Indian Amry के जवान अब हवा में उड़ेंगे, सेना के बेड़े में शामिल होंगे हाइटेक रोबोट-ड्रोन्स

इंडियन आर्मी अपने जवानों के लिए ना सिर्फ जेटपैक सूट्स लाने वाली है, बल्कि रोबोड से लेकर टेदर्ड ड्रोन्स भी अब सेना हा हिस्सा बनने वाले हैं. मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस ने इन सबके पूर्ती के लिए कमर्शियल बिड जारी की है.

Indian Army Jetpack Suits

आर्मी को जो जेटपैक सूट चाहिए उनकी संख्या 44 है और इन्हें स्पेशल ऑपरेशन पर इस्तेमाल किया जाएगा.

मुख्य बातें
  • असमान में उडेंगे आर्मी के जवान
  • रोबोड की आंखों से दिखेगा दुश्मन
  • टेदर्ड ड्रोन्स भी इस्तेमाल में आएंगे

Jetpack Suites, Robots And Tethered Drones For Indian Army: मिनस्ट्रि ऑफ डिफेंस ने 24 जनवरी 2023 को इंडियन आर्मी द्वारा हिमालयन रेंज में निगरानी के लिए रोबोट्स, जेटपैक और टेदर्ड ड्रोन्स की कमर्शियल बिड जारी की है. आर्मी को 100 रोबोटिक म्यूल्स की जरूरत है जिसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल दिया गया है. ये खरीद की प्रक्रिया का दूसरा चरण है और कमर्शियल के साथ टेक्निकल बिड के लिए इशू किया गया है. आर्मी चार पैर वाले ऐसे रोबोट बेड़े में शामिल करना चाह रही है जो खुद काम कर सके, किसी भी राह पर जा सके और खुस दुरुस्त होने के साथ परेशानियों से बच सके.

रोबोट में होनी चाहिए ये खासियत

इन सबके अलावा रोबोड का कद 1 मीटर हो, इसका भार 60 किग्रा से ज्यादा ना हो और 10 किग्रा भार के साथ 10,000 फीट से ज्यादा एल्टिट्यूड पर भी ये काम कर सके. फिलहाल सीमा से सटी कुछ आर्मी पोस्ट पर सामान और राशन पहुंचाने के लिए इन म्यूल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये रोबोट खुद ही सारे काम कर ले और तय रास्ते पर 3 घंटे से ज्यादा तक सफर कर सके.

प्लेन के साथ उड़ेंगे आर्मी के जवान!

इंडियन आर्मी को रोबोट्स के अलावा आधुनिक तकनीक के जेटपैक सूट्स की भी जरूरत है. इसके साथ एक इंजन लगा होता है और किसी बैगपैक की तरह ये पहने जाते हैं. इसे पहनने के बबाद जवान किसी भी जगह पर उड़ सकते हैं. आर्मी को जो जेटपैक सूट चाहिए उनकी संख्या 44 है और इन्हें स्पेशल ऑपरेशन पर इस्तेमाल किया जाएगा. इसका भार 40 किग्रा से ज्यादा ना हो और 80 किग्रा के जवान को लेकर उड़ान भर सके. इसकी अधिकतम रफ्तार 50 किमी/घंटा से कम ना हो.

खास किस्म के ड्रोन्स भी चाहिए

इंडियन आर्मी को टेदर्ड ड्रोन्स की भी जरूरत है, ये एक खास किस्म का ड्रोन होता है जो जमीन से एक केबल के जरिए जुड़ा हुआ होता है. इसका इस्तेमाल डेटा डाउनलोड करने और कमांड देने में किया जाता है. आर्मी को जो ड्रोन चाहिए उसका भार करीब 15 किग्रा होना चाहिए, 60 मीटर तक केबल से जुड़ा रहकर ये काम करे और 6 घंटे तक उड़ता रहे. इस ड्रोन में 5 किमी दूर से आ रही गाड़ी और 2 किमी दूर से आ रहे इंसान की पहचान कर ले.

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अंशुमन साकल्ले author

अंशुमन साकल्ले जून 2022 से टाइम्स नाउ नवभारत (www.timesnowhindi.com/) में बतौर सीनियर स्पेशल करेस्पॉन्डेंट कार्यरत हैं। ये ईएमएमसी, दैनिक भास्कर, एनडी...और देखें

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