Women's World Boxing Championship: निखत, नीतू और स्वीटी ने भारत के लिए किए तीन पदक पक्के
भारत के लिए नई दिल्ली में आयोजित हो रही विमेंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में निखत जरीन नीतू गंघास और स्वीटी बूरा ने तीनपदक सेमीफाइनल में पहुंचकर पक्के कर दिए हैं।
निखत जरीन(साभार Nikhat Zareen)
नई दिल्ली: मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन निखत जरीन(50 किलो), राष्ट्रमंडल खेलों की चैम्पियन नीतू गंघास (48 किलो) और अनुभवी स्वीटी बूरा (81 किग्रा) ने महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचकर भारत के लिए दो पदक पक्के कर दिये।
हरियाणा की 22 वर्ष की नीतू रिंग में उतरने वाली पहली भारतीय रहीं, उन्होंने दूसरे राउंड में आरएससी (रैफरी के द्वारा मुकाबला रोके जाना) के आधार पर जापान की माडोका वाडा को हराया। इस तरह उन्होंने अपने और भारत के लिये कम से कम एक कांस्य पदक पक्का किया। वहीं टूर्नामेंट में अपना पहला मुकाबला खेल रही स्वीटी ने अपनी शीर्ष वरीयता के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए 2018 कांस्य पदक विजेता बेलारूस की विक्टोरिया केबिकावा पर 5-0 से जीत हासिल कर विश्व चैम्पियनशिप का अपना दूसरा पदक पक्का किया। उन्होंने 2014 में रजत पदक जीता था।
निखत ने दी थाइलैंड की खिलाड़ी को मात
मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन निखत जरीन(Nikhat Zareen) ने थाइलैंड की चुथामत रक्शत (Chuthamat Raksat) को 5-2 के अंतर से मात देकर सेमीफाइनल में एंट्री कर ली और भारत के लिए तीसरा पदक सुनिश्चित कर दिया।
साक्षी और मनीषा रहे सेमीफाइनल
साक्षी चौधरी (52 किग्रा) और पिछले चरण की कांस्य पदक विजेता मनीषा मौन (57 किग्रा) हालांकि अंतिम चार चरण तक पहुंचने में विफल रही। साक्षी को चीन की यु वु से 0-5 से हारी जबकि मनीषा को फ्रांस की अमीना जिदानी से 1-4 से शिकस्त मिली। नीतू ने पूरी आक्रामकता के साथ खेलते हुए विरोधी पर जमकर घूंसे बरसाये। रैफरी ने मुकाबला रोककर नीतू के पक्ष में फैसला दिया।
नीतू ने कहा जीत का मिलेगा फायदा
नीतू ने तीनों मुकाबले आरएससी फैसले पर जीते हैं। उन्होंने मुकाबले के बाद कहा, 'मुझे सतर्क रहना था और आक्रामक नहीं हो सकती थी। लेकिन मुकाबले के अंत में मैंने सोचा कि मैं ऐसा कर सकती हूं। अपने तीनों मुकाबले ‘आरएससी’ से जीतने का यही फायदा है कि मेरी प्रतिद्वंद्वी अब दबाव में होंगी।'
स्वीटी को मिली स्वीट जीत
वहीं कई बार की राष्ट्रीय चैम्पियन स्वीटी को पहले दौर में बाई मिली थी, वह पदक से महज एक जीत दूर थीं और इस 30 साल की मुक्केबाज ने आसान जीत से पदक पक्का कर दिया। दोनों ‘लाइट हेवीवेट’ मुक्केबाजों के बीच मुकाबला शरीर पर हमले करने वाला ज्यादा रहा। स्वीटी ने अच्छा बचाव करते हुए हमला किया और आसानी से मुक्के जड़े।
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