क्वालकॉम ने 600 मेगाहर्ट्ज बैंड को बताया बेहतर, भारत के लिए गिनाए फायदे

600 MHz Band Spectrum Ecosystem: यह अनुमान है कि 600 मेगाहर्ट्ज बैंड में एक अकेला मोबाइल टावर भी 65 किलोमीटर के दायरे में मोबाइल सिग्नल भेज सकता है जबकि बीएसएनएल और रिलायंस जियो के पास 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के मामले में यह दूरी लगभग 25 किलोमीटर की है।

600 MHz Band Spectrum Ecosystem

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600 MHz Band Spectrum Ecosystem: चिप विनिर्माता क्वालकॉम टेक्नोलॉजीज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 600 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड में एडवांस टेलीकम्युनिकेशन सर्विसेज का समर्थन करने के लिए मोबाइलफोन परिवेश काफी अच्छा है। ऐसा अनुमान है कि 600 मेगाहर्ट्ज बैंड में मोबाइल सेवाएं संचालित होने से किसी भी बूस्टर या एम्पलीफायर के बगैर भी इमारतों के अंदर सिग्नल बेहतर होगा।

भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है 600 मेगाहर्ट्ज बैंड

स्मार्टफोन के लिए एडवांस प्रोसेसर बनाने वाली कंपनी क्वालकॉम टेक्नोलॉजीज के वाइस प्रेसिडेंट और जनरल मैनेजर (प्रौद्योगिकी योजना एवं एडवांस सॉल्यूशंस) दुर्गा मल्लादी ने कहा कि जब तक भारत इन रेडियो तरंगों को इस्तेमाल के लिए मुहैया कराने का फैसला करेगा, तब तक स्मार्टफोन इकोसिस्टम और बेहतर हो जाएगी।

क्वालकॉम ने किया 600 मेगाहर्ट्ज का समर्थन

मल्लादी ने क्वालकॉम चिपसेट में 600 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए उपलब्ध समर्थन पर चर्चा के दौरान कहा, "वास्तव में यह काफी अच्छा है। हमारे ट्रांसीवर पहले से ही 600 मेगाहर्ट्ज तक जाते हैं। इसलिए हमारे लिए वहां कोई समस्या नहीं है। हम दुनिया के किसी भी हिस्से में कारोबार के लिए तैयार हैं।" क्वालकॉम के चिपसेट का इस्तेमाल मुख्य रूप से प्रीमियम श्रेणी के स्मार्टफोन में किया जाता है।

मार्केट रिसर्च और एनालिस्ट फर्म काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक, क्वालकॉम अप्रैल-जून तिमाही में 38 प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी के साथ ग्लोबल स्तर पर चिपसेट खंड में सबसे आगे रही है। केंद्र सरकार ने 2022 स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान 600 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम बैंड में 40 मेगाहर्ट्ज आवृत्ति तक की तरंगों को रखा था। लेकिन उस बैंड में सेवाओं का समर्थन करने के लिए उपकरण परिवेश न होने से कोई बोलीदाता नहीं मिल पाया। इसके बाद सरकार ने जून, 2024 में आयोजित स्पेक्ट्रम नीलामी में 600 मेगाहर्ट्ज बैंड को शामिल नहीं किया था।

600 मेगाहर्ट्ज बैंड क्यों जरूरी

मल्लादी ने कहा कि 600 मेगाहर्ट्ज बैंड अमेरिका में एक प्रीमियम संपत्ति है और इसका उपयोग उस देश में टेलीकम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर टी-मोबाइल देशव्यापी कवरेज के लिए करती है। यह अनुमान है कि 600 मेगाहर्ट्ज बैंड में एक अकेला मोबाइल टावर भी 65 किलोमीटर के दायरे में मोबाइल सिग्नल भेज सकता है जबकि बीएसएनएल और रिलायंस जियो के पास 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के मामले में यह दूरी लगभग 25 किलोमीटर की है। वहीं, 2जी स्पेक्ट्रम के रूप में मशहूर 1,800 मेगाहर्ट्ज बैंड में प्रेषित सिग्नल सिर्फ 2.5 किलोमीटर दूरी ही कवर करता है। इस बैंड का 4जी स्पेक्ट्रम के लिए भी खूब इस्तेमाल हुआ।

इनपुट- भाषा

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Vishal Mathel author

विशाल मैथिल, टाइम्स नाउ नवभारत ( Timesnowhindi.com) में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर नवंबर 2023 से जुड़ें हैं। इससे पहले वह दैनिक भास्कर, अमर उजाला मध्यप्रद...और देखें

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