Wrestler Protest: साक्षी मलिक ने दिया बड़ा बयान, इनके माध्यम से हमारे विरोध को कमजोर करने का प्रयास किया
Wrestler Protest: पहलवानों के विरोध प्रदर्शन में एक नया मोड़ आ गया है। ओलंपिक मेडलिस्ट साक्षी मलिक ने रविवार को राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व गोल्ड मेडलिस्ट पहलवान बबीता फोगाट पर आरोप लगाया कि वह पहलवानों का इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए कर रही हैं।
साक्षी मलिक और सत्यव्रत कादियान। (फोटो- साक्षी मलिक के ट्विटर से)
साक्षी ने रविवार को ट्वीट किया, ‘वीडियो (शनिवार को डाले गए) में हमने तीरथ राणा और बबीता फोगाट पर तंज कसा था कि कैसे वे अपने स्वार्थ के लिए पहलवानों को इस्तेमाल करना चाह रहे थे और कैसे पहलवानों पर जब विपदा पड़ी तो वे जाकर सरकार की गोद में बैठ गए।’ उन्होंने कहा, ‘हम मुसीबत में जरूर हैं लेकिन हास्यबोध इतना कमजोर नहीं हो जाना चाहिए कि ताकतवर को काटी चुटकी पर आप हंस भी न पाएं।’ हालांकि, राणा ने इन आरोपों को खारिज किया कि उन्होंने पहलवानों का इस्तेमाल निजी स्वार्थ के लिए किया।
उन्होंने कहा, ‘पहलवान आए और मेरे से मिले (विरोध शुरू करने से पहले) और उन्होंने हम से कहा कि उनका शोषण किया गया है। हमने कहा कि हम अपनी बहनों और बेटियों के साथ हैं। न्याय की लड़ाई में मैं खिलाड़ियों के साथ हूं। मैं पहले भी उनके साथ था और अब भी हूं।’ राणा ने वीडियो में कहा, ‘देखिए, पहलवान देश का गौरव हैं और भाजपा के लिए खिलाड़ियों का सम्मान सर्वोच्च है और मैं भी उनका काफी सम्मान करता हूं। मैंने हमेशा खिलाड़ियों का समर्थन किया है।’
वीडियो को वट्सऐप ग्रुप में साझा किया गया था जिसे वीडियो से जुड़ी जानकारी प्रसारित करने के लिए बनाया गया था और बाद में डिलीट कर दिया गया। साक्षी, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया सहित देश के शीर्ष पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और डराने-धमकाने का आरोप लगाया है और उसे गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं।
कादियान और साक्षी ने एक पत्र भी दिखाया जिसमें कथित तौर पर दिखाया गया है कि बबीता और राणा ने जंतर-मंतर पुलिस थाने से पहलवानों के धरने की स्वीकृति ली थी। संसद के नए भवन के उद्घाटन के दिन उसकी ओर बढ़ने के प्रयास में प्रदर्शनकारी पहलवानों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। इसके एक दिन बाद प्रदर्शनकारी पहलवान अपने पदकों को विसर्जित करने हरिद्वार पहुंचे थे लेकिन ऐसा नहीं करने के लिए उन्हें मना लिया गया। कादियान ने दावा किया कि अगर वे यह कदम उठाते तो हिंसा हो सकती थी।
राणा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘इस तरह की कोई बात नहीं हुई कि ऐसा करने (पदकों को विसर्जित करने) से हिंसा होगी। खिलाड़ियों के बीच गुस्सा था और उन्होंने फैसला किया कि वे अपने पदक गंगा में विसर्जित करेंगे लेकिन देश के लोगों का मानना था कि खिलाड़ियों को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए।’
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