क्या अस्पताल में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकता है ChatGPT मॉडल?

ChatGPT And Carbon Emissions: एक एआई क्वेरी इतनी बिजली का इस्तेमाल करती है कि एक स्मार्टफोन को 11 बार चार्ज किया जा सकता है और ऑस्ट्रेलियाई डेटा सेंटर में 20 मिलीलीटर ताजे पानी की खपत होती है। अनुमान है कि चैटजीपीटी गूगल की तुलना में 15 गुना ज्‍यादा ऊर्जा का इस्तेमाल करता है।

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ChatGPT And Carbon Emissions: अजरबैजान के बाकू में सीओपी 29 जलवायु सम्मेलन में जारी एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि चैटजीपीटी जैसे जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीएआई) मॉडल अस्पतालों में मरीजों को हैंडल करने के साथ कागज के उपयोग को कम कर सकते हैं, लेकिन इससे शायद ही अस्पतालों को भारी कार्बन उत्सर्जन (कार्बन एमिशन) से बचाने में मदद मिल सकती है।

हेल्थ सेक्टर और एआई

ऑस्ट्रेलियाई और यूके के रिसर्चर्स द्वारा किए गए रिसर्च में बड़े भाषा मॉडल का उपयोग करके स्वास्थ्य सेवा में एआई के प्रभाव की जांच की गई। इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र में दिखाया गया है कि चैटजीपीटी प्रतिदिन हजारों मरीजों के रिकॉर्ड को आसानी से संभाल सकता है और पेपर वर्क को भी कम कर सकता है। लेकिन इनकी ऊर्जा खपत बहुत अधिक हो सकती है।

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