर महिला टीम के हेड कोच पहला खिताब है। मैच के पहले दो क्वार्टर में कोई गोल नहीं हुआ। भारतीय टीम ने तीसरे क्वार्टर की शुरुआत में गोल करके 1-0 की बढ़त बनाई। यही बढ़त अंत में मैच में निर्णायक साबित हुई। दीपिक ने 31वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील किया। यह फाइनल मैच का एकलौता गोल रहा और इसी से खिताबी हार जीत का फैसला हुआ।
लगातार दूसरी बार भारतीय टीम ने जीता खिताब
पिछले साल रांची में और 2016 में सिंगापुर में यह खिताब जीत चुकी भारतीय टीम ने जबर्दस्त तालमेल और संयम का परिचय देते हुए चीन को हाशिये पर रखा। पहला हाफ गोलरहित रहने के बाद दूसरे हाफ के पहले ही मिनट में भारत को मिले पेनल्टी कॉर्नर पर दीपिका ने गोल करके खचाखच भरे बिहार खेल यूनिवर्सिटी स्टेडियम में मौजूद दर्शकों में उत्साह का संचार कर दिया। दूसरे हाफ के पहले ही मिनट में भारत को लालरेम्सियामी ने पेनल्टी कॉर्नर दिलाया । इस पर पहला शॉट चूक गया लेकिन गेंद सर्कल के भीतर ही थी और नवनीत की स्टिक से डिफ्लैक्ट होकर दीपिका के पास पहुंची जिसने शानदार फ्लिक से उसे गोल के भीतर डाला।
तीसरे क्वार्टर में भारतीय टीम बढ़त दुगनी करने से चूकी
भारत के पास तीसरे क्वार्टर में ही बढ़त दुगुनी करने का सुनहरा मौका था लेकिन 42वें मिनट में मिले पेनल्टी स्ट्रोक पर दीपिका का शॉट चीन की गोलकीपर ने दाहिनी ओर डाइव लगाकर बचा लिया। भारत को चौथे क्वार्टर में भी एक पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन वैरिएशन का कोई नतीजा नहीं निकला। इससे पहले चीन ने शुरूआती मिनट से गेंद पर नियंत्रण के मामले दबदबा बनाये रखा । पहले हाफ में हालांकि भारतीय टीम आठ बार चीन के सर्कल में घुसी और चीनी टीम पांच बार ही हमले बोल सकी लेकिन उसने भारतीय खिलाड़ियों को गेंद आसानी से नहीं लेने दी।
शुरुआती चार पेनल्टी कॉर्नर को गोल में नहीं तब्दील कर पाया भारत
वहीं भारतीय खिलाड़ी एक बार फिर फिनिशंग टच के लिये जूझते रहे। जापान के खिलाफ सेमीफाइनल में 16 पेनल्टी कॉर्नर में से एक भी तब्दील नहीं कर सकी भारतीय टीम की कमजोरी फाइनल में पहले 30 मिनट में फिर देखने को मिली जब उसे मिले चार पेनल्टी कॉर्नर बेकार गए। भारत के पास चौथे मिनट में गोल करने का मौका था जब सुनेलिटा टोप्पो दाहिने फ्लैंक से अकेले गेंद लेकर आगे बढी लेकिन उनके प्रयास को चीन की गोलकीपर ने नाकाम कर दिया।
दूसरे क्वार्टर में तीसरे ही मिनट में चीन को पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन तान झिंझुयांग के शॉट को भारतीय गोलकीपर बिछू देवी ने दाहिने ओर डाइव लगाकर बचाया और रिबाउंड पर भी गोल नहीं होने दिया। इस बीच भारत को 20वें से 21वें मिनट के भीतर मिले चार पेनल्टी कॉर्नर बेकार गए। पहले पर दीपिका का शॉट गोलपोस्ट के ऊपर से निकल गया जबकि दूसरा गोलकीपर ने और तीसरा डिफेंडर ने बचाया । चौथे पेनल्टी कॉर्नर पर वैरिएशन भी असफल रहा।
जापान रहा तीसरे पायदान पर
चीन को 23वें मिनट में दूसरा पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन गोल नहीं हो सका। ब्रेक से तीन मिनट पहले भारत के पास खाता खोलने का मौका था लेकिन लालरेम्सियामी के पास पर शर्मिला का शॉट बार से टकराकर निकल गया। तीसरे स्थान के मुकाबले में जापान ने मलेशिया को 4-1 से हराया।
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