AI का ही आविष्कार करेगा AI! ये कैसी पहेली, जानें भविष्य की ताकत
Could an AI build another AI: अब रिसर्चर्स ने एआई सिस्टम बनाने की दिशा में ठोस प्रगति करना शुरू कर दिया है जो खुद बेहतर एआई सिस्टम बना सकते हैं। ये सिस्टम अभी प्राइम टाइम के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन हो सकता है कि ये आपकी सोच से भी पहले आ जाएं।
AI That Can Invent AI
AI That Can Invent AI Is Coming: पिछले कुछ 3-4 सालों में एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं हैं। आर्टिकल लिखने से लेकर वीडियो-फोटो एडिट करने और कंटेंट जनरेशन तक में एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन अब एआई को लेकर एक और दावा किया जा रहा है, जो चौकानें वाला है। लियोपोल्ड एशेनब्रेनर ने अपने आर्टिकल में दावा किया है कि एआई कुछ ही सालों में इतना पावरफुल हो जाएगा कि वह खुद एआई का अविष्कार कर सकेगा।
क्यों चर्चा का विषय बना लियोपोल्ड का आर्टिकल?
पूर्व ओपनएआई रिसर्चर और एजीआई पर केंद्रित एक निवेश फर्म के फाउंडर 22 वर्षीय लियोपोल्ड एशेनब्रेनर के "सिचुएशनल अवेयरनेस" आर्टिकल ने टेक जगत में हलचल मचा दी है। लेख में वह तर्क देते हैं कि आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (एजीआई) 2027 तक यहां होगी, वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 2029 तक सभी अमेरिकी बिजली का 20% कंजम्पशन करेगी।
और यह कि एआई विनाश की अनगिनत पावर को मुक्त करेगी जो कुछ ही वर्षों में विश्व भू-राजनीतिक व्यवस्था को नया रूप देगा। सिर्फ इतना ही नहीं लियोपोल्ड के लेख में दावा किया गया है कि एआई जल्द ही इतना पावरफुल हो जाएगा कि वह खुद एआई रिसर्स कर सकेगा, जिससे पुनरावर्ती आत्म-सुधार और बेतहाशा सुपरइंटेलिजेंस को बढ़ावा मिलेगा।
AI के डेवलपमेंट को दिखाता है लियोपोल्ड का आर्टिकल
लेख में AI के विकास पर ध्यान दिया गया है, जहां यह क्षमता उभर रही है कि AI अपने जैसे नए और बेहतर AI बना सके। इसे “सुधारता हुआ AI” कहा जा सकता है, जहां AI खुद की क्षमताओं में सुधार करते हुए और भी पावरफुल AI मॉडल तैयार कर सकता है। इसका सबसे बड़ा असर "इंटेलिजेंस एक्सप्लोजन" के रूप में हो सकता है, जिसमें AI का विकास इतनी तेज गति से होगा कि यह मानव क्षमता से आगे निकल जाएगा।
क्या खुद एआई बना सकता है AI?
जिस स्पीड से एआई में डेवलपमेंट हो रहा है यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में एआई मॉडल को बनाने में एआई का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा। AI के खुद से AI बनाने की प्रक्रिया में संभावनाओं का विस्तार होगा, जिसमें न केवल टेक्नोलॉजी में बल्कि विज्ञान, चिकित्सा, और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में भी AI का योगदान बहुत बढ़ेगा। स्वचालित मशीन लर्निंग, जिसे AutoML कहा जाता है, इसी का उदाहरण है। AutoML का उपयोग पहले से ही कई जटिल समस्याओं को हल करने के लिए किया जा रहा है, जहां AI डेटा का विश्लेषण कर, सही मॉडल चुनता और उसे ऑप्टिमाइज करता है।
अब रिसर्चर्स ने एआई सिस्टम बनाने की दिशा में ठोस प्रगति करना शुरू कर दिया है जो खुद बेहतर एआई सिस्टम बना सकते हैं। ये सिस्टम अभी प्राइम टाइम के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन हो सकता है कि ये आपकी सोच से भी पहले आ जाएं। अगर AI सिस्टम अपना खुद का AI रिसर्च कर सकते हैं, तो वे बेहतर AI आर्किटेक्चर और तरीके लेकर आ सकते हैं।
लियोपोल्ड का आर्टिकल और एआई को लेकर चिंता?
लियोपोल्ड के आर्टिकल में यह भी चिंता जताई गई है कि यदि AI खुद को बनाने और सुधारने में सक्षम हो जाएगा, तो इसके प्रभावों पर मानव का कंट्रोल कम हो सकता है। इससे जुड़ी नैतिक चुनौतियां भी हैं, जैसे AI का दुरुपयोग, स्वायत्तता (Autonomy) का नुकसान, और संभावित जोखिमों की अनदेखी। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए रिसर्चर AI डेवलपमेंट पर कंट्रोल और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दे रहे हैं ताकि AI मानवता के लिए एक सकारात्मक साधन बने।
कुल मिलाकर लियोपोल्ड एशेनब्रेनर का आर्टिकल का निष्कर्ष यह है कि आने वाला युग AI के प्रति हमारी सोच को पूरी तरह बदल सकता है। इसके दूरगामी परिणामों के लिए समाज को तैयार रहना होगा।
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